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प्रश्न

पुरानी पृथ्वी वाला सृजनवादी दृष्टिकोण क्या है?

उत्तर


कृपया ध्यान दें, एक सेवकाई के रूप में, gotquestions आधिकारिक रूप से युवा पृथ्वी वाले सृजनवादी दृष्टिकोण को अपनाती है। हम वास्तव में और पूरी तरह से विश्‍वास करते हैं कि युवा पृथ्वी वाला सृजनवादी दृष्टिकोण सृष्टि के लिए दिए हुए बाइबल के वृतान्त के साथ अपने सबसे अच्छे रूप को व्यक्त करता है। यद्यपि, हम मानते हैं कि पुरानी पृथ्वी वाला सृजनवाद एक मान्य दृष्टिकोण है, जिसे एक मसीही विश्‍वासी थामे रह सकता है। किसी भी अर्थ में पुरानी पृथ्वी वाला सृजनवाद झूठी शिक्षा नहीं है और किसी भी अर्थ में पुराने पृथ्वी वाले दृष्टिकोण में विश्‍वास रखने वाले सृजनवादियों को मसीह में भाइयों और बहनों के रूप में नहीं छोड़ा जाना चाहिए। हमने सोचा कि इसके प्रति एक ऐसा लेख लिखना लाभप्रद होगा जो सकारात्मक रूप से पुरानी पृथ्वी वाले सृजनवादी दृष्टिकोण को प्रस्तुत करता हो, क्योंकि अपने विचारों को चुनौती दिया जाना सदैव अच्छा होता है, जिससे हमें यह सुनिश्‍चित करने के लिए प्रेरित किया जा सके कि हमारी मान्यताएँ बाइबल आधारित शुद्ध हैं।

पुरानी पृथ्वी वाला सृजनवादी दृष्टिकोण (पुपृसृ) एक बड़ा शब्द है, जिसका प्रयोग बाइबल आधारित सृजनवादियों का वर्णन करने के लिए किया जाता है, जो ब्रह्माण्ड के निरन्तर छह दिनों के 24-घन्टे के अवधि में बने हुए होने की तुलना में यह कहते हुए इन्कार करते हैं कि यह अतीत के 6,000 से 10,000 वर्षों के समय के भीतर बनाया गया था। इसकी अपेक्षा, पुरानी पृथ्वी के सृजनवादी दृष्टिकोण को मानने वाले यह कहते हैं कि परमेश्‍वर ने ब्रह्माण्ड और इसके निवासियों (शाब्दिक आदम और हव्वा सहित) को युवा पृथ्वी के सृजनवादी दृष्टिकोण को मानने वालों की तुलना में बहुत अधिक समय तक बनाया है। उल्लेखनीय मसीही अगुवों की सूची जो (या जो अपने जीवनकाल में) कम से कम पुरानी पृथ्वी की व्याख्या के लिए उदार रहे हैं, लम्बी है और यह सूची बढ़ती ही जा रही है। इस सूची में वॉल्टर कैसर, नॉर्मन गीस्लर, विलियम डेम्ब्स्की, जे. आई. पैकर, जे. पी. मोरलैंड, फिलिप ई. जोनसन, चक कोल्सन, फ्रान्सिस शेफेर, और पुराने नियम का विद्वान ग्लेसन आर्चर जैसे लोग सम्मिलित हैं।

पुरानी पृथ्वी वाले दृष्टिकोण के सृजनवादी सामान्य रूप से ब्रह्माण्ड, मानवता और पृथ्वी की आयु के लिए मुख्यधारा वाल वैज्ञानिकों के अनुमानों के साथ सहमत होते हैं, जबकि साथ ही जैविक विकास के सम्बन्ध में आधुनिक विकासवादी सिद्धान्तविदों के दावों को निरन्त कर देते हैं। पुरानी पृथ्वी वाले दृष्टिकोण को रखने वाले सृजनवादी और उनके साथ ही युवा पृथ्वी के दृष्टिकोण को रखने वाले सृजनवादी भाइयों में कई महत्वपूर्ण बिन्दु एक जैसे ही पाए जाते हैं, जिनमें निम्न सम्मिलित हैं:

1) ब्रह्माण्ड का शाब्दिक रूप से सृजन कुछ नहीं में से एक सीमित समय पहले हुआ था (अर्थात् सृष्टि एक्स निहिलो या शून्य में से उत्पन्न हुई थी)।

2) आदम को शाब्दिक रूप से भूमि की मिट्टी से और हव्वा को आदम की पसली निकाल कर रचा गया था और साथ ही उत्पत्ति का वृतान्त की ऐतिहासिकता पर विश्‍वास किया जाना।

3) डार्विनवादियों के दावे को अस्वीकार करते हुए कि अव्यवस्थित उत्परिवर्तन और प्राकृतिक चयन जीवन की जटिलता को पर्याप्त रूप से वर्णित करता है।

4) इस दावे को अस्वीकार कर दिया गया है कि परमेश्‍वर ने आज के समय में पाए जाने वाले मनुष्य (ऐकश्‍वरवादी विकास) के लिए विकास की प्रक्रिया का उपयोग किया। पुरानी पृथ्वी और नई पृथ्वी वाले सृजनवाद दोनों ही एक ही वंश के होने के सिद्धान्त को स्पष्ट रूप से अस्वीकार करते हैं।

यद्यपि, पुरानी पृथ्वी वाले सृजनवादी निम्नलिखित बातों पर युवा पृथ्वी वाले सृजनवादी के साथ असहमति हैं:

1) ब्रह्माण्ड की आयु - युवा पृथ्वी वाले सृजनवादी का मानना है कि परमेश्‍वर ने 6,000-10,000 वर्षों पहले ब्रह्माण्ड का निर्माण किया था। पुरानी पृथ्वी वाले सृजनवादी इसकी सृष्टि को लगभग 13.7 करोडों वर्ष पहले हुए मानते हैं, इस प्रकार कम से कम इस बिन्दु पर "मुख्यधारा" विज्ञान के बहुत अधिक अनुरूप पाए जाते हैं।

2) आदम और हव्वा की सृष्टि का समय - युवा पृथ्वी वाले सृजनवादी 10,000 वर्षों से पहले आदम की रचना को नहीं रखते हैं। पुरानी पृथ्वी वाले सृजनवादी इस बिन्दु पर 30,000-70,000 वर्षों पहले के किसी समय को अनुमान के साथ रखते हुए एक दूसरे से भिन्न हैं।

सृजनवाद के इन दो विचारों के बीच विवाद इब्रानी शब्द योम के अर्थ के ऊपर निर्भर करता है, जिसका अर्थ "दिन" से है। युवा पृथ्वी वाले सृजनवादी जोर देते हैं कि उत्पत्ति 1-2 के सन्दर्भ में शब्द योम का अर्थ 24 घन्टे की अवधि से है। पुरानी पृथ्वी वाले सृजनवादी इससे असहमत हैं और मानते हैं कि इस शब्द का उपयोग लम्बे समय को इंगित करने के लिए किया गया है। पुरानी पृथ्वी के सृजनवादियों ने अपने विचारों के बचाव के लिए बाइबल के कई तर्कों का उपयोग किया है, जिनमें निम्नलिखित में ये सम्मिलित हैं:

1) योम का उपयोग बाइबल में कहीं और भी किया गया है, जहाँ यह लम्बे समय को सन्दर्भित करता है, विशेषकर भजन संहिता 90:4, जिसे बाद में प्रेरित पतरस ने उद्धृत किया: "एक दिन (योम) एक हजार वर्ष के बराबर है" (2 पतरस 3:8)।

2) सातवाँ "दिन" हजारों वर्ष लम्बा है। उत्पत्ति 2:2-3 कहता है कि परमेश्‍वर सातवें "दिन" (योम) विश्राम किया। पवित्रशास्त्र शिक्षा देता है कि हम निश्‍चित रूप से सातवें दिन में हैं; इसलिए, शब्द "दिन" भी एक से छः दिनों के सन्दर्भ में लम्बे समय को सन्दर्भित कर सकता है।

3) उत्पत्ति 1-2 में शब्द "दिन" 24 घन्टे से अधिक लम्बा है। उत्पत्ति 2:4 में हम ऐसे पढ़ते हैं कि, "आकाश और पृथ्वी की उत्पत्ति का वृतान्त यह है कि जब वे उत्पन्न हुए अर्थात् जिस दिन यहोवा परमेश्‍वर ने पृथ्वी और आकाश को बनाया।" इस सन्दर्भ में, शब्द "दिन" पूरी तरह से पहले छह दिनों का वर्णन कर रहा है और इस प्रकार यह अपने में केवल 24 घन्टे की अवधि की तुलना अधिक लचीले अर्थ को लिए है।

4) छठा "दिन" कदाचित् 24 घन्टे से अधिक लम्बा है। उत्पत्ति 2:19 हमें बताता है कि आदम ने देखा और तत्पश्‍चात् पृथ्वी के प्रत्येक जीवित जानवर को सूचीबद्ध किया। प्रथम दृष्टि में, ऐसा प्रतीत नहीं होता है कि आदम केवल 24 घन्टे की अवधि में इस तरह के एक बड़े कार्य को पूरा कर सकता था।

यह सुनिश्‍चित करने के लिए, युवा और पुराने पृथ्वी वाले दृष्टिकोण के सृजनवादी को विभाजित करने वाले विषय जटिल और महत्वपूर्ण दोनों ही हैं। यद्यपि, इस विषय को रूढ़िवादी दृष्टिकोण की जाँच के लिए उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। इस विवाद में दोनों ओर से भक्तिपूर्ण जीवन को व्यतीत करने वाले पुरुष और स्त्रियाँ सम्मिलित हैं। अन्तिम विश्लेषण में, बाइबल आधारित सृजनवादियों में - दोनों युवा और पुरानी पृथ्वी के अन्तर को रखने वालों – में कई सामान्य बातों पाई जाती हैं और दोनों को ही उत्पत्ति के वृतान्त की ऐतिहासिक विश्‍वसनीयता के बचाव के लिए मिलकर काम करना चाहिए।

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