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प्रश्न

क्यों परमेश्‍वर प्राकृतिक आपदाओं को होने देता है, जैसे भूकम्प, तूफान और सुनामी?

उत्तर


क्यों परमेश्‍वर भूकम्प, तूफान, सुनामी, प्रचण्ड तूफान, चक्रवात अर्थात् बवण्डर, भूस्लखन और अन्य प्राकृतिक आपदाओं को होने देता है? एशिया में 2004 के अन्त में आए तूफान और दक्षिणपूर्व अमेरिका में कैटरीना नामक चक्रवात और म्यंमार में 2008 में आए प्रचण्ड तूफान के द्वारा होने वाली त्रासदी के कारण बहुत अधिक लोग परमेश्‍वर की भलाई के ऊपर प्रश्न करने लगे हैं। यह बड़ी ही दु:खद बात है कि प्राकृतिक आपदाओं को अक्सर “परमेश्‍वर का कार्य” का होना कह कर पुकारा जाता है, जबकि परमेश्‍वर को कोई भी वर्षों, दशकों या यहाँ तक कि सदियों तक शान्ति से भरे हुए वातावरण के लिए किसी तरह का कोई “श्रेय” नहीं दिया है। परमेश्‍वर ने सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड और प्रकृति की व्यवस्था की रचना की है। अधिकांश प्राकृतिक आपदाएँ इसी व्यवस्था के कार्य करने के परिणाम स्वरूप घटित होती हैं। तूफान, प्रचण्ड तूफान और चक्रवात अर्थात् बवण्डर अपनी दिशा से भटक कर एक दूसरे के साथ वातावरण में टकराने के कारण होते हैं। भूकम्प पृथ्वी के धरातल में पड़ी हुई परत के ढाँचे के सरकने से होती है। सुनामी नीचले पानी में आए हुए भूकम्प के कारण आते हैं।

बाइबल उदघोषणा करती है कि यीशु मसीह सारी प्रकृति को सम्भाले हुए है (कुलुस्सियों 1:16-17)। क्या परमेश्‍वर प्राकृतिक आपदाओं को रोक सकता है? हाँ, रोक सकता है! क्या परमेश्‍वर कई बार वातावरण को प्रभावित कर सकता है? हाँ, कर सकता है, जैसा कि हम व्यवस्थाविवरण 11:17 और याकूब 5:17 में देखते हैं। गिनती 16:30-34 हमें दिखाता है कि कई बार परमेश्‍वर पाप के विरूद्ध न्याय के रूप में प्राकृतिक आपदाओं को भेजता है। प्रकाशितवाक्य की पुस्तक ऐसी कई घटनाओं का वर्णन करती है जिन्हें निश्चित रूप से ऐसे वर्णित किया जा सकता है कि मानो यह प्राकृतिक आपदाएँ हों (प्रकाशितवाक्य अध्याय 6, 8, और 16)। क्या हरेक प्राकृतिक आपदा परमेश्‍वर की ओर से दण्ड है? बिल्कुल भी नहीं।

ठीक कुछ इसी तरह से परमेश्‍वर बुरे लोगों को बुरे कार्यों को करने देता है, परमेश्‍वर होने देता है कि पृथ्वी पाप के परिणाम को प्रदर्शित करे जो सृष्टि के समय उसके ऊपर आया था। रोमियों 8:19-21 हमें बताता है, “क्योंकि सृष्टि बड़ी आशाभरी दृष्टि से परमेश्‍वर के पुत्रों के प्रगट होने की बाट जोह रही है। क्योंकि सृष्टि अपनी इच्छा से नहीं पर अधीन करनेवाले की ओर से, व्यर्थता के अधीन इस आशा से की गई, कि सृष्टि भी आप ही विनाश के दासत्व से छुटकारा पाकर, परमेश्‍वर की सन्तान की महिमा की स्वतंत्रता प्राप्त करेगी।” मनुष्य के पाप में गिरने का प्रभाव हरेक वस्तु के ऊपर पड़ा, जिसमें यह संसार भी है जिसमें हम वास करते हैं। सृष्टि की हरेक वस्तु “हताशा” और “सड़ने” के अधीन है। पाप आखिरकार प्राकृतिक आपदाओं का कारण है ठीक वैसे ही जैसे यह मृत्यु, बीमारी और दु:ख का है।

हम समझ सकते हैं कि क्यों प्राकृतिक आपदाएँ घटित होती हैं। हम जो नहीं समझ सकते हैं वह यह है कि क्यों परमेश्‍वर उन्हें घटित होने देता है। क्यों परमेश्‍वर ने ऐसा होने दिया कि एशिया में 225,000 हजार लोग सुनामी के कारण मर गए? पर एक बात तो है, ऐसी घटनाएँ इस जीवन में हमारे भरोसे को हिला देते हैं और हमें शाश्वतकाल के बारे में सोचने के लिए मजबूर कर देते हैं। गिर्जाघर अक्सर ऐसी आपदाओं के पश्चात् भर जाते हैं जब लोग यह जान लेते हैं कि उनका जीवन वास्तव में कितना अधिक कमजोर है और कैसे वे अचानक से उठा लिए जा सकते हैं। जो हम जानते हैं वह यह है : कि परमेश्‍वर भला है! कई अद्भुत आश्चर्यकर्म प्राकृतिक आपदाओं के घटित होने के समय प्रगट होती हैं जो जीवन के बहुत अधिक नुक्सान को होने से रोक देती है। प्राकृतिक आपदाएँ लाखों की सँख्या में लोगों को उनके जीवन की प्राथमिकताओं का पुनर्मूल्यांकन करने का कारण बनती हैं। सहायता प्रदान करने के लिए दु:ख उठा रहे लोगों की सहायता के लिए लाखों रूपयों को दिया जाता है। मसीही सेवकाइयों को सहायता, परामर्शदान, प्रार्थना करने और लोगों को मसीह में बचाए जाने वाले विश्‍वास की ओर मार्गदर्शन देने का अवसर मिलता है! परमेश्‍वर इन भयानक त्रासदी भरी हुई घटनाओं से भलाई को ले आ सकता है और वह लाता है (रोमियों 8:28)।

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क्यों परमेश्‍वर प्राकृतिक आपदाओं को होने देता है, जैसे भूकम्प, तूफान और सुनामी?
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