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प्रश्न

यीशु ने हमारे छुड़ौती का और कैसे भुगतान किया?

उत्तर


एक छुटकारे का दाम या फिरौती एक ऐसी रकम होती है, जिसे किसी बन्दी बनाए हुए व्यक्ति के छुटकारे के लिए भुगतान किया जाता है। यीशु ने पाप, मृत्यु और नरक से हमें मुक्त करने के लिए हमारे छुटकारे के दाम का भुगतान किया। निर्गमन, लैव्यव्यस्था, गिनती और व्यवस्थाविवरण के पूरे हिस्सों में बलिदानों के लिए परमेश्‍वर की शर्तों को पाया जाता है। पुराने नियम के समयों में, परमेश्‍वर ने इस्राएलियों को वैकल्पिक प्रायश्चित के लिए पशुओं के बलिदानों को देने का आदेश दिया था; अर्थात्, पाप के लिए मृत्यु का दण्ड होने का कारण, एक पशु की मृत्यु एक व्यक्ति की मृत्यु के स्थान पर होती थी (रोमियों 6:23)। निर्गमन 29:36अ कहता है, "पापबलि के लिए एक बछड़ा प्रायश्चित के लिये प्रतिदिन चढ़ाना।"

परमेश्‍वर पवित्रता की मांग करता है (1 पतरस 1:15-16)। परमेश्‍वर की व्यवस्था पवित्रता की मांग करती है। हम परमेश्‍वर को पूर्ण पवित्रता इसलिए नहीं दे सकते क्योंकि हमने पाप किया है (रोमियों 3:23); इसलिए, परमेश्‍वर उसकी व्यवस्था की सन्तुष्टि की मांग करता है। इस शर्त के बलिदान उसको सन्तुष्टि प्रदान करते थे। इसे ही पूरा करने के लिए यीशु आ गया। इब्रानियों 9:12-15 हमसे ऐसे कहता है, "और बकरों और बछड़ों के लहू के द्वारा नहीं, पर अपने ही लहू के द्वारा, एक ही बार पवित्र स्थान में प्रवेश किया और अनन्त छुटकारा प्राप्त किया। क्योंकि जब बकरों और बैलों का लहू और कलोर की राख अपवित्र लोगों पर छिड़का जाने से शरीर की शुद्धता के लिये पवित्र करती है। तो मसीह का लहू जिस ने अपने आप को सनातन आत्मा के द्वारा परमेश्‍वर के सामने निर्दोष चढ़ाया, तुम्हारे विवेक को मरे हुए कामों से क्यों न शुद्ध करेगा ताकि तुम जीवते परमेश्‍वर की सेवा करो। इसी कारण वह नई वाचा का मध्यस्थ्य है, ताकि उसकी मृत्यु के द्वारा जो पहली वाचा के समय के अपराधों से छुटकारा पाने के लिये हुई है, बुलाए हुए लोग प्रतिज्ञा के अनुसार अनन्त मीरास को प्राप्त करें।"

साथ ही रोमियों 8:3-4 कहता है, "क्योंकि जो काम व्यवस्था शरीर के कारण दुर्बल होकर न कर सकी, उस को परमेश्‍वर ने किया, अर्थात् अपने ही पुत्र को पापमय शरीर की समानता में और पापबलि होने के लिये भेजकर, शरीर में पाप पर दण्ड की आज्ञा दी। इसलिये कि व्यवस्था की विधि हममें जो शरीर के अनुसार नहीं वरन् आत्मा के अनुसार चलते हैं, पूरी की जाए।"

स्पष्ट है कि यीशु ने परमेश्‍वर को हमारे जीवनों के छुटकारे के दाम का भुगतान किया। यह छुड़ौती उसका अपना जीवन था, उसका अपने लहू को बहाना, एक बलिदान था। उसकी बलिदानात्मक मृत्यु के कारण, इस पृथ्वी के प्रत्येक व्यक्ति को प्रायश्चित के वरदान को स्वीकार करने का अवसर प्रदान किया गया और परमेश्‍वर की ओर से क्षमा किया गया है। क्योंकि उसकी मृत्यु के बिना, परमेश्‍वर की व्यवस्था को अभी भी — हमारी अपनी मृत्यु के द्वारा सन्तुष्टि होने की आवश्यकता होती।

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