settings icon
share icon
प्रश्न

अन्त के समयों में बचे रहना — मुझे इसके बारे में क्या जानने की आवश्यकता है?

उत्तर


अक्सर लोग तब चिन्ता का अनुभव करते हैं, जब वे भविष्य के बारे में सोचते हैं; तथापि, ऐसा नहीं होना चाहिए। क्योंकि वे लोग जो परमेश्‍वर को जानते हैं, ने यही सोचा है कि भविष्य उत्सुकता और सांत्वना को लाता है। उदाहरण के लिए, एक स्त्री का वर्णन करते हुए, जो परमेश्‍वर को जानती है और उसके ऊपर विश्‍वास करती है, नीतिवचन 31:25 ऐसा कहता है, "वह आनेवाले काल पर हँसती है।"

भविष्य के बारे में मन में दो मुख्य विचारों को रखना चाहिए, पहला, परमेश्‍वर सर्वोच्च है और उसका नियन्त्रण सभी वस्तुओं के ऊपर है। वह भविष्य को जानता है और जो कुछ घटित होना, उसके ऊपर उसका पूर्ण नियन्त्रण है। बाइबल कहती है, "प्राचीनकाल की बातें स्मरण करो जो आरम्भ ही से है, क्योंकि परमेश्‍वर मैं ही हूँ, दूसरा कोई नहीं; मैं ही परमेश्‍वर हूँ और मेरे तुल्य कोई भी नहीं है। मैं तो अन्त की बात आदि से और प्राचीनकाल से उस बात को बताता आया हूँ जो अब तक नहीं हुई। मैं कहता हूँ, 'मेरी युक्ति स्थिर रहेगी और मैं अपनी इच्छा को पूरी करूँगा'... मैं ही ने यह बात कही है और उसे पूरी भी करूँगा; मैं ने यह विचार बाँधा है और उसे सफल भी करूँगा" (यशायाह 46:9–11, महत्व देने के लिए अक्षरों को मोटा मेरी ओर से लिखा गया है)।

भविष्य के बारे में स्मरण रखने के लिए दूसरी बात यह है कि बाइबल "अन्तिम दिनों" या "अन्त के दिनों" में घटित होने वाली बातों को रूपरेखित करता है। क्योंकि बाइबल मनुष्य को दिया हुआ परमेश्‍वर का प्रकाशन है, और क्योंकि परमेश्‍वर भविष्य को जानता और इसे नियन्त्रण में रखता है (जैसा कि ऊपर यशायाह ने कहा है), तब यह उस तर्क को पूरा करता है, जिसे बाइबल में भविष्य में घटित होने वाली बातों के बारे में कहती है, हम इसके ऊपर विश्‍वास कर सकते हैं। भविष्य के बारे में कहे हुए पूर्वकथन के प्रति, बाइबल ऐसा कहती है, "क्योंकि कोई भी भविष्यद्वाणी मनुष्य की इच्छा से कभी नहीं हुई, पर भक्त जन पवित्र आत्मा के द्वारा उभारे जाकर परमेश्‍वर की ओर से बोलते थे" (2 पतरस 1:21)। यह सत्य इस तथ्य में प्रमाणित है कि अन्य धर्मों में या व्यक्तिगत् रूप से नास्त्रेदमस जैसे झूठे भविष्यद्वक्ताओं के विपरीत, बाइबल एक बार भी गलत नहीं हुई — जब कभी भी बाइबल ने भविष्य की घटना के लिए पूर्वकथन कहा है, यह ठीक वैसे ही घटित हुआ है, जैसे कि इसे पवित्रशास्त्र में कहा गया है।

जब इस बात पर विचार किया जाता है कि कैसे अन्त के समयों में बचा जाए और इसे समझा जाए, तब इन निम्न तीन प्रश्नों का उत्तर दीजिए :

1. जो कुछ बाइबल भविष्य (बाइबल की भविष्यद्वाणी) के बारे में कहती है, उसकी व्याख्या मैं कैसे करूँ?

2. बाइबल क्या कहती है कि अन्त के समयों में क्या घटित होगा?

3. जो कुछ बाइबल भविष्य के बारे में कहती है, वह कैसे मेरे द्वारा आज व्यतीत किए जाने वाले जीवन को प्रभावित करेगा?

बाइबल की भविष्यद्वाणी की व्याख्या कैसे की जाए

ऐसे कई दृष्टिकोण पाए जाते हैं कि किस तरीके का उपयोग तब किया जाना चाहिए जब अन्त के समयों के सम्बन्ध में दिए हुए सन्दर्भों की व्याख्या की जाती है। जबकि अच्छे लोग विभिन्न मान्यताओं का समर्थन करते हैं, तथापि इस बात पर विश्‍वास करने के लिए एक अच्छा कारण है कि बाइबल की भविष्यद्वाणी की व्याख्या (1) शाब्दिक, (2) एक भविष्यवादी दृष्टिकोण, और (3) जिसे "पूर्वसहस्त्रवर्षीयवाद" तरीका कहा जाता है, के साथ की जानी चाहिए। शाब्दिक व्याख्या को प्रोत्साहित करना यह सच्चाई है कि मसीह के आगमन के सम्बन्ध में 300 से अधिक भविष्यद्वाणियाँ पाई जाती हैं, जिसमें से सभी शाब्दिक रूप से पूर्ण हो चुकी हैं। मसीह के जन्म, जीवन, विश्‍वासघात, मृत्यु और पुनरुत्थान के प्रति की हुई भविष्यद्वाणियाँ रूपकात्मक या आत्मिक तरीके से पूरी नहीं हुई हैं। यीशु शाब्दिक रूप से बैतलहम में जन्मा था, उसके आश्चर्यकर्मों को प्रगट किया था, उसके घनिष्ठ मित्र के द्वारा उसे 30 चाँदी के सिक्के में बेचते हुए उसके साथ विश्‍वासघात किया गया था, उसके हाथों और पैरों में कीलों से ठोका गया था, उसकी मृत्यु चोरों के साथ हुई थी, उसे एक धनी पुरूष की कब्र में गाड़ा गया था, और वह अपनी मृत्यु के तीसरे दिन पश्चात् जीवित हो उठा था। इन सभी वर्णनों को यीशु के जन्म लेने से हजारों वर्षों पहले ही भविष्यद्वाणी के रूप में कह दिया गया है और यह सारी शाब्दिक रूप से पूरी हुई हैं। और जबकि विभिन्न भविष्यद्वाणियों में प्रतीकात्मकवाद (जैसे, अजगर, घोड़े, इत्यादि) प्रयुक्त हुए हैं, तथापि, ये सभी के सभी शाब्दिक प्राणियों या घटनाओं का चित्रण करते हैं, जैसा कि यीशु को सिंह और भेड़ के रूप में कहा गया है।

भविष्यवादी दृष्टिकोण के सम्बन्ध में, बाइबल स्पष्टता के साथ कहती है कि भविष्यद्वाणियों की पुस्तकें जैसे दानिय्येल और प्रकाशितवाक्य में न केवल ऐतिहासिक घटनाओं का ही विवरण दिया गया है, अपितु साथ ही ये भविष्य की घटनाओं की भविष्यद्वाणी थीं। यूहन्ना को उसके दिनों में कलीसियाओं को दिए हुए सन्देश के पश्चात्, उसने उन बातों के विषय में दर्शनों को प्राप्त किया जो कि अन्त के दिनों में घटित होने वाली थीं। यीशु के कहा था, "यहाँ ऊपर आ जा; और मैं वे बातें तुझे दिखाऊँगा, जिनका इन बातों के बाद पूरा होना अवश्य है" (प्रकाशितवाक्य 4:1, महत्व देने के लिए अक्षरों को मोटा मेरी ओर से किया गया है)।

कदाचित् भविष्यवादी दृष्टिकोण के सम्बन्ध में सबसे अधिक शाक्तिशाली तर्क परमेश्‍वर की अब्राहम के साथ इस्राएल की भूमि के सम्बन्ध में निर्मित की हुई प्रतिज्ञा (तुलना करें उत्पत्ति 12 और 15) में सम्मिलित है। क्योंकि परमेश्‍वर की अब्राहम के साथ बाँधी हुई वाचा शर्तहीन थी, और उसकी प्रतिज्ञाएँ अब्राहम की सन्तान के साथ अभी तक पूरी नहीं हुई हैं, इस कारण इस्राएल के साथ निर्मित की हुई प्रतिज्ञाओं के लिए एक भविष्यवादी दृष्टिकोण को होना अति अवश्यक है।

अन्त में, भविष्यद्वाणियों की व्याख्या का "पूर्वसहस्त्रवर्षीयवाद" तरीके से होने के सम्बन्ध में, इसका अर्थ यह है कि, प्रथम, कलीसिया का मेघारोहण अर्थात् हवा में उठा लिया जाना होगा, तत्पश्चात् यह संसार एक सात-वर्षों के महाक्लेशकाल का अनुभव में होकर जाएगा, और तब यीशु मसीह अपनी महिमा में शाब्दिक रूप से 1000 वर्षों के लिए इस पृथ्वी पर राज्य करने के लिए आएगा (प्रकाशितवाक्य 20)..

परन्तु बाइबल क्या कहती है कि इससे पहले क्या घटित होगा?

बाइबल क्या कहती है कि अन्त के समयों में क्या घटित होगा?

दुर्भाग्य से, बाइबल भविष्यद्वाणी करती है कि मसीह के पुन: आगमन के पहले विनाश, मानवीय पतन और धार्मिक धर्म त्याग होने के कारण मानव पतन के पथ पर अग्रसर होगा। पौलुस लिखता है, "पर यह स्मरण रख कि अन्तिम दिनों में कठिन समय आएँगे...परन्तु दुष्ट और बहकानेवाले धोखा देते हुए और धोखा, बिगड़ते चले जाएँगे" (2 तीमुथियुस 3:1, 13)। संसार निरन्तर परमेश्‍वर, उसके वचन और उसके लोगों को अस्वीकार करता चला जाएगा।

भविष्य में किसी दिन — एक ऐसा दिन जिसे कोई नहीं जानता — परमेश्‍वर कलीसिया के युग का अन्त मेघारोहण के नाम से जानी जाने वाली घटना के साथ कर देगा, जो पिन्तेकुस्त के दिन प्रथम सदी में आरम्भ हुआ था (तुलना करें प्रेरितों के काम अध्याय 2 के साथ)। उस समय, परमेश्‍वर मसीह में पाए जाने वाले सभी विश्‍वासियों को अपने अन्तिम न्याय की तैयारी के लिए इस पृथ्वी पर हटा लेगा। मेघारोहण के विषय में, पौलुस ऐसा कहता है, "क्योंकि यदि हम विश्‍वास करते हैं कि यीशु मरा, और जी भी उठा, तो वैसे ही परमेश्‍वर उन्हें भी जो यीशु में सो गए हैं, उसी के साथ ले आएगा। क्योंकि हम प्रभु के वचन के अनुसार तुम से यह कहते हैं कि हम जो जीवित हैं और प्रभु के आने तक बचे रहेंगे, सोए हुओं से कभी आगे न बढ़ेंगे। क्योंकि प्रभु आप ही स्वर्ग से उतरेगा; उस समय ललकार, और प्रधान दूत का शब्द सुनाई देगा, और परमेश्‍वर की तुरही फूँकी जाएगी, और जो मसीह में मरे हैं, वे पहले जी उठेंगे। तब हम जो जीवित और बचे रहेंगे, उन के साथ बादलों पर उठा लिए जाएँगे कि हवा में प्रभु से मिलें; और इस रीति से हम सदा प्रभु के साथ रहेंगे। इस प्रकार इन बातों से एक दूसरे को शान्ति दिया करो" (1 थिस्सलुनीकियों 4:14–18)।

शान्ति का पतन होना और उत्साह से पहले मानसिक अशान्ति में वृद्धि होना इत्यादि मेघारोहण से पहले घटित होगा जो अपने चरम पर तब पहुँच जाएगा जब इस पृथ्वी में से असँख्य गिनती में लोग लुप्त हो जाएँगे। इस तरह की घटना लोगों में भय का कारण बन जाएगी और लोग एक शक्तिशाली अगुवे की चाह करेंगे, जिसके पास संसार की सभी समस्याओं का उत्तर होगा। इस तरह के एक अगुवे की तैयारी कुछ समय से प्रगति पर है, क्योंकि इतिहासकार अर्नाल्ड टॉयन्बी ने ऐसा उल्लेख किया है, "मानव जाति पर अधिक से अधिक घातक हथियारों को दृढ़ता के साथ, और इसी समय पर विश्‍व को अधिक से अधिक आर्थिक रूप से आत्म-निर्भर बनाने से, प्रौद्योगिकी मानव जाति के ऊपर एक बहुत बड़े पैमाने पर ऐसे संकट को ले आई है कि इसके फलस्वरूप एक नए कैसर को प्राप्त कर लें, जो इस संसार की एकता और शान्ति प्रदान करने में सफलता प्राप्त कर ले।" पुनर्जीवित रोमी साम्राज्य में से एक, यूरोप के दस-निर्वाचन क्षेत्रों का एक में संगठित होना है (इसकी तुलना दानिय्येल 7:24; प्रकाशितवाक्य 13:1 से करें), मसीह विरोधी उठ खड़ा होगा और इस्राएल के राष्ट्र से एक वाचा को बाँधेगा, जिससे अधिकारिक रूप में मसीह के दूसरे आगमन से पहले के लिए परमेश्‍वर की भविष्यद्वाणी के सात वर्षों की उलटी गिनती आरम्भ हो जाएगी (दानिय्येल 9:27 के साथ तुलना करें)।

क्योंकि साढ़े तीन वर्षों तक, मसीह विरोधी इस पृथ्वी पर राज्य करेगा और शान्ति की स्थापना करेगा, परन्तु यह एक झूठी शान्ति होगी, जो इस पृथ्वी के लोगों को अपने फन्दे में ले लेगी। बाइबल कहती है, "जब लोग कहते होंगे, 'कुशल हैं, और कुछ भय नहीं!' तो उन पर एकाएक विनाश आ पड़ेगा, जिस प्रकार गर्भवती पर पीड़ा; और वे किसी रीति से बचेंगे" (1 थिस्सलुनीकियों कि 5:3)। लड़ाइयाँ, भूकम्प और अकाल में वृद्धि हो जाएगी (इसकी तुलना मत्ती 24:7 के साथ करें) मसीह विरोधी के 3.5 वर्षों के राज्य के अन्त में, जब वह यरूशलेम में पुनः निर्मित मन्दिर में प्रवेश करेगा और स्वयं को परमेश्‍वर घोषित कर देगा और लोगों से आराधना की माँग करेगा (इसकी तुलना 2 थिस्सलुनीकियों 2:4; मत्ती 24: 15 के साथ करें)। यही वह समय बिन्दु होगा जब सच्चा परमेश्‍वर इस चुनौती के प्रति प्रतिक्रिया व्यक्त करेगा। क्योंकि आगे के अतिरिक्त 3.5 वर्षों में, महाक्लेश का काल घटित होगा, यह ऐसा होगा जैसा कि किसी ने पहले कभी नहीं देखा है। यीशु ने भविष्यद्वाणी की थी, "क्योंकि उस समय ऐसा भारी क्लेश होगा, जैसा जगत के आरम्भ से न अब तक हुआ और न कभी होगा। यदि वे दिन घटाए न जाते तो कोई प्राणी न बचता; परन्तु चुने हुओं के कारण वे दिन घटाए जाएँगे" (मत्ती 24:21–22)।

महाक्लेश या महासंकट के समय अँसख्य जीवनों का नुक्सान और पृथ्वी पर विनाश प्रगट होगा। इसके अतिरिक्त, मसीह में एक बड़ी सँख्या में लोग विश्‍वास करेंगे, तथापि ऐसा बहुत से लोग अपने जान की कीमत पर करेंगे। परमेश्‍वर का तब भी नियन्त्रण होगा जब वह इस संसार की अविश्‍वासी सेनाओं को इसलिए इकट्टा करेगा ताकि उनका न्याय करे। इस घटना के विषय में, भविष्यद्वक्ता योएल ने ऐसे लिखा है, "उस समय में सब जातियों को इकट्ठी करके यहोशापात की तराई में ले जाऊँगा, और वहाँ उनके साथ अपनी प्रजा अर्थात् अपने निज भाग इस्राएल के विषय में जिसे उन्होंने जाति-जाति में तित्तर-बित्तर करके मेरे देश को बाँट लिया है, उनसे मुकद्दमा लडूँगा" (योएल 3:2)। यूहन्ना इस युद्ध को इस तरीके से लिपिबद्ध करता है: "फिर मैं ने उस अजगर [शैतान] के मुँह से, और उस पशु [मसीह विरोधी] के मुँह से और उस झूठे भविष्यद्वक्ता के मुँह से तीन अशुद्ध आत्माओं को मेंढ़कों के रूप में निकलते देखा। ये चिन्ह दिखानेवाली दुष्टात्माएँ हैं, जो सारे संसार के राजाओं के पास निकलकर इसलिये जाती हैं कि उन्हें सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर के उस बड़े दिन की लड़ाई के लिये इकट्ठा करें... और उन्होंने उनको उस जगह इकट्ठा किया जो इब्रानी में हर- मगिदोन कहलाता है" (प्रकाशितवाक्य 16:13–16)।

समय के इस बिन्दु पर, यीशु मसीह की वापसी होगी, वह उसके शत्रुओं को नाश करेगा, और इस संसार पर अपना दावा प्रस्तुत करेगा, जो सही में उसका ही है। "फिर मैं ने स्वर्ग को खुला हुआ देखा; और देखता हूँ कि एक श्वेत घोड़ा है; और उस पर एक सवार है, जो विश्‍वास योग्य और सत्य कहलाता है; और वह धर्म के साथ न्याय और युद्ध करता है। उस की आँखें आग की ज्वाला हैं, और उसके सिर पर बहुत से राजमुकुट हैं। और उसका एक नाम लिखा है, जिसे उस को छोड़ और कोई नहीं जानता। और वह लहू से छिड़का हुआ वस्त्र पहिने है, और उसका नाम परमेश्‍वर का वचन है। स्वर्ग की सेना श्वेत घोड़ों पर सवार और श्वेत और शुद्ध मलमल पहिने हुए उसके पीछे पीछे है। जाति जाति को मारने के लिये उसके मुँह से एक चोखी तलवार निकलती है। और वह लोहे का राजदण्ड लिए हुए उन पर राज्य करेगा, और वह सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर के भयानक प्रकोप की जलजलाहट की मदिरा के कुण्ड में दाख रौंदेगा। और उसके वस्त्र और जाँघ पर यह नाम लिखा है, 'राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु।' फिर मैं ने एक स्वर्गदूत को सूर्य पर खड़े हुए देखा। उसने बड़े शब्द से पुकारकर आकाश के बीच में से उड़नेवाले सब पक्षियों से कहा, 'आओ परमेश्‍वर के बड़े भोज के लिये इकट्ठे हो जाओ। जिस से तुम राजाओं का मांस, और सरदारों का मांस, और शक्तिमान पुरूषों का मांस, और घोड़ों का, और उन के सवारों का मांस, और क्या स्वतन्त्र, क्या दास, क्या छोटे, क्या बड़े, सब लोगों का मांस खाओ।' फिर मैं ने उस पशु और पृथ्वी के राजाओं और उन की सेनाओं को उस घोड़े के सवार और उसकी सेना से लड़ने के लिये इकट्ठे देखा। वह पशु और उसके साथ वह झूठा भविष्यद्वक्ता पकड़ा गया, जिसने उसके सामने ऐसे चिन्ह दिखाए थे जिनके द्वारा उसने उनको भरमाया, जिन पर उस पशु की छाप थी और जो उसकी मूर्ति की पूजा करते थे। ये दोनों जीते जी उस आग की झील में, जो गन्धक से जलती है, डाले गए। और शेष लोग उस घोड़े के सवार की तलवार से जो उसके मुँह से निकलती थी, मार डाले गए; और सब पक्षी उनके मांस से तृप्त हो गए" (प्रकाशितवाक्य 19:11–21)।

मसीह के द्वारा उसके सभी शत्रुओं की हर-मगिद्दोन की घाटी में एकत्र हुई सारी सेनाओं को पराजित कर देने के पश्चात्, वह उसके सन्तों के साथ एक हजार वर्षों के लिए राज्य करेगा और इस्राएल को पूरी तरह से उसकी भूमि के ऊपर स्थापित करेगा। एक हजार वर्षों के पूरा होने के अन्त में, जातियों और बचे रह गए मनुष्यों के ऊपर उसका अन्तिम न्याय प्रगट होगा, तत्पश्चात्, शाश्‍वतकालीन युग का आरम्भ हो जाएगा : जिसमें या तो परमेश्‍वर के साथ रहना होगा या फिर उससे पृथक रहना होगा (इसकी तुलना प्रकाशितवाक्य 20-21 के साथ करें।

ऊपर दी हुई घटनाएँ न तो सम्भावनाएँ न ही कथा कहानियाँ हैं — ये सटीकता के साथ वैसे ही घटित होंगी जैसे कि इन्हें भविष्य के लिए ठहराया गया है। ठीक जैसे बाइबल की मसीह के सम्बन्ध में की गई प्रथम आगमन सम्बन्धी भविष्यद्वाणी सच्ची ठहरी है, वैसे ही उसके दूसरे आगमन के सम्बन्ध में बाइबल की भविष्यद्वाणियाँ सत्य ठहरेंगी।

इन भविष्यद्वाणियों की सत्यता के कारण, हमारे ऊपर अब इनका क्या प्रभाव पड़ना चाहिए? पतरस ने इस प्रश्‍न को पूछा था : "जबकि ये सब वस्तुएँ इस रीति से पिघलनेवाली हैं, तो तुम्हें पवित्र चालचलन और भक्ति में कैसे मनुष्य होना चाहिए। और परमेश्‍वर के उस दिन की बाट किस रीति से जोहना चाहिए और उसके जल्द आने के लिये कैसा यत्न करना चाहिए, जिसके कारण आकाश आग से पिघल जाएँगे, और आकाश के गण बहुत ही तप्त होकर गल जाएँगे" (2 पतरस 3:11–12)।

आज हमारे ऊपर बाइबल की भविष्यद्वाणी का प्रभाव

बाइबल की भविष्यद्वाणी के प्रति हम में चार तरह की प्रतिक्रियाएँ होनी चाहिए। पहली, आज्ञाकारिता की है, जिसे पतरस ने उपरोक्त वचन में बोला है। यीशु निरन्तर हम से उसके आगमन के लिए तैयार रहने के लिए कहता है, जो किसी भी समय घटित होगा (इसकी तुलना मरकुस 13:33-37 के साथ करें) और इस तरह से जीवन यापन करने के लिए हमें किसी भी तरह से हमारे व्यवहार में शर्मिन्दा नहीं होना चाहिए।

दूसरी प्रतिक्रिया आराधना होनी चाहिए। परमेश्‍वर ने अन्त-के समय के न्याय से बचने के लिए एक बचाव के मार्ग का प्रबन्ध किया है — यह यीशु के द्वारा प्रस्तावित उद्धार के मुफ्त में दिया जाने वाला उपहार है। हमें सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि हम उसके उद्धार को प्राप्त करें और उसके सामने कृतज्ञता से भरे हुए जीवन को यापन करें। इस पृथ्वी पर की गई हमारी आराधना किसी दिन स्वर्ग की आराधना बन जाएगी: "वे यह नया गीत गाने लगे, "तू इस पुस्तक के लेने, और इसकी मुहरें खोलने के योग्य है; क्योंकि तूने वध होकर अपने लहू से हर एक कुल और भाषा और लोग और जाति में से परमेश्‍वर के लिये लोगों को मोल लिया है" (प्रकाशितवाक्य 5:9)।

तीसरी प्रतिक्रिया उदघोषणा की है। परमेश्‍वर के उद्धार और उसके द्वितीय आगमन के सत्य का सन्देश सभों को सुनाए जाने के लिए घोषणा किया जाना आवश्यक है, विशेष रूप से उन्हें जिन्होंने अभी तक विश्‍वास नहीं किया है। हमें प्रत्येक व्यक्ति को परमेश्‍वर की ओर मुड़ने और उसके आने वाले क्रोध से बचने का अवसर प्रदान करना चाहिए। प्रकाशितवाक्य 22:10 कहता है, "फिर उसने मुझ से कहा, 'इस पुस्तक की भविष्यद्वाणी की बातों को बन्द मत कर; क्योंकि समय निकट है।'"

अन्तिम प्रतिक्रिया परमेश्‍वर के भविष्यद्वाणी किए हुए वचन के प्रति सेवा किए जाने का है। सभी विश्‍वासियों को चाहिए कि वे परिश्रम के साथ परमेश्‍वर की इच्छा को पूरा करें और भले कामों को प्रदर्शित करें। मसीह के न्याय का एक अंश उन कामों की जाँच होगा, जिन्हें विश्‍वासियों ने प्रदर्शित किया है। ये एक मसीही विश्‍वासी को स्वर्ग ले जाने के लिए निर्धारित नहीं करते हैं, परन्तु ये अवश्य इस बात को दिखाते हैं कि एक विश्‍वासी ने उसके परमेश्‍वर द्वारा प्रदान किए हुए वरदान के साथ क्या किया। पौलुस इस न्याय के बारे में ऐसा कहता है, "क्योंकि अवश्य है कि हम सब का हाल मसीह के न्याय आसन के सामने खुल जाए, कि हर एक व्यक्ति अपने अपने भले बुरे कामों का बदला जो उसने देह के द्वारा किए हों पाए" (1 कुरिन्थियों 5:10)।

सारांश में, परमेश्‍वर इस संसार के सभी लोगों और सारी घटनाओं के ऊपर सर्वोच्च है। उसका पूरी दृढ़ता के साथ सभी वस्तुओं के ऊपर नियन्त्रण है और वही जिसने सभी कुछ को आरम्भ किया का अन्त पूर्णता के साथ ले आएगा। एक प्राचीन मसीही गीत इस बात को कुछ इस तरह से लिखता है: "सब कुछ परमेश्‍वर की सृष्टि है...उसके हाथों की रचना...शैतान और उद्धार....एक ही के हाथों के नीचे है।"

पूर्ण हो चुकी भविष्यद्वाणियाँ एक प्रमाण हैं कि बाइबल एक अलौकिक पुस्तक है। पुराने नियम की हजारों भविष्यद्वाणियाँ पहले से ही पूरी हो चुकी हैं और तर्कसंगत रूप में यह निष्कर्ष को देना सही होगा कि जो कुछ यह अन्त के समय के बारे में कहती है, वह भी अवश्य ही पूरा होगा। क्योंकि जो लोग यीशु को जानते हैं और जिन्होंने उसे अपना प्रभु और उद्धारकर्ता करके स्वीकार किया है, उसका आगमन उनके लिए धन्य आशा होगा (इसकी तुलना 2:13 के साथ करें)। परन्तु जिन्होंने मसीह को अस्वीकार कर दिया, वह उसके पवित्र क्रोध के नीचे हैं (इसकी तुलना 2 थिस्सलुनीकियों 1:8 से करें)। निष्कर्ष पंक्ति यह है: अन्त के समय में बचने के लिए, यह सुनिश्चित कर लें कि आप मसीह के एक विश्‍वासी हैं: "क्योंकि परमेश्‍वर ने हमें क्रोध के लिये नहीं, परन्तु इसलिये ठहराया कि हम अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा उद्धार प्राप्त करें" (1 थिस्सलुनीकियों 5:9)।

English



हिन्दी के मुख्य पृष्ठ पर वापस जाइए

अन्त के समयों में बचे रहना — मुझे इसके बारे में क्या जानने की आवश्यकता है?
इस पृष्ठ को साझा करें: Facebook icon Twitter icon YouTube icon Pinterest icon Email icon
© Copyright Got Questions Ministries