settings icon
share icon
प्रश्न

हमें यीशु के भाई, याकूब के जीवन से क्या सीखना चाहिए?

उत्तर


याकूब मरियम और यूसुफ का पुत्र था और इसलिए वह यीशु का सौतेले भाई और यूसुफ, शमौन, यहूदा और उनकी बहनों का भाई था (मत्ती 13:55)। सुसमाचारों में, याकूब का उल्लेख कुछ ही समय के लिए किया गया है, परन्तु इन समयों में उसने यीशु की सेवकाई को गलत समझा और वह एक विश्‍वासी नहीं था (यूहन्ना 7:2-5)। याकूब यीशु के पुनरुत्थान के आरम्भिक गवाहों में से एक बन जाता है (1 कुरिन्थियों 15:7)। फिर वह यरूशलेम में रहता है और विश्‍वासियों के समूह का हिस्सा बनता है, जो ऊपर वाले कमरे में प्रार्थना करते हैं (प्रेरितों के काम 1:14)। इस समय से आगे, यरूशलेम की कलीसिया के भीतर याकूब की प्रतिष्ठा बढ़ने लगती है।

याकूब अभी भी यरूशलेम में ही है, जब अभी कुछ समय पहले ही परिवर्तित हुआ शाऊल उससे और पतरस से मिलने आता है (गलातियों 1:19)। कई वर्षों पश्‍चात्, जब पतरस कैद से बच निकलता है, तो वह याकूब को अपने बच निकलने के आश्‍चर्यजनक तरीके का वर्णन करता है (प्रेरितों के काम 12:17)। जब यरूशलेम की परिषद का आयोजन किया जाता है, तो ऐसा प्रतीत होता है कि याकूब इसका अध्यक्ष है (प्रेरितों के काम 15:13-21)। वह कलीसिया का एक प्राचीन भी है, जिसे गलातियों 2:9 में "खम्भा" कहा गया है। बाद में, याकूब फिर से पौलुस की तीसरी मिशनरी यात्रा के पश्‍चात् यरूशलेम में आयोजित एक सभा की अध्यक्षता करता है। ऐसा विश्‍वास किया जाता है कि याकूब ईस्वी सन् 62 में शहीद हुआ था, यद्यपि उसकी मृत्यु का बाइबल में कोई लिपिबद्ध वृतान्त नहीं मिलता है।

याकूब, याकूब के पत्र का लेखक भी है, जिसे उसने ईस्वी सन् 50 और 60 के मध्य किसी समय लिखा था। याकूब स्वयं के रूप में इसकी पहचान कराता है, परन्तु वह स्वयं को मात्र "परमेश्‍वर के और प्रभु यीशु मसीह के दास" के रूप में बताता है (याकूब 1:1)। उसका पत्र मसीही धर्मविज्ञान की तुलना में मसीही नैतिकता से अधिक सम्बन्धित है। इसका विषय विश्‍वास के बाहरी कार्य से है – जो कि आन्तरिक रूपान्तरण का बाहरी प्रमाण है।

याकूब के जीवन के ऊपर किया गया अध्ययन हमारे लिए कुछ महत्वपूर्ण शिक्षाओं को प्रदान करता है। उसका मन परिवर्तन उस शक्तिशाली सामर्थ्य की गवाही देता है, जो यीशु के पुनरुत्थान का गवाह बनने से उसमें आई थी : याकूब की पुनरुत्थित मसीह के साथ हुई मुलाकात ने उसे कलीसिया के लिए एक सन्देही से एक अगुवा में परिवर्तित कर दिया था। प्रेरितों के काम 15:14-21 में वर्णित यरूशलेम की परिषद में याकूब के भाषण में पवित्रशास्त्र के ऊपर उसकी निर्भरता, कलीसिया के भीतर शान्ति के लिए उसकी इच्छा, व्यवस्था के स्थान पर अनुग्रह के ऊपर बल को दिया जाना और अन्यजातियों से आए हुए विश्‍वासियों के लिए उसके सरोकार का भी पता चलता है, यद्यपि वह स्वयं लगभग विशेष रूप से यहूदी धर्म से आए हुए मसीही विश्‍वासी के लिए सेवा करता है। याकूब की विनम्रता भी ध्यान देने योग्य है - वह कभी भी अपने पद का उपयोग यीशु के साथ लहू का सम्बन्ध होने के कारण अधिकार प्राप्ति के लिए नहीं करता है। इसकी अपेक्षा, याकूब स्वयं को यीशु के "सेवक" के रूप में चित्रित करता है, इससे ज्यादा और कुछ नहीं। संक्षेप में, याकूब एक अनुग्रह से पूर्ण अगुवा था, जिसके माध्यम से कलीसिया को बहुतायत के साथ आशीष दी गई थी।

English



हिन्दी के मुख्य पृष्ठ पर वापस जाइए

हमें यीशु के भाई, याकूब के जीवन से क्या सीखना चाहिए?
इस पृष्ठ को साझा करें: Facebook icon Twitter icon YouTube icon Pinterest icon Email icon
© Copyright Got Questions Ministries