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प्रश्न

परमेश्‍वर की मुहर क्या है?

उत्तर


बाइबल में पाँच वचन ऐसे पाए जाते हैं, जो "परमेश्‍वर की मुहर" या परमेश्‍वर द्वारा मुहरबन्द की गई एक वस्तु या व्यक्ति का उल्लेख करते हैं (यूहन्ना 6:27; 2 तीमुथियुस 2:19; प्रकाशितवाक्य 6:9; 7:2; और 9:4)। नए नियम में शब्द मुहरबन्द एक यूनानी शब्द से आया है, जिसका अर्थ "किसी व्यक्तिगत् चिह्न के साथ मुहर लगाना" होता है, ताकि किसी वस्तु को गुप्त रखना या सुरक्षित रखना या मुहरबन्द वस्तु को सुरक्षित रखना उसके हित में हो। आधिकारिक व्यवसाय के लिए मुहरों का उपयोग किया जाता था: उदाहरण के लिए, एक रोमी सूबेदार, एक दस्तावेज़ को मुहरबन्द इसलिए करता था, ताकि इसे केवल उसका अधिकारी ही देखे। यदि मुहर टूट गई थी, तो दस्तावेज़ को प्राप्त करने वाले को पता चल जाता था कि पत्र के साथ छेड़छाड़ की गई थी या इसे मुहरबन्द प्राप्त करने वाले के अतिरिक्त किसी अन्य व्यक्ति के द्वारा भी पढ़ा गया था।

प्रकाशितवाक्य 7:3–4 और 9:4 में उन लोगों के समूह का वर्णन है, जिन्हें परमेश्‍वर के द्वारा मुहरबन्द किया गया है, और इस प्रकार क्लेश के समय उनकी सुरक्षा की गई थी। पाँचवीं तुरही के न्याय के समय, अथाह कुण्ड की टिड्डियों ने पृथ्वी के लोगों के ऊपर "बिच्छुओं की सी शक्ति" के साथ आक्रमण किया (प्रकाशितवाक्य 9:3)। यद्यपि, ये शैतानिक टिड्डियाँ उन बातों में सीमित थीं, जिनमें वे नुकसान पहुँचा सकती हैं: "उनसे कहा गया कि न पृथ्वी की घास को, न किसी हरियाली को, न किसी पेड़ को हानि पहुँचाएँ, केवल उन मनुष्यों को हानि पहुँचाएँ जिनके माथे पर परमेश्‍वर की मुहर नहीं है" (प्रकाशितवाक्य 9:4)। जिन व्यक्तियों को परमेश्‍वर के द्वारा चिह्नित किया गया है, वे सुरक्षित हैं। क्लेश के समय परमेश्‍वर की मुहर पशु के चिन्ह के प्रति प्रत्यक्ष रीति से विपरीत है, जो लोगों को शैतान के अनुयायियों के रूप में पहचानती है (प्रकाशितवाक्य 13:16-18)।

पौलुस मूलभूत सत्य के सन्दर्भ में परमेश्‍वर की मुहर की बात करता है। वह तीमुथियुस को बताता है कि झूठे सिद्धान्त प्रसारित हो रहे हैं और कुछ लोग विश्‍वासियों के विश्‍वास को नष्ट करने का प्रयास कर रहे थे। तब वह इस प्रोत्साहन को प्रदान करता है: "तौभी परमेश्‍वर की पक्‍की नींव बनी रहती है, और उस पर यह छाप लगी है : 'प्रभु अपनों को पहिचानता है,' और 'जो कोई प्रभु का नाम लेता है, वह अधर्म से बचा रहे'" (2 तीमुथियुस 2:19)। चित्र एक भवन की नींव का है, जो भवन के उद्देश्य को देते हुए दो कथनों के साथ अंकित किया गया है। कलीसिया की नींव रखी गई है (इफिसियों 2:20), और शाश्‍वतकालीन "मुहर" या शिलालेख - परमेश्‍वर में विश्‍वास करने और पाप से दूर होने के दो पहलुओं को सारांशित करता है (देखें मरकुस 1:15)। यह सन्दर्भ बड़े घर की सामग्री का वर्णन करते हुए आगे बढ़ता है: कुछ पात्र आदर के योग्य और कुछ अनादर के लिए उपयोग होने के लिए हैं। "यदि कोई अपने आप को इनसे शुद्ध करेगा, तो वह आदर का बरतन और पवित्र ठहरेगा; और स्वामी के काम आएगा, और हर भले काम के लिये तैयार होगा" (2 तीमुथियुस 2:21)।

यीशु मसीह ने परमेश्‍वर की मुहर को धारण किया है: "क्योंकि पिता अर्थात् परमेश्‍वर ने उसी पर छाप लगाई है" (यूहन्ना 6:27)। जो लोग यीशु के ऊपर भरोसा करते हैं, उनके ऊपर परमेश्‍वर के पवित्र आत्मा की मुहर अर्थात् छाप लगती है: “और उसी में तुम पर भी, जब तुम ने सत्य का वचन सुना जो तुम्हारे उद्धार का सुसमाचार है और जिस पर तुम ने विश्‍वास किया, प्रतिज्ञा किए हुए पवित्र आत्मा की छाप लगी। वह उसके मोल लिये हुओं के छुटकारे के लिये हमारी मीरास का बयाना है, कि उसकी महिमा की स्तुति हो” (इफिसियों 1:13-14)। यह जानना अच्छा है कि इस क्षणभंगुरता से भरे हुए संसार की दुष्टता के मध्य परमेश्‍वर की सन्तान मुहरबन्द, सुरक्षित और स्थाई रूप से बनी रहती हैं।

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