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प्रश्न

आत्मा में जीवन यापन करने का क्या अर्थ होता है?

उत्तर


मसीही विश्‍वासियों के पास मसीह का आत्मा, महिमा की आशा है जो उनमें वास करता है (कुलुस्सियों 1:27)। आत्मा में जीवन यापन करने वाले इसे दिन प्रतिदिन, क्षण-दर-क्षण की पवित्रता में प्रगट करते हैं। यह जानबूझकर विचार, शब्द और कार्य में मार्गदर्शन के लिए विश्‍वास के द्वारा पवित्र आत्मा के ऊपर निर्भर रहने के द्वारा प्राप्त होती है (रोमियों 6:11-14)। पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन के लिए उसके ऊपर निर्भर न रहने की विफलता एक विश्‍वासी के जीवन में दी हुई बुलाहट और समझ के अनुसार जीवन न जीने के परिणाम में निकलती है जो उद्धार को प्रदान करती है (यूहन्ना 3:3; इफिसियों 4:1; फिलिप्पियों 1:27)। हम जान सकते हैं कि हम आत्मा में जीवन यापन कर रहे हैं यदि हमारे जीवन आत्मा के फल को प्रगट नहीं कर रहे हैं जो कि प्रेम, आनन्द, शान्ति, धीरज, कृपा, भलाई, विश्‍वास, नम्रता और संयम है (गलातियों 5:22,23)। आत्मा से परिपूर्ण (उसमें जीवन यापन करने) होने के द्वारा ठीक वैसा ही है जैसे मसीह के वचन (बाइबल) को अपने हृदय में अधिकाई से बसने देना है (कुलुस्सियों 3:16)।

इसका परिणाम, धन्यवाद, भजन गाना और आनन्द है (इफिसियों 5:18-20; कुलुस्सियों 3:16)। परमेश्‍वर की सन्तान परमेश्‍वर के आत्मा के द्वारा मार्गदर्शित होती है (रोमियों 8:14)। जब मसीही विश्‍वासी आत्मा में जीवन यापन, पाप और उसे दुखित करने के द्वारा करना नहीं चुनते हैं, तब अपनी गलतियों को अंगीकार करने के द्वारा उन्हें बहाल किए जाने का प्रबन्ध किया गया है (इफिसियों 4:30; 1 यूहन्ना 1:9)। आत्मा में "जीवन यापन" करने के लिए, उसे अपने मार्गों को निर्देशित करने और अपने मन को उसके अनुसार किए जाने की अनुमति देना है। सारांश में, जैसे ही हमने मसीह को विश्‍वास के द्वारा प्राप्त किया है, विश्‍वास ही के द्वारा हम उसमें जीवन यापन करने की मांग, तब तक के लिए करते हैं जब तक हम स्वर्ग में उठा नहीं लिए जाएंगे और स्वामी को यह कहते हुए नहीं सुनेंगे कि "बहुत अच्छा किया!" (कुलुस्सियों 2:5; मत्ती 25:23)।

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