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प्रश्न

नपीली लोग कौन/क्या थे?

उत्तर


नपीली लोग ("नीचे गिरे हुए, दानव") उत्पत्ति 6:1-4 में पाए जाने वाले परमेश्‍वर के पुत्रों और मनुष्यों की पुत्रियों के मध्य में हुए यौन सम्बन्ध से उत्पन्न होने वाली जाति थी। इस संदर्भ "मनुष्य के पुत्रों" की पहचान को लेकर बहुत अधिक विवाद पाया जाता है। हमारा यह विचार है कि यहाँ पर " परमेश्‍वर के पुत्रों" की पहचान नीचे गिरे हुए स्वर्गदूतों (दुष्टात्माओं) की है जिन्होंने पहले मनुष्यों की पुत्रियों से यौन सम्बन्ध बनाए या दुष्टात्मा ग्रस्त से ग्रसित पुरूषों ने मनुष्यों की स्त्रियों से यौन सम्बन्ध बनाए। इन सम्बन्धों के फलस्वरूप नपीली जाति उत्पन्न हुई, जो ऐसे "शूरवीर थे जिनकी कीर्ति प्राचीनकाल से प्रचलित" है (उत्पत्ति 6:4)।

क्यों दुष्टात्माओं ने ऐसा कार्य किया? बाइबल हमें इसका विशेष रूप से कोई उत्तर नहीं देती है। दुष्टात्माएँ बुरे, विकृत प्राणी होते हैं - इसलिए जो कुछ भी वे करते हैं, वह हमें आश्चर्य में नहीं डालना चाहिए। एक विशेष प्रेरणा के रूप में, एक अनुमान यह है कि दुष्टात्माएँ मनुष्य के लहू को गंदा करने का प्रयास कर रहे थे ताकि वे आने वाले मसीह के आगमन को रोक सकें। परमेश्‍वर ने प्रतिज्ञा की थी कि मसीह एक दिन सर्प, अर्थात् शैतान के सिर को कुचलने के लिए आएगा (उत्पत्ति 3:15)। उत्पत्ति 6 में दी हुई दुष्टात्माएँ सम्भवत: सर्प के सिर को कुचले जाने से रोकने और "स्त्री के वंश" से आने वाले पापहीन व्यक्ति के जन्म को लेने देने की सम्भावना को समाप्त करने का प्रयास कर रही थी। एक बार फिर से, इसका विशेष रूप से बाइबल आधारित कोई उत्तर नहीं मिलता है, परन्तु ऐसा होना बाइबल आधारित हो सत्य प्रतीत होता है।

नपीली लोग कौन थे? इब्रानियों और अन्य प्राचीन कथाओं (हनोक की पुस्तक और अन्य गैर-बाइबल आधारित अतिरिक्त पुस्तकों) के अनुसार, वे दानवों की जाति थीं और वे शूरवीर लोग ते जिन्होंने बहुत ही बड़ी बुराई के कार्यों को किया था। उनका बड़ा आकार और शक्ति मनुष्यों की आनुवंशिकी के साथ दानवी "डीएनए" के मिश्रण से आया होगा। फिल्म नूह के अनुसार, जिसके नायक रस्सेल क्रोवी हैं, नपीली लोग गिरे हुए स्वर्गदूत थे जिन्हें चट्टान में बन्द करके रखा हुआ था। जो कुछ बाइबल सीधे ही उनके बारे में बोलती है वह यह है कि वे ऐसे "शूरवीर थे जिनकी कीर्ति प्राचीनकाल" से होती आई थी (उत्पत्ति 6:4)। नपीली लोग अपर देशीय प्राणी, स्वर्गदूत, "पहरेदार" या शक्तिशाली दानव नहीं थे; वे शाब्दिक रूप से, ऐसे शारीरिक प्राणी थे जो परमेश्‍वर के पुत्र और मनुष्यों की पुत्रियों के द्वारा उत्पन्न हुए थे (उत्पत्ति 6:1–4)।

नपीली लोगों के साथ हुआ? नपीली लोग ही नूह के समय आए जल प्रलय के पीछे कई मौलिक कारणों में एक थे। नपीली लोगों के उल्लेख के तुरन्त पश्चात्, परमेश्‍वर का वचन ऐसा कहता है, "यहोवा ने देखा कि मनुष्यों की बुराई पृथ्वी पर बढ़ गई है, और उसके मन के विचार में जो कुछ उत्पन्न होता है वह निरन्तर बुरा ही होता है। और यहोवा पृथ्वी पर मनुष्य को बनाने से पछताया, और वह मन में अति खेदित हुआ। तब यहोवा ने कहा, 'मैं मनुष्यों को जिसकी मैंने सृष्टि की है पृथ्वी के ऊपर से मिटा दूँगा; क्या मनुष्य, क्या पशु, क्या रेंगनेवाले जन्तु, क्या आकाश के पक्षी, सब को मिटा दूँगा, क्योंकि मैं उनके बनाने से पछताता हूँ।'" (उत्पति 6:5–7)। परमेश्‍वर सारी पृथ्वी पर जल प्रलय को लाते हुए, जहाज में नूह, उसके परिवार और उसके साथ गए जानवरों को छोड़ते हुए बाकी के सभी लोगों और जो कुछ इस पृथ्वी पर है, सब को नाश कर देता है। सब कुछ नाश हो गया, जिसमें नपीली लोग भी सम्मिलित थे (उत्पत्ति 6:11–22)।

क्या जल प्रलय के पश्चात् भी नपीली लोग थे? उत्पत्ति 6:4 हमें बताता है, "उन दिनों पृथ्वी पर नपीली लोग रहते थे - और इसके पश्चात् भी।" ऐसा जान पड़ता है कि जल प्रलय के कुछ समय पश्चात् दुष्टात्माओं ने उसने पाप को दुहराया। तथापि, यह जल प्रलय से पहले की अपेक्षा बहुत ही कम मात्रा में था। जब इस्रालियों ने कनान की भूमि की जासूसी की, तब उन्होंने मूसा को इसका विवरण इस तरह से दिया: "फिर हमने वहाँ पर नपीलों को, अर्थात् नपीली जातिवाले अनाकवंशियों को देखा, और हम अपनी दृष्टि में उनके सामने टिड्डे के समान दिखाई पड़ते थे, और ऐसे ही उनकी दृष्टि में मालूम पड़ते थे" (गिनती 13:33)। यह संदर्भ वास्तव में यह नहीं कहता है कि नपीली लोग ही वास्तव में वहाँ पर थे, अपितु केवल इतना कि जासूसों ने यह सोचा कि उन्होंने नपीली लोगों को देखा था। इस बात की सम्भावना ज्यादा है कि जासूसों ने कनान में बड़े आकार के लोगों को देखा होगा और डर के कारण उनके नपीली होने के ऊपर विश्‍वास किया होगा। या यह सम्भावना है कि जल प्रलय के पश्चात् दुष्टात्माओं ने फिर से मनुष्य की पुत्रियों से यौन सम्बन्ध बनाते हुए, अधिक नपीली लोगों को उत्पन्न किया होगा। यह सम्भावना भी अधिक है कि नूह की एक बहू के द्वारा आनुवंशिकता के माध्यम से नपीली लोगों के कुछ गुण आने वाले वंश तक पहुँचे होंगे। चाहे कुछ भी क्यों न रहा हो, इन "दानवों" को कनान पर विजय के समय (यहोशू 11:21–22) और बाद में उनके इतिहास में इस्राएलियों के द्वारा नाश कर दिया गया था (व्यवस्था विवरण 3:11; 1 शमूएल 17)।

आज दुष्टात्माओं को और अधिक नपीली लोग उत्पन्न करने से कौन सी बात रोकती है? ऐसा जान पड़ता है कि परमेश्‍वर ने दुष्टात्माओं के द्वारा मनुष्यों के साथ यौन सम्पर्क स्थापित करने का अन्त ऐसी दुष्टात्माओं को एकान्त में बाँध दिए जाने के द्वारा कर दिया है जिन्होंने इस कार्य को किया था। यहूदा वचन 6 हमें बताता है, "फिर जिन स्वर्गदूतों ने अपने पद को स्थिर नहीं रखा वरन् अपने निज निवास को छोड़ दिया, उसने उनको भी उस भीषण दिन के न्याय के लिये अन्धकार में, जो सदा काल के लिये है, बन्धनों में रखा है।" स्पष्ट है, कि सभी दुष्टात्माओं को आज "बन्धनों" में नहीं रखा गया है, इसलिए अवश्य है कि दुष्टात्माओं का एक समूह ऐसा होना चाहिए जो मूल पाप के होने के पश्चात् अतिरिक्त गम्भीर पापों को करने में कार्यरत् हैं। यह सम्भव है, कि दुष्टात्माएँ जिन्होंने मनुष्यों की पुत्रियों के साथ यौन सम्बन्ध बनाए थे वे ही हैं जिन्हें "सदा काल के लिए बन्धनों में रखा" गया है। ऐसा करना अतिरिक्त दुष्टात्माओं को इसी तरह के पाप को करने के प्रयास से रोक देगा।

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