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प्रश्न

क्या हमें पवित्र आत्मा की आराधना करनी चाहिए?

उत्तर


हम जानते हैं कि केवल परमेश्‍वर ही की आराधना की जानी चाहिए। केवल परमेश्‍वर ही आराधना की मांग करता है, और केवल परमेश्‍वर ही आराधना के योग्य है। यह प्रश्‍न की क्या हमें पवित्र आत्मा की आराधना करनी चाहिए या नहीं का निर्धारण बड़ी सरलता से केवल इसी ही बात से किया जा सकता है कि परमेश्‍वर आत्मा है या नहीं। कुछ झूठे सम्प्रदायों के विचारों के विपरीत, पवित्र आत्मा न केवल एक "शक्ति" है अपितु एक व्यक्तित्व भी है। उसे व्यक्तिगत् शब्दों में संदर्भित किया जाता है (यूहन्ना 15:26; 16:7-8, 13-14)। व्यक्तिगत् गुणों के साथ होते हुए एक प्राणी के रूप में कार्य करता है — अर्थात् वह बोलता है (1 तीमुथियुस 4:1), वह प्रेम करता है (रोमियों 15:30), वह शिक्षा देता है (यूहन्ना 14:26), वह मध्यस्थता करता है (रोमियों 8:26), और ऐसी कई अन्य बातें उसके गुणों में सम्मिलित हैं।

पवित्र आत्मा के पास ईश्‍वरत्व का स्वभाव है — उसमें परमेश्‍वरत्व के गुण पाए जाते हैं। वह अपने सार में न तो स्वर्गदूत है और न ही मानवीय प्राणी है। वह शाश्‍वतकाल से है (इब्रानियों 9:14)। वह सभी स्थानों पर उपस्थित है (भजन संहिता 139:7-10)। आत्मा सर्वज्ञानी है, उदाहरण के लिए, वह "सब बातों, वरन् परमेश्‍वर की गूढ़ बातें भी जाँचता है" (1 कुरिन्थियों 2:10-11)। उसने प्रेरितों को "सभी बातों की शिक्षा" दी (यूहन्ना 14:26)। वह सृष्टि के निर्माण की प्रक्रिया में सम्मिलित था (उत्पत्ति 1:2)। पवित्र आत्मा के लिए दोनों अर्थात् पिता और पुत्र के साथ घनिष्ठता के सम्बन्ध में होना कहा गया है (मत्ती 28:19; यूहन्ना 14:16)। एक व्यक्ति के रूप में, उसके ऊपर निर्भर रहा जा सकता है (प्रेरितों के काम 5:3-4) वह दुखित होता है (इफिसियों 4:30)। इसके अतिरिक्त, पुराने नियम के कुछ संदर्भ को जो परमेश्‍वर के लिए सम्बोधित हैं, नए नियम में पवित्र आत्मा के ऊपर लागू किया गया है (यशायाह 6:8 को प्रेरितों के काम 28:25, और निर्गमन 16:7 को इब्रानियों 3:7-9 के साथ देखें)।

एक अलौलिक व्यक्ति आराधना के योग्य है। परमेश्‍वर "स्तुति के लिए योग्य" है (भजन संहिता 18:3)। परमेश्‍वर "महान् और स्तुति के योग्य" है (भजन संहिता 48:1)। हमें परमेश्‍वर की आराधना करने के लिए आदेश दिया गया है (मत्ती 4:10; प्रकाशितवाक्य 19:10; 22:9)। यदि, तब, आत्मा ईश्‍वरीय है, जो कि त्रिएक परमेश्‍वर का तीसरा व्यक्ति है, तब तो वह आराधना के योग्य है। फिलिप्पियों 3:3 हमें कहता है, कि सच्चे विश्‍वासी, जिनके मनों का खतना हुआ है, परमेश्‍वर की आराधना आत्मा और महिमा के साथ करते हैं और मसीह में प्रसन्न होते हैं। यहाँ पर ईश्‍वरत्व के तीनों सदस्यों की आराधना करने के एक सुन्दर चित्र को प्रस्तुत किया गया है।

हम कैसे पवित्र आत्मा की आराधना करते हैं? ठीक वैसे ही जैसे हम पिता और पुत्र की आराधना करते हैं। मसीही आराधना आत्मिक है, यह पवित्र आत्मा के द्वारा हमारे आन्तरिक मन में कार्य करने के बहाव से निकल कर आती है, जिसके प्रति हम हमारे जीवनों को भेंट में चढ़ाते हुए प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं (रोमियों 12:1)। हम आत्मा की आराधना उसके आदेशों की आज्ञा पालन करने के द्वारा करते हैं। मसीह को उद्धृत करते हुए, प्रेरित यूहन्ना यह व्याख्या वर्णित करते हैं, "जो उसकी आज्ञाओं को मानता है, वह उसमें और वह उन में बना रहता है : और इसी से अर्थात् उस आत्मा से जो उस ने हमें दिया है, हम जानते हैं कि वह हम में बना रहता है" (1 यूहन्ना 3:24)। हम यहाँ पर मसीह की आज्ञा पालन और पवित्र आत्मा जो हम में वास करता है के मध्य में एक सम्पर्क को देखते हैं, जो हमें सभी बातों — विशेष रूप से आज्ञाकारिता के द्वारा आराधना की आवश्यकता — और हमें आराधना के लिए सशक्त करने के प्रति निरूत्तर कर देता है।

आराधना स्वयं में ही आत्मा का एक कार्य है। यीशु कहता है कि हमें "आत्मा और सच्चाई में आराधना करनी चाहिए" (यूहन्ना 4:24)। आत्मिक लोग वे हैं जिनमें आत्मा वास करता है जो यह गवाही देता है कि हम उससे सम्बन्धित हैं (रोमियों 8:16)। हमारे मनों में उसकी उपस्थिति हमें आत्मा में उसकी ओर आराधना करने के लिए लौट आने में सक्षम करती है। हम उसमें हैं जैसे वह हम में है, ठीक वैसे ही जैसे मसीह पिता में है और पिता हम में आत्मा के द्वारा वास करता है (यूहन्ना 14:20, 17:21)।

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