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प्रश्न

बाइबल को समझना इतना अधिक कठिन क्यों है?

उत्तर


बाइबल को समझना अत्यन्त महत्वपूर्ण इसलिए है, क्योंकि बाइबल परमेश्‍वर का वचन है। जब हम बाइबल को खोजते हैं, तब हम हमारे लिए दिए हुए परमेश्‍वर के वचन को पढ़ते हैं। इस की तुलना में और अधिक क्या महत्वपूर्ण हो सकता है कि ब्रह्माण्ड के सृष्टिकर्ता के पास हमारे लिए कहने के लिए क्या है?

हम बाइबल को समझने का प्रयास ठीक उसी कारण से करते हैं, जिस तरह से एक व्यक्ति एक अपने प्रियत्तम की ओर से प्राप्त प्रेम पत्र को समझने का प्रयास करता है। परमेश्‍वर हम से प्रेम करता है और चाहता है कि हमारे साथ अपने सम्बन्ध को पुनर्स्थापित अर्थात् बहाल करे (मत्ती 23:37)। परमेश्‍वर ने हमारे लिए अपने प्रेम को बाइबल में सम्प्रेषित किया है (यूहन्ना 3:16; 1 यूहन्ना 3:1; 4:10)।

हम बाइबल को समझने का प्रयास ठीक उसी कारण से करते हैं, जिस तरह से एक सैनिक अपने अधिकार के आदेश को समझने का प्रयास करता है। परमेश्‍वर की आज्ञाओं का पालन करना हमारे लिए सम्मान को ले आता है और हमें जीवन के पथ की ओर मार्गदर्शन देता है (भजन संहिता 119)। यह आज्ञाएँ बाइबल में पाई जाती हैं (यूहन्ना 14:15)।

हम बाइबल को समझने का प्रयास ठीक उसी कारण से करते हैं, जिस तरह से एक मैकेनिक मरम्मत करने वाली हस्तपुस्तिका को समझने का प्रयास करता है। इस संसार में बातें उलटी होती चली जाती हैं, और बाइबल न केवल समस्या (पाप) का उपचार प्रदान करती है, अपितु इसके समाधान (मसीह में विश्‍वास) की ओर संकेत देती हैं। "क्योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है परन्तु परमेश्‍वर का वरदान हमारे प्रभु मसीह में अनन्त जीवन है" (रोमियों 6:23)।

हम बाइबल को समझने का प्रयास ठीक उसी कारण से करते हैं, जिस तरह से एक गाड़ी का चालक यतायात के संकेतों को समझने का प्रयास करता है। बाइबल हमें हमारे जीवन में आगे की ओर बढ़ने के लिए पथ के ऊपर सुरक्षा और बुद्धि को दिखाते हुए मार्गदर्शन प्रदान करती है (भजन संहिता 119:11, 105)।

हम बाइबल को समझने का प्रयास ठीक उसी कारण से करते हैं, जिस तरह से एक व्यक्ति तूफान से भरे हुए मार्ग में होते हुए मौसम सम्बन्धी जानकारी को समझने का प्रयास करता है। बाइबल भविष्यद्वाणी करती है कि अन्त के समय कैसा होगा, यह शीघ्रता से आ रहे दण्ड के प्रति एक स्षष्ट चेतावनी देती है (मत्ती 24-25) और बताती है कि इससे कैसे बचा जाए (रोमियों 8:1)।

हम बाइबल को समझने का प्रयास ठीक उसी कारण से करते हैं, जिस तरह से एक उत्सुक पाठक अपनी पसन्द के लेखक की पुस्तकों को समझने का प्रयास करता है। बाइबल हमें परमेश्‍वर के व्यक्तित्व और महिमा को प्रकाशित करती है, जैसी कि यह उसके पुत्र यीशु मसीह में प्रगट की गई है (यूहन्ना 1:1-18)। जितना अधिक हम बाइबल का अध्ययन करते और इसे समझते हैं, उतनी ही अधिक हम इसके लेखक की घनिष्ठता में बढ़ते चले जाते हैं।

जब फिलिप्पुस गाजा की ओर यात्रा कर रहा था, तब पवित्र आत्मा ने उसका मार्गदर्शन एक ऐसे व्यक्ति की ओर किया जो यशायाह के एक अंश को पढ़ रहा था। फिलिप्पुस उस व्यक्ति तक पहुँच गया, उसे देखा कि वह क्या पढ़ रहा था, और उससे इस महत्वपूर्ण प्रश्‍न को पूछा : "तू जो पढ़ रहा है, क्या उसे समझता भी है?" (प्रेरितों के काम 8:30) फिलिप्पुस जानता था कि समझना विश्‍वास का आरम्भिक बिन्दु है। बाइबल को समझे बिना, हम इसके निहितार्थ को जीवन के ऊपर लागू नहीं कर सकते, उसकी आज्ञा का पालन नहीं कर सकते या उसके ऊपर विश्‍वास नहीं कर सकते हैं।

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