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प्रश्न

घर से बाहर कार्य करने वाली स्त्रियों के बारे में बाइबल क्या कहती है?

उत्तर


एक स्त्री को घर से बाहर कार्य करना चाहिए या नहीं, कई दम्पत्तियों और परिवारों के लिए एक संघर्ष की बात है। बाइबल में स्त्रियों की भूमिका के सम्बन्ध में निर्देश अवश्य ही पाए जाते हैं। तीतुस 2:3-4 में, पौलुस इन निर्देशों को देता है, कि कैसे एक जवान विवाहित स्त्री को बुजुर्ग स्त्री के द्वारा प्रशिक्षित किया जाना चाहिए: "...वे जवान स्त्रियों को चेतावनी देती रहें कि अपने पतियों और बच्चों से प्रीति रखें; और संयमी, पवित्रता, घर का कारोबार करनेवाली, भली और अपने-अपने पति के अधीन रहनेवाली हों, ताकि परमेश्‍वर के वचन की निन्दा न होने पाए।" इस संदर्भ में, बाइबल स्पष्ट कहती है, कि जब बात बच्चों की आती है, तब दायित्व जवान स्त्रियों के ऊपर ही आता है। बुजुर्ग स्त्रियों को जवान स्त्रियों को शिक्षा देनी चाहिए और परमेश्‍वर की महिमा के लिए जीवन को व्यतीत करना चाहिए। इन दायित्वों को ध्यान में रखते हुए, एक बुजुर्ग स्त्री का समय प्रभु के मार्गदर्शन और उसके अपने विवेक के अनुसार व्यतीत किया जा सकता है।

नीतिवचन 31 में "एक भली चरित्र वाली पत्नी" की बात की गई है। वचन 11 से आरम्भ होते हुए, लेखक इस तरह की स्त्री की प्रशंसा उस स्त्री के रूप में करता है, जो अपने परिवार के लिए अपनी सामर्थ्य में होकर सब कुछ करती है। वे अपने परिवार में व्यवस्था को बनाए रखने के लिए कठिन परिश्रम करती है। ये वचन 16, 18, 24, और 25 दिखाते हैं, कि वह इतनी अधिक मेहनती होती है, कि वह अपने हाथों से प्रसन्नता के साथ कार्य करती हुई रात को ही उठ बैठती है, ताकि उसके परिवार के लिए अतिरिक्त आय का प्रबन्ध कर सके। इस स्त्री का उत्साह अति महत्वपूर्ण है, क्योंकि उसकी व्यापारिक गतिविधियों का अन्त स्वयं में नहीं, अपितु उसके अपने परिवार की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए है। वह अपने परिवार की आवश्यकताओं की पूर्ति कर रही थी, न कि अपने नाम की ख्याति के लिए कार्य कर रही थी, या न ही अपने पड़ोसियों को अपने साथ बनाए रखने के लिए कार्य कर रही थी। उसके पति, बच्चों और घर के लिए भण्डारीपन के प्रति - उसकी सच्ची बुलाहट की तुलना में उसका व्यवसाय द्वितीय स्थान रखता था।

बाइबल कहीं पर भी एक स्त्री को घर से बाहर कार्य करने के लिए मना नहीं करती है। तथापि, बाइबल यह शिक्षा देती है, कि एक स्त्री की प्राथमिकताएँ कौन सी होती हैं। यदि एक स्त्री का घर से बाहर कार्य करना उसके बच्चों और पति को अनदेखा करने का कारण बन रहा है, तब तो उस स्त्री के लिए घर से बाहर कार्य करना गलत है। यदि एक मसीही स्त्री घर से बाहर जाकर कार्य कर सकती है और फिर भी अपने बच्चों और पति को एक प्रेम से भरा हुआ, देख भाल वाले वातावरण को प्रदान कर सकती है, तब तो उसके लिए घर से बाहर कार्य करना पूरी तरह से स्वीकार्य है। इन सिद्धान्तों को ध्यान में रखते हुए, हम जान जाते हैं, कि मसीह में स्वतंत्रता है। घर से बाहर कार्य करने वाली स्त्रियों की निन्दा नहीं की जानी चाहिए और न ही उन स्त्रियों के साथ जो अपने घर की ओर भण्डारीपन के रूप में ध्यान केन्द्रित करती हैं, निन्दनीय तरीके से व्यवहार किया जाना चाहिए।

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