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प्रश्न

उद्धार की योजना क्या है?

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उत्तर


उद्धार, मोक्ष या मुक्ति या छुटकारा है। विश्व के सभी धर्म शिक्षा देते हैं कि हमें छुटकारे को प्राप्त करने की आवश्यकता है, परन्तु प्रत्येक की समझ एक दूसरे से भिन्न है कि हमें किस से छुटकारे को प्राप्त करने की आवश्यकता है, हमें क्यों छुटकारे को पाने की आवश्यकता है, और छुटकारे को कैसे प्राप्त किया जा सकता है या यह कैसे उपलब्ध हो सकता है। यद्यपि, बाइबल बहुतायत के साथ स्पष्ट करती है कि उद्धार की केवल एक ही योजना है।


उद्धार की योजना के बारे में समझने के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह मनुष्य की योजना नहीं अपितु परमेश्‍वर की योजना है। मनुष्य के उद्धार की योजना धार्मिक अनुष्ठानों या कुछ निश्चित आदेशों का पालन करना या आध्यात्मिक ज्ञान के कुछ निश्चित स्तरों को प्राप्त करने की है। परन्तु, इन बातों में से किसी का भी परमेश्‍वर की उद्धार की योजना में कोई हिस्सा नहीं है।

परमेश्‍वर की उद्धार की योजना – क्यों
परमेश्‍वर की उद्धार की योजना में, सबसे पहले हमें समझना चाहिए कि हमें क्यों बचाए जाने की आवश्यकता है। सीधे शब्दों में कहें, तो हमें इसलिए बचने की आवश्यकता है, क्योंकि हमने पाप किया है। बाइबल घोषित करती है कि सब ने पाप किया है (सभोपदेशक 7:20; रोमियों 3:23; 1 यूहन्ना 1:8)। पाप परमेश्‍वर के विरूद्ध विद्रोह है। हम सभी सक्रिय रूप से गलत बातों को करने का विकल्प चुनते हैं। पाप दूसरों को नुकसान पहुँचाता है, हमें नुकसान पहुँचाता है, और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि परमेश्वर का अपमान करता है। बाइबल यह भी सिखाती है कि, क्योंकि ईश्‍वर पवित्र और धर्मी है, इसलिए वह पाप को दण्ड दिए बिना ऐसे ही नहीं छोड़ सकता है। पाप की सजा मृत्यु (रोमियों 6:23) और परमेश्वर से शाश्‍वतकाल की पृथकता है (प्रकाशितवाक्य 20:11-15)। परमेश्‍वर की उद्धार की योजना के बिना, अनन्त काल के लिए मृत्यु ही प्रत्येक व्यक्ति का गतव्य है।

परमेश्‍वर की उद्धार की योजना - क्या
परमेश्‍वर की उद्धार की योजना में, परमेश्‍वर स्वयं ही एकमात्र ऐसा है जो हमें उद्धार प्रदान कर सकता है। हम अपने पाप और इसके परिणामों के कारण स्वयं को बचाने में पूरी तरह असमर्थ हैं। ईश्‍वर यीशु मसीह के व्यक्ति में मनुष्य बन गया (यूहन्ना 1: 1, 14)। यीशु ने एक पापहीन जीवन को व्यतीत किया (2 कुरिन्थियों 5:21; इब्रानियों 4:15; 1 यूहन्ना 3: 5) और अपनी ओर से एक पूर्ण बलिदान के रूप में स्वयं को चढ़ा दिया (1 कुरिन्थियों 15:3; कुलुस्सियों 1:22; इब्रानियों 10:10) । चूंकि यीशु ईश्‍वर है, इसलिए उसकी मृत्यु अनन्त और शाश्‍वत मूल्य की थी। क्रूस पर यीशु मसीह की मृत्यु ने पूरे संसार के पापों के लिए मूल्य को अदा कर दिया (1 यूहन्ना 2:2)। मृतकों में से हुए उसके पुनरुत्थान से पता चलता है कि उनका बलिदान वास्तव में पर्याप्त था और उद्धार अब उपलब्ध है।

परमेश्‍वर की उद्धार की योजना – कैसे
प्रेरितों 16:31 में, एक व्यक्ति ने प्रेरित पौलुस से पूछा कि कैसे बचा जा सकता है। पौलुस ने उसे यह उत्तर दिया, "प्रभु यीशु मसीह पर विश्‍वास कर, तो तू और तेरा घराना उद्धार पाएगा।" परमेश्‍वर की उद्धार की योजना का पालन करने का तरीका विश्‍वास करना है। यही केवल एकमात्र शर्त है (यूहन्ना 3:16; इफिसियों 2:8-9)। परमेश्‍वर ने यीशु मसीह के माध्यम से हमारे उद्धार के लिए प्रदान किया है। हमें तो इसके केवल इतना ही करना है कि विश्‍वास के द्वारा उद्धारकर्ता के रूप में यीशु के ऊपर भरोसा करें (यूहन्ना 14:6; प्रेरितों 4:12)। यही है परमेश्‍वर की उद्धार की योजना।

परमेश्‍वर की उद्धार की योजना – क्या आप इसे स्वीकार करेंगे?
यदि आप परमेश्‍वर की उद्धार की योजना को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं, तो अपने उद्धारकर्ता के रूप में यीशु में अपने विश्‍वास को रखें। पाप को अपनाने और परमेश्‍वर को अस्वीकार करने के स्थान पर पाप को अस्वीकार करने और यीशु मसीह के माध्यम से परमेश्‍वर को अपनाने की ओर अपने मन को परिवर्तित करें। यीशु के बलिदान में अपने पापों के लिए पूर्ण और पूरी तरह से अदा कर दिए हुए मूल्य के रूप में भरोसा करें। यदि आप ऐसा करेंगे, तब परमेश्‍वर के वचन की प्रतिज्ञा यह है कि वह आपको बचाएगा, आपके पाप क्षमा हो जाएँगे, और आप स्वर्ग में शाश्‍वतकाल के जीवन को पाएँगे। इससे बढ़कर कोई ओर महत्वपूर्ण निर्णय नहीं हो सकता है। आज ही यीशु मसीह को अपना उद्धारकर्ता मानते हुए अपने विश्वास को उसमें रखें!

जो कुछ आपने यहाँ पढ़ा है क्या उसके कारण आपने मसीह के पीछे चलने के लिए निर्णय लिया है? यदि ऐसा है तो कृप्या नीचे दिए हुए "मैंने आज यीशु को स्वीकार कर लिया है" वाले बटन को दबाइये।

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