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प्रश्न

शैतान कैसे इस संसार का ईश्‍वर है (2 कुरिन्थियों 4:4)?

उत्तर


वाक्यांश "इस संसार का ईश्‍वर" (या "इस युग का ईश्‍वर") इंगित करता है कि शैतान का अधिकांश लोगों के विचारों, धारणाओं, लक्ष्यों, आशाओं और दृष्टिकोणों के ऊपर प्रमुख प्रभाव है। उसके प्रभाव में विश्‍व के दर्शन, शिक्षा और वाणिज्य इत्यादि भी सम्मिलित हैं। संसार के विचार, धाराणाएँ, अनुमान और झूठे धर्म उसके नियन्त्रण में हैं और ये उसके झूठ और धोखे से उभरे हैं।

शैतान को साथ ही इफिसियों 2:2 में "आकाश के अधिकार का हाकिम" भी कह कर पुकारा गया है। वह यूहन्ना 12:31 में "संसार का सरदार" है। ये पदवियाँ और कई अन्य शैतान की क्षमताओं को इंगित करती हैं। उदाहरण के लिए, यह कहना कि, शैतान "आकाश के अधिकार का हाकिम" है, का अर्थ यह इंगित करता है कि किसी तरह से उसके पास इस संसार और इस में रहने वालों के ऊपर शासन करने का अधिकार है।

ऐसा कहने का यह अर्थ नहीं है कि वही पूरी तरह से संसार के ऊपर शासन कर रहा है; परमेश्‍वर अभी भी सर्वोच्च है। परन्तु इसके कहने का अर्थ यह है कि परमेश्‍वर ने अपने असीमित ज्ञान में, शैतान को इस संसार के ऊपर परमेश्‍वर के द्वारा निर्धारित सीमाओं में रहते हुए कार्य करने के लिए अनुमति प्रदान की है। जब बाइबल कहती है कि शैतान के पास इस संसार के ऊपर शासन करने का अधिकार है, तो हमें अवश्य ही स्मरण रखना चाहिए कि परमेश्‍वर ने उसे यह अधिकार केवल अविश्‍वासियों के ऊपर ही दिया है। मसीही विश्‍वासी अब और अधिक शैतान के शासन के अधीन नहीं हैं (कुलुस्सियों 1:13)। दूसरी ओर, अविश्‍वासी "शैतान के फँदे" में (2 तीमुथियुस 2:26), "दुष्ट की शक्ति" के झूठ में (1 यूहन्ना 5:19), और शैतान के बन्धन में बँध चुके हैं (इफिसियों 2:2)।

इस कारण, जब बाइबल यह कहती है कि शैतान इस "संसार का ईश्‍वर" है, तो वह यह नहीं कह रही है कि उसके पास अन्तिम अधिकार है। यह इस विचार को दे रही है कि शैतान विशेष तरीके से अविश्‍वासी संसार के ऊपर शासन करता है। 2 कुरिन्थियों 4:4 में, अविश्‍वासी शैतान की कार्य सूची का अनुसरण करने के विषय में दिया हुआ है: "और उन अविश्‍वासियों के लिये, जिन की बुद्धि को इस संसार के ईश्‍वर ने अँधी कर दी है, ताकि मसीह जो परमेश्‍वर का प्रतिरूप है, उसके तेजोमय सुसमाचार का प्रकाश उन पर न चमके।" शैतान की साजिशों में इस संसार में झूठे दर्शनों की वृद्धि करना सम्मिलित है — ऐसे दर्शन जो अविश्‍वासियों को सुसमाचार के सत्य के प्रति अँधा बनाए रखते हैं। शैतान के दर्शन ऐसे गढ़ हैं, जिनमें लोग कैदी बने हुए हैं, और उन्हें अवश्य ही मसीह के द्वारा स्वतन्त्र होना चाहिए।

इस तरह के एक झूठी दर्शन का उदाहरण यह मान्यता है कि एक व्यक्ति परमेश्‍वर के अनुग्रह को निश्चित कार्य या गतिविधि के द्वारा प्राप्त कर सकता है। लगभग प्रत्येक झूठे धर्म में, परमेश्‍वर के अनुग्रह को कार्यों या शाश्‍वतकाल जीवन को अर्जित करने का विषय प्रमुखता से पाया जाता है। तथापि, कामों के द्वारा उद्धार को अर्जित करना, बाइबल आधारित प्रकाशन के विपरीत है। मनुष्य परमेश्‍वर की कृपा को कर्मों के द्वारा प्राप्त नहीं कर सकता है; अनन्त जीवन एक मुफ्त में दिया जाने वाला उपहार है (देखें इफिसियों 2:8-9)। और यह मुफ्त उपहार यीशु मसीह के द्वारा और केवल उसी में ही उपलब्ध है (यूहन्ना 3:16; 14:6)। हो सकता है कि आप पूछे कि क्यों मनुष्य सरलता से उद्धार के इस मुफ्त वरदान को प्राप्त कर लेता है (यूहन्ना 1:12)। इसका उत्तर शैतान — इस संसार का ईश्‍वर है — जिसने मनुष्य को उसके घमण्ड का अनुसरण करने के लिए परीक्षा में डाला था। शैतान कार्य सूची को निर्धारित करता है, अविश्‍वासी संसार उसका अनुसरण करता है, और मानव जाति निरन्तर धोखे में पड़ी रहती है। इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि इसलिए ही पवित्र शास्त्र शैतान को झूठा कह कर पुकारता है (यूहन्ना 8:44)।

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शैतान कैसे इस संसार का ईश्‍वर है (2 कुरिन्थियों 4:4)?
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