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प्रश्न

क्या प्रकाशितवाक्य 12 में स्वर्ग में युद्ध शैतान के मूल पतन या अन्तिम बार स्वर्गदूतों पर आधारित युद्ध का वर्णन करता है?

उत्तर


स्वर्ग से अन्तिम बड़ा स्वर्गदूत आधारित युद्ध और शैतान का अन्तिम निष्कासन प्रकाशितवाक्य 12:7-12 में वर्णित है। इस सन्दर्भ में, यूहन्ना एक बड़े युद्ध को देखता है, जो अजगर (शैतान) और उसके गिर हुए स्वर्गदूतों या दुष्टात्माओं के विरुद्ध मीकाईल और परमेश्‍वर के स्वर्गदूतों के मध्य में है। यह क्लेशकाल की अवधि के अन्त समय में होगा। शैतान, अपने बड़े घमण्ड और भ्रम में कि वह परमेश्‍वर की तरह हो सकता है, परमेश्‍वर के विरूद्ध अन्तिम विद्रोह का नेतृत्व करेगा। यह एक विश्‍वव्यापी अनुपयुक्त मेल को करना होगा। अजगर और उसकी दुष्टात्माएँ युद्ध में हार जाएंगी और स्वर्ग से सदैव के लिए नीचे फेंक दी जाएंगी।

हम जानते हैं कि यह युद्ध अभी भी भविष्य में ही होगा क्योंकि प्रकाशितवाक्य 12 का सन्दर्भ कुछ इसी तरह का है। वचन 6 कहता है कि स्त्री (इस्राएल) अजगर (शैतान) से "उस जंगल को भाग गई जहाँ परमेश्‍वर की ओर से उसके लिए एक जगह तैयार की गई थी कि जहाँ वह एक हजार दौ सौ साठ दिन तक पाली जाए।" वचन 7 और फिर शब्द से आरम्भ होता है। जैसे ही इस्राएल भागता है, स्वर्गीय क्षेत्र में युद्ध आरम्भ हो जाता है। प्रकाशितवाक्य 12:6 में स्त्री का भागना यीशु की ओर से यहूदियों को जब वे उजाड़ने वाली घृणित वस्तु को देखते हैं तब "पहाड़ों पर भाग जाएँ" की बुलाहट के अनुरूप पाई जाती है (मत्ती 24:16)। क्लेशकाल के मध्य समय में, मसीह विरोधी अपने वास्तविक रंग को दिखाएगा, शैतान पृथ्वी तक ही सीमित रहेगा और इस्राएल को 1,260 दिनों (साढ़े तीन साल, या क्लेशकाल के दूसरे भाग) के लिए परमेश्‍वरीय सुरक्षा दी जाएगी।

एक सामान्य भ्रम यह है कि शैतान के पतन के बाद शैतान और उसकी दुष्टात्माओं को नरक में बन्द कर दिया गया था। यह बाइबल के कई सन्दर्भों से स्पष्ट है कि शैतान को उसके पहले विद्रोह के पश्‍चात् ही स्वर्ग से आने से नहीं रखा गया था। अय्यूब 1:1-2: 8 में, वह परमेश्‍वर के सामने परमेश्‍वर की आराधना में गुप्त उद्देश्यों को पूरा करने का आरोप लगाने के लिए प्रकट होता है। जकर्याह 3 में, शैतान एक बार फिर से परमेश्‍वर के सामने यहोशू, महायाजक पर आरोप लगाने के लिए प्रकट होता है। इसके अतिरिक्त, भविष्यद्वक्ता मीकायाह 1 राजा 22: 19-22 में परमेश्‍वर की उपस्थिति में खड़ी हुई बुरी आत्माओं के एक दर्शन को दर्शाता है। इस तरह से, पतन के पश्‍चात् भी, शैतान के पास अभी भी स्वर्ग तक कुछ सीमा तक पहुँच थी।

इस युग में, शैतान और उसके दूतों के पास अभी भी स्वर्ग तक सीमित पहुँच है और वे परमेश्‍वर के स्वर्गदूतों का विरोध करते हैं (दानिय्येल 10:10-14)। परन्तु, प्रकाशितवाक्य 12 में लिपिबद्ध युद्ध में, शैतान और उसके कृपापात्र स्वर्ग तक अपनी पूरी पहुँच को खो देंगे (वचन 8) और इस ग्रह तक ही सीमित रहेंगे (वचन 9)। उनकी स्वतन्त्रता कम हो जाएगी, शैतान "बड़े क्रोध के साथ भर जाएगा, क्योंकि वह जानता है कि उसका थोड़ा ही समय और बाकी है" (वचन 12)।

स्वर्ग में बहुत अधिक आनन्द होगा, क्योंकि युगों-से चुने हुओं के ऊपर दोष लगाने वाला पुराना दोषी सदैव के लिए निर्वासित होने के द्वारा प्रतिबन्धित कर दिया जाएगा। यद्यपि, इस घटना के पश्‍चात् पृथ्वी के निवासियों को शैतान के क्रोध और पृथ्वी पर परमेश्‍वर के शेष न्याय के कारण बहुत अधिक पीड़ा होगी।

मीकाईल और शैतान के मध्य एक महत्वपूर्ण लड़ाई होगी। जब परमेश्‍वर के पवित्र स्वर्गदूत दुष्टात्माओं की भीड़ को पराजित करते हैं, तब स्वर्ग में एक बड़ी आवाज़ कहती है, "अब हमारे परमेश्‍वर का उद्धार और सामर्थ्य और राज्य और उसके मसीह का अधिकार प्रगट हुआ है" (प्रकाशितवाक्य 12:10)। परमेश्‍वर के सन्तगण भी इस विजय में भाग लेते हैं: "वे मेम्ने के लहू के कारण और अपनी गवाही के वचन के कारण उस पर जयवन्त हुए" (वचन 11)।

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