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प्रश्न

बिना विवाह किए एक साथ जीवन व्यतीत करना क्यों पाप में जीवन व्यतीत करने के रूप में माना जाता है?

उत्तर


इस प्रश्‍न को और अधिक आसानी से उत्तर दिया जा सकता था, यदि बाइबल ने स्पष्ट रूप से यह घोषणा की होती कि "विवाह से पहले या विवाह की सीमा से बाहर हो जीवन व्यतीत पाप में रहना है।" क्योंकि बाइबल ऐसा कोई निश्‍चित कथन नहीं देती है, कई (जिनमें से कई स्वयं को मसीही के रूप में स्वीकार करते हैं) दावा करते हैं कि विवाह की सीमा से बाहर एक साथ रहना पाप में जीवन व्यतीत करना नहीं है। कदाचित् बाइबल स्पष्ट रूप से ऐसा कोई कथन नहीं देती है, कि बाइबल के समयों में, अविवाहित लोगों को पति और पत्नी के रूप में रहने की व्यवस्था, विशेषकर यहूदियों और मसीहियों में अपेक्षाकृत दुर्लभ थी। इस लेख के उद्देश्य की प्राप्ति के लिए, जब हम एक साथ रहने का उल्लेख करते हैं, तो हम विवाह किए बिना एक पुरूष और स्त्री को यौन सम्बन्ध बनाते हुए पति और पत्नी के रूप में रहने के भाव में एक दूसरे के साथ रहने का वर्णन कर रहे हैं। हम यौन सम्बन्धों के बनाए बिना एक ही घर में रहने वाले एक पुरुष और स्त्री का वर्णन नहीं कर रहे हैं।

जबकि बाइबल पाप में रहने के बारे में एक स्पष्ट कथन को नहीं देती है, परन्तु इसका अर्थ यह नहीं है कि इस विषय पर बाइबल पूरी तरह से चुप है। इसकी अपेक्षा, हमें पवित्रशास्त्र के कई वचनों को एक साथ रखना होगा और उनमें से सिद्धान्त को समझना होगा कि एक पुरूष और एक स्त्री का विवाह की सीमा से बाहर किए जानी वाली कोई भी कामुकता पाप है। पवित्रशास्त्र के ऐसे कई वचन हैं, जो यौन अनैतिकता के विषय में परमेश्‍वर की ओर मनाही की घोषणा करते हैं (प्रेरितों 15:20; 1 कुरिन्थियों 5:1; 6:13, 18; 10:8; 2 कुरिन्थियों 12:21; गलातियों 5:19; इफिसियों 5:3; कुलुस्सियों 3:5; 1 थिस्सलुनीकियों 4:3; यहूदा 7)। इन वचनों में "यौन अनैतिकता" या विवाह पूर्व "व्यभिचार" का अनुवाद यूनानी शब्द पोर्निया से किया गया है, और इसका अर्थ शाब्दिक रूप से "अवैध वासना" है। चूँकि वैध यौन सम्बन्ध का एकमात्र रूप एक पुरूष और एक स्त्री के विवाह की सीमा के भीतर रहना है (उत्पत्ति 2:24; मत्ती 19:5), इसलिए विवाह की सीमा के बाहर कुछ भी, चाहे वह व्यभिचार, विवाहपूर्व यौन सम्बन्ध, समलैंगिकता, या और कुछ ही क्यों न हो अवैध है, दूसरे शब्दों में, पाप है। विवाह से पहले एक साथ रहना निश्‍चित रूप से विवाह पूर्व व्यभिचार – यौन सम्बन्धी पाप की श्रेणी में आता है।

इब्रानियों 13:4 विवाह की आदरणीय अवस्था का वर्णन करती है: "विवाह सब में आदर की बात समझी जाए, और विवाह-बिछौना निष्कलंक रहे, क्योंकि परमेश्‍वर व्यभिचारियों, और परस्त्रीगामियों का न्याय करेगा।" यह वचन शुद्ध और आदरणीय –विवाह - और जो यौन अनैतिकता है - विवाह की सीमा बाहर कुछ भी के मध्य स्पष्ट भिन्नता को प्रदर्शित करता है। विवाह की सीमा से बाहर एक साथ रहने का रूप इसी श्रेणी में आता है, यह पाप है। वैध विवाह की सीमा बाहर एक साथ रहने वाला कोई भी व्यक्ति परमेश्‍वर की अप्रसन्नता और न्याय को आमन्त्रित करता है।

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