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प्रश्न

दया और अनुग्रह के मध्य में क्या भिन्नता है?

उत्तर


दया और अनुग्रह के कारण अक्सर उलझन उत्पन्न हो जाती है। जबकि दोनों ही शब्दों के एक जैसे अर्थ हैं, तथापि, अनुग्रह और दया एक जैसे नहीं हैं। इस भिन्नता का सार यह है: परमेश्‍वर हमारे पापों के कारण हमें दण्डित नहीं कर रहा, यह दया है, और परमेश्‍वर का अनुग्रह इस सच्चाई के पश्चात् कि हम इसे पाने के योग्य नहीं है, हमें आशीषित करना है। दया दण्ड से छुटकारा है। अनुग्रह अयोग्य व्यक्ति तक परमेश्‍वर की कृपा का विस्तार है।

बाइबल के अनुसार, हम सभों ने पाप किया है (सभोपदेशक 7:20; रोमियों 3:23; 1 यूहन्ना 1:8)। पाप के परिणामस्वरूप, हम सभी मृत्यु (रोमियों 6:23) और आग की झील में शाश्‍वतकालीन दण्ड (प्रकाशितवाक्य 20:12-15) के योग्य हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए, हम प्रतिदिन अपने जीवन को परमेश्‍वर की दया के कार्य में व्यतीत करते हैं। यदि परमेश्‍वर हमें उस दण्ड को दे जिसके योग्य हम हैं, तो हम सभी इसी समय शाश्‍वतकाल के लिए दोषी ठहराए जाएँगे। भजन संहिता 51:1-2 में, दाऊद पुकार उठता है, "हे परमेश्‍वर, अपनी करूणा के अनुसार मुझ पर अनुग्रह कर; अपनी बड़ी दया के अनुसार मेरे अपराधों को मिटा दे। मुझे भलीं भाँति धोकर मेरा अधर्म दूर कर, और मेरा पाप छुड़ाकर मुझे शुद्ध कर।" दया के लिए परमेश्‍वर के सामने एक याचना करना उस दण्ड को रोक देता है जो हम पर आने वाला है और इसके स्थान पर हमें उस क्षमा की प्राप्ति होती है, जिसे हम किसी भी रीति से कमा नहीं सकते हैं।

हम परमेश्‍वर से कुछ भी पाने के योग्य नहीं हैं। परमेश्‍वर से हमारा कुछ भी नहीं देना है। हमारे द्वारा अनुभव की जाने वाली कोई भी अच्छी बात परमेश्‍वर के अनुग्रह का परिणाम है (इफिसियों 2:5)। अनुग्रह तो मात्र बिना किसी शर्त के प्रदान की हुई कृपा है। परमेश्‍वर हमें ऐसी अच्छी वस्तुओं को देता है, जिसको पाने के योग्य हम नहीं हैं और जिन्हें हम स्वयं से कभी भी कमा नहीं सकते हैं। परमेश्‍वर की दया के कारण उसके दण्ड से बचा लिए जाने में, अनुग्रह ही वह बात और सब कुछ है, जिसे हमें उसकी दया से परे जाकर प्राप्त करते हैं (रोमियों 3:24)। सामान्य अनुग्रह परमेश्‍वर के प्रभुता सम्पन्न अनुग्रह की ओर संकेत करता है, जिसे परमेश्‍वर सारी मानवजाति को उसके सामने उसकी आत्मिक अवस्था की चिन्ता न करते हुए प्रदान किया है, जबकि बचाए जाने वाला अनुग्रह की विशेष व्यवस्था है, जिसके द्वारा परमेश्‍वर अपनी प्रभुता में उसके चुनों हुओं के ऊपर उनके नवजीवन और पवित्रीकरण के लिए बिना किसी शर्त के अलौकिक सहायता को प्रदान करता है।

यीशु मसीह के द्वारा उपलब्ध उद्धार में दया और अनुग्रह अपने सर्वोत्तम रूप में चित्रित किए गए हैं। हम दण्ड के योग्य थे, परन्तु यदि हम यीशु मसीह को अपना उद्धारकर्ता करके स्वीकार करते हैं, तो हम परमेश्‍वर की दया को और दण्ड से छुटकारे को प्राप्त करते हैं। दण्डित होने के स्थान पर, हम अनुग्रह से भरे हुए उद्धार, पापों की क्षमा, बहुतायत का जीवन (यूहन्ना 10:10), और सबसे अद्भुत और कल्पना से परे स्थान स्वर्ग में शाश्‍वतकालीन जीवन (प्रकाशितवाक्य 21-22) को प्राप्त करते हैं। परमेश्‍वर की दया और अनुग्रह के कारण, हमारी प्रतिक्रिया आराधना और धन्यवाद सहित अपने घुटने पर उसके सामने गिर जाने में होनी चाहिए। इब्रानियों 4:16 घोषित करता है, "इसलिए आओ, हम अनुग्रह के सिंहासन के निकट हियाव बाँधकर चलें कि हम पर दया हो और वह अनुग्रह पाएँ जो आवश्यकता के समय हमारी सहायता करे।"

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दया और अनुग्रह के मध्य में क्या भिन्नता है?
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