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प्रश्न

यीशु को अपना उद्धारकर्ता स्वीकार करने के लिए आपको कितना जवान होना चाहिए?

उत्तर


उद्धार प्राप्ति के लिए निश्चित रूप से आयु कोई शर्ते नहीं है। स्वयं यीशु ने घोषणा की है, "बालकों को मेरे पास आने दो, और उन्हें मना न करो, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्हीं का है" (मत्ती 19:14)। जब बच्चों में जिस भी आयु में इस बात की समझ आ जाती है कि वे पापी हैं (रोमियों 3:23), और यह कि यीशु उनके पापों के लिए दण्ड को चुका दिया है (रोमियों 5:8; 6:23), और यह कि उद्धार के लिए उन्हें अपने विश्‍वास को यीशु में रखना आवश्यक है (यूहन्ना 3:16), तब वे बचाए जाने के लिए बड़े हो चुके हैं।

एक बच्चे को सभी तरह के जटिल विषयों को समझने की आवश्यकता नहीं है, जो कि उद्धार के धर्मसिद्धान्त के अंश होते हैं। यह महत्वपूर्ण है कि अभिभावक इस बात को सुनिश्चित कर लें कि उनके बच्चे मूल विषय (जैसा कि ऊपर बताया गया है) को समझ रहे हैं, परन्तु प्रेरितों के काम 16:31 में दी हुई प्रतिज्ञा एक प्रौढ़ या एक बच्चे के लिए समान रूप से पूर्ण सत्यता के साथ दी हुई है: "प्रभु यीशु मसीह में विश्‍वास कर और तू और तेरा घराना उद्धार पाएगा।"

छोटे बच्चे, चाहे वे विश्‍वासियों से या अविश्‍वासियों से ही क्यों उत्पन्न हुए हैं, परमेश्‍वर के द्वारा चुने जा सकते हैं, मसीह के लहू के द्वारा छुटकारा पा सकते हैं, और उनके मनों में पवित्र आत्मा का कार्य हो सकता है, और इस तरह से स्वर्ग में प्रवेश कर सकते हैं। जीवन के किस बिन्दु पर वे इन बातों को साकार करते हैं, यह प्रत्येक बच्चे में भिन्नता के साथ होता है। कुछ जवान बच्चे विशेष रूप से नम्र मनों वाले होते हैं और यीशु के बारे में यह सुनते ही वह उनके लिए मर गया, तुरन्त अपने पापी स्वभाव के प्रति जागरूक हो जाते हैं और प्रतिक्रिया व्यक्त करने पर मजबूर हो जाते हैं। अन्य बच्चों जो जीवनानन्द व्यक्तित्व वाले होते हैं, इस जागरूकता तक तब तक नहीं पहुँचते हैं, जब तक कि वे अधिक बड़े नहीं हो जाते हैं। केवल प्रभु ही मनों के विचारों को जानता है, और हम उसमें भरोसा करते हैं "कि वह खोए हुओं को ढूँढ़ने और उनका उद्धार" (लूका 19:10) अपने समय और सिद्ध इच्छा के अनुसार करने के लिए आया है।

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यीशु को अपना उद्धारकर्ता स्वीकार करने के लिए आपको कितना जवान होना चाहिए?
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