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प्रश्न

एस्तेर के जीवन से हम क्या सीख सकते हैं?

उत्तर


एस्तेर यहूदी युवती है, जो फारस की रानी बन जाती है और अपनी जाति के लोगों के नरसंहार के लिए बनाए गए षड़यन्त्र से उन्हें बचाती है। उसकी कहानी पुराने नियम की एक पुस्तक, जो उसके नाम से ही लिखी गई है, में लिपिबद्ध है। पूरीम का यहूदी पर्व यहूदियों के द्वारा इसी विशेष उद्धार के कारण मनाया जाता है।

एस्तेर की कहानी एक राजा के द्वारा आयोजित एक भोज से आरम्भ होती है। राजा क्षयर्ष (जिसे अहासुरुस भी कहा जाता है) प्रसिद्ध फ़ारसी राजा दारा - 1 का पुत्र था, जिसका वर्णन एज्रा 4:24; 5:5-7; 6:1-15; दानिय्येल 6:1, 25; हाग्गै 1:15; और 2:10 में किया गया है। यह घटना एस्तेर और राजा क्षयर्ष के बीच लगभग 483 यीशु पूर्व में घटित हुई थी। राजा क्षयर्ष का साम्राज्य बहुत बड़ा था; वास्तव में, यह संसार में अब तक देखा गया सबसे बड़ा साम्राज्य था। फारस ने अब तुर्की के नाम के जाने वाले देश के साथ ही इराक, ईरान, पाकिस्तान, जॉर्डन, लेबनान और इस्राएल के नाम से पहचाने जाने वाले क्षेत्र को भी अपने में मिलाया हुआ था; इसने स्वयं में आधुनिक मिस्र, सूडान, लीबिया और सऊदी अरब के खण्डों को भी सम्मिलित किया था।

जैसा कि उन दिनों के अधिकांश मूर्तिपूजक राजाओं के साथ होता था, राजा क्षयर्ष ने अपनी धन-सम्पत्ति और सामर्थ्य को सार्वजनिक प्रदर्शनों में दिखाने का आनन्द उठाया, जिसमें कई बार राजकीय भोज भी सम्मिलित थे, जो 180 दिनों तक चला करते थे। स्पष्ट है, कि एस्तेर 1:10–11 में उल्लिखित ऐसे ही एक भोज के समय, राजा ने अनुरोध किया कि उसकी पत्नी, रानी वशती, को राजमुकुट पहना कर अधिकारियों के पूरे समूह के सामने लाया जाए, ताकि उसकी सुन्दरता प्रगट हो सके। अनुमान यह है कि राजा क्षयर्ष चाहता था कि वशती केवल मुकुट पहने ही सामने आए। रानी वशती ने राजा के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया, और जिस से राजा क्रोधित हो गया। राजा क्षयर्ष ने अपने समय की व्यवस्था के पण्डितों से परामर्श लिया, जिन्होंने घोषणा की कि रानी वशती ने उस देश में रहने वाले सभी लोगों के लिए अनुचित कार्य किया है। उन्हें डर था कि फारस की स्त्रियाँ रानी वशती की तरह अपने-अपने पति की बात मानने से मना कर देंगी और अपने पति को तुच्छ समझने लगेंगी। उन्होंने राजा को पूरे देश में एक आदेश निकालने का सुझाव दिया कि वशती कभी भी राजा के सम्मुख न आने पाए। राजा ने ऐसा ही किया, उसने सभी प्रान्तों की भाषाओं में आदेश देने की घोषणा की।

वशती के चले जाने के साथ ही, राजा अब रानी के बिना रह गया था। क्षयर्ष के सेवा टहल करने वालों ने सुझाव दिया कि राजा को अपने लिए एक नई रानी की खोज पूरे देश में सुन्दर कुँवारी लड़कियों में से करनी चाहिए। यहूदी इतिहासकार, जोसीफुस ने लिपिबद्ध किया है कि राजा क्षयर्ष ने रनवास अर्थात् हरम को भरने में और नई रानी के पद को भरने के लिए प्रार्थियों के रूप में कुल 400 स्त्रियों को चुना (एस्तेर 2:1-4)। स्त्रियों को राजा से मिलने से पहले एक वर्ष तक सौन्दर्य उपचार विधि में से निकलना पड़ता था (वचन 12)। एस्तेर, एक यहूदी युवती जिसका इब्री नाम हदस्सा था, को कुँवारियों में से चुना गया था (वचन 8)।

जब तक कुँवारियों को राजा के पास नहीं लाया जाता था, तब तक उन्हें हेगे नामक अधिकार की देखरेख में रनवास में रखा जाता था (एस्तेर 2:8); राजा के साथ उनकी मुलाकात के पश्‍चात्, क्योंकि वे अब कुँवारी नहीं रह जाती थीं, उन्हें या तो रखैलियों के घर में या –रखेलियों के प्रबन्धक - के घर के पास निर्धारित क्षेत्र में ले जाया जाता था, जहाँ उन्हें एक अन्य खोजे की चौकसी भरी दृष्टि के अधीन रखा गया था, जिसका नाम शाशगज था (वचन 14)।

एस्तेर शूशन के गढ़ में रहती थी, जहाँ राजा भी रहता था। वह मोर्दकै नाम की एक बिन्यामीनी की चचेरी बहन थी, जो उसका अभिभावक तब से था, जब से उसने उसे उसके माता-पिता की मृत्यु के पश्‍चात् अपनी पुत्री के रूप में अपनाया था। मोर्दकै के पास फारसी शासन में किसी तरह का आधिकारिक पद था (एस्तेर 2:19)। जब एस्तेर को रानी के लिए एक प्रार्थी के रूप में चुना गया था, तो मोर्दकै ने उसे अपनी यहूदी पृष्ठभूमि प्रकट नहीं करने का निर्देश दिया (वचन 10)। वह प्रतिदिन राजा के रनवास में यह देखने के लिए जाता था कि एस्तेर कैसी थी (वचन 11)।

जब एस्तेर की राजा के पास जाने की बारी आयी, "तब जो कुछ स्त्रियों के प्रबन्धक राजा के खोजे हेगे ने उसके लिये ठहराया था, उससे अधिक उसने और कुछ न माँगा। जितनों ने एस्तेर को देखा, वे सब उससे प्रसन्न हुए" (एस्तेर2:15)। उसने राजा की कृपा को प्राप्त किया: राजा ने "एस्तेर को और सब स्त्रियों से अधिक प्यार किया," और उसने उसे अपनी रानी बनाया (एस्तेर 2:17)। ऐसा प्रतीत होता है कि एस्तेर, "सुन्दर और रूपवती [होने]" (वचन 7) के अतिरिक्त, बुद्धिमानी से परामर्श देने वालों के परामर्श की आज्ञा का पालन करने में सभी तरह से विनम्र थी और सभी तरह से उसके मन को जीतने वाली थी। जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, यह भी स्पष्ट हो जाता है कि परमेश्‍वर पूरी प्रक्रिया के द्वारा अपने कार्य को कर रहा था।

कुछ समय पश्‍चात्, मोर्दकै राजा के भवन के फाटक पर बैठा हुआ था और तब उसने राजा क्षयर्ष के विरूद्ध हत्या के षड़यन्त्र को सुना। उसने इसकी सूचना रानी एस्तेर को दी, जिसने राजा को इसकी सूचना दी और मोर्दकै को इसका श्रेय दिया गया। षड़यन्त्र को असफल कर दिया गया था, परन्तु इस घटना को लगभग भुला दिया गया था (ऐस्तर 2:21–23)। हम इस घटना के द्वारा एस्तेर का मोर्दकै के साथ बने रहने वाले घनिष्ठता के सम्बन्ध को देखते हैं। मोर्दकै और एस्तेर दोनों ने राजा को सम्मानित किया और वे उसकी रक्षा उसके शत्रुओं से करना चाहते थे।

इसके पश्‍चात्, राजा ने अपने राजकीय कार्यों को करने के लिए एक दुष्ट व्यक्ति को नियुक्त किया। उसका नाम हामान था, और वह इस्राएलियों को तुच्छ मानता था। हामान अमालेकियों के राजा अगाग का वंशज था, जो पीढ़ियों से इस्राएल के विरूद्ध शपथ खाए हुए शत्रु थे (निर्गमन 17:14-16), और इस्राएल के विरूद्ध कट्टरता और पूर्वाग्रह हामान के अन्धकार से भरे हुए मन की गहराई में निहित थे। अपने अभिमान में, हामान ने राजा के भवन के फाटक पर रहने वाले राजकीय अधिकारियों को उसके सामने दण्डवत करने और उसे सम्मान देने की आज्ञा दी, परन्तु मोर्दकै ने मना कर दिया। शासकीय अधिकारियों ने हामान से इसके बारे में यह सुनिश्‍चित करते हुए हामान को बताया कि मोर्दकै एक यहूदी था। हामान न केवल मोर्दकै को दण्डित करना चाहता था, अपितु "क्षयर्ष के साम्राज्य में रहनेवाले सारे यहूदियों को भी मोर्दकै की जाति जानकर, नष्‍ट कर डालने की युक्‍ति" निकालने की इच्छा रखता था (एस्तेर 3:6)। राजा क्षयर्ष ने हामान को इस विषय में प्रसन्न होने के लिए जैसा चाहे वैसा करने की अनुमति दी, और एक आदेश सभी प्रान्तों के लिए दिया गया कि एक निश्‍चित दिन में (या पूरीम), जिसे एक चिट्ठी के द्वारा चुना गया था, लोगों को "एक ही दिन में क्या जवान, क्या बूढ़ा, क्या स्त्री, क्या बालक, सब यहूदी मार डाले जाएँ, नष्‍ट किए जाएँ" (एस्तेर 3:13)। लोग हतप्रभ थे, और यहूदियों में बहुत अधिक विलाप आ गया (एस्तेर 3:15; 4:3)।

रानी एस्तेर यहूदियों के विरूद्ध रचे गए इस षड़यन्त्र से अनजान थी, परन्तु उसे इसका तब पता चला जब उसकी सेवा टहल करने वाली दासियों और सहेलियों ने उसे बताया कि मोर्दकै विपत्ति में है। एस्तेर ने मोर्दकै के पास सन्देशवाहक भेजा कि पता लगाए कि बात क्या है। मोर्दकै ने अपनी चचेरी बहिन को राजा के अध्यादेश की एक प्रति भेजी और उसे "भीतर राजा के पास जाकर अपने लोगों के लिये गिड़गिड़ाकर विनती करने" के लिए कहा (एस्तेर 4:8)। अब, राजा के द्वारा बिन बुलाए उसके सामने जाना नीति के विरूद्ध था, और एस्तेर को राजा के द्वारा पिछले तीस दिनों से आमन्त्रित नहीं किया गया था। अपने मध्यस्थक के माध्यम से, एस्तेर ने मोर्दकै को उसके द्वारा सहायता देने में असमर्थता की सूचना दी। उसने उत्तर दिया, "तू मन ही मन यह विचार न कर कि मैं ही राजभवन में रहने के कारण और सब यहूदियों में से बची रहूँगी। क्योंकि जो तू इस समय चुपचाप रहे, तो और किसी न किसी उपाय से यहूदियों का छुटकारा और उद्धार हो जाएगा, परन्तु तू अपने पिता के घराने समेत नष्‍ट होगी। क्या जाने तुझे ऐसे ही कठिन समय के लिये राजपद मिल गया हो?" (एस्तेर 4:13-14)। विश्‍वास के एक बड़े प्रदर्शन के लिए, एस्तेर सहमत हो गई। उसने यहूदियों से उसके लिए तीन दिन उपवास करने के लिए कहा, जबकि उसने और उसकी सहेलियों ने भी उपवास किया। "ऐसी ही दशा में मैं नियम के विरुद्ध राजा के पास भीतर जाऊँगी; और यदि नष्‍ट हो गई तो हो गई" (एस्तेर 4:16)।

जब एस्तेर राजा के सामने पहुँची, तब वह वास्तव में अपने प्राणों को जोखिम में डाल रही थी। परन्तु क्षयर्ष ने "प्रसन्न होकर सोने का राजदण्ड जो उसके हाथ में था उसकी ओर बढ़ाया," जो एक तरह का संकेत था कि उसने उसकी उपस्थिति को स्वीकार किया है (एस्तेर 5:2)। उसने उस दिन क्षयर्ष और हामान को भोज में आने के लिए आमन्त्रित किया। राजा ने हामान को बुलाया और भोजन करने के लिए उसके साथ आया, जहाँ उसने पूछा कि वह क्या चाहती है यहाँ तक कि, "आधा राज्य तक तुझे दिया जाएगा" (वचन 6)। एस्तेर ने दोनों पुरुषों को अगले दिन एक और भोज में सम्मिलित होने के लिए आमन्त्रित किया जहाँ उसने कहा कि वह अपना अनुरोध प्रस्तुत करेगी (वचन 8)। दोनों पुरुष सहमत हो गए।

क्षयर्ष को उस रात नींद नहीं आई और उसने अपने शासन के समय लिपिबद्ध किए गए इतिहास को पढ़ने का आदेश दिया। आश्‍चर्यजनक रूप से, उसने जो सुना वह मोर्दकै के द्वारा उसकी हत्या के षड़यन्त्र को उजागर करना और राजा के जीवन को बचाना था। इस बीच, हामान अपने घर गया, उसने अपने दोस्तों और पत्नी को इकट्ठा किया, और उन्हें बताया कि वह कितना अधिक सम्मानित था। परन्तु उसने मोर्दकै को घर के मार्ग पर देखा था, जिसने उसे क्रोधित कर दिया था। उसकी पत्नी और मित्रों ने सुझाव दिया कि हामान के द्वारा फाँसी का एक खम्भा बनाया जाए, जिस पर मोर्दकै को टांग दिया जाए (एस्तेर 5:9–14)। हामान ने उनको परामर्श के अनुसार किया और फाँसी का फन्दा बनाया।

जब राजा क्षयर्ष इस बात पर विचार ही कर रहा था कि उसने मोर्दकै को उसके जीवन-को बचाने के लिए सम्मानित नहीं किया था, हामान राजा से मोर्दकै को फाँसी देने की बात करने आया था। राजा ने हामान की सोच के बारे में पूछा कि किस तरह एक ऐसे व्यक्ति को सम्मानित किया जाए जिस "मनुष्य की प्रतिष्‍ठा राजा करना चाहता हो" (एस्तेर 6:6)। क्षयर्ष के द्वारा वर्णन को हामान ने स्वयं के लिए सोचा, उसने सुझाव दिया कि उसे एक राजकीय वस्त्र पहनाया जाए, और जिस घोड़े पर राजा ने सवारी की है, उसी पर उसे सवार करके यह घोषणा करते हुए नगर में घुमाया जाए कि, "जिसकी प्रतिष्‍ठा राजा करना चाहता है, उसके साथ ऐसा ही किया जाएगा!" (एस्तेर 6:9)। क्षयर्ष ने हामान को मोर्दकै के लिए तुरन्त ऐसा करने का आदेश दिया।

हामान ने राजा की बात मानी और उस व्यक्ति को सम्मानित किया, जिससे वह सबसे अधिक घृणा करता था। फिर उसने अपनी पत्नी और मित्रों को इस घटना के विषय में बताया। सम्भवतः अधिक दूरदर्शिता के साथ उन्होंने महसूस किया, "तब उसके बुद्धिमान मित्रों और उसकी पत्नी जेरेश ने उससे कहा, 'मोर्दकै जिसे तू नीचा दिखाना चाहता है, यदि वह यहूदियों के वंश में का है, तो तू उस पर प्रबल न होने पाएगा उससे पूरी रीति से नीचा ही खाएगा'” (एस्तेर 6:13)। राजा के खोजे पहुँचे और हामान को एस्तेर के द्वारा आयोजित भोज में ले गए (वचन 14)। वहाँ, एस्तेर ने राजा को बताया कि उसके लोगों का सर्वनाश करने के लिए बेच दिया गया था। एस्तेर ने बहुत अधिक सम्मान और विनम्रता दिखाते हुए कहा कि यदि वे केवल गुलामी में बेच दिए गए होते, तो वह चुप रहती क्योंकि, "उस दशा में वह विरोधी राजा की हानि भर न सकता" था (एस्तेर 7:4)। राजा इस बात को लेकर भौचक्का रहा गया कि कोई उसकी रानी के लोगों के साथ ऐसा करने का साहस कर सकता है (वचन 5)। एस्तेर ने इसी "दुष्ट हामान" को पूरे षड़यन्त्र के पीछे कार्य करने वाले व्यक्ति के रूप में प्रगट किया (वचन 7)। क्षयर्ष भोज से उठते हुए क्रोधित हो गया। हामान प्राणदान मांगने के लिए एस्तेर के पास ही रह गया। जब राजा ने राजभवन में फिर से प्रवेश किया और जो देखा उसे देखते हुए यह सोचा कि हामान एस्तेर से छेड़छाड़ करना चाहता है और उसने मोर्दकै के लिए बनाए गए फाँसी के खम्बे के ऊपर हामान को लटका दिए जाने का आदेश दिया (वचन 8-10)।

हामान के मरने के पश्‍चात्, क्षयर्ष ने एस्तेर को हामान की सारी सम्पत्ति दे दी और मोर्दकै को अपनी हस्ताक्षर करने वाली अंगूठी पहना दी, मोर्दकै को वही अनिवार्य अधिकार दिया गया, जो हामान के पास था। यद्यपि, हामान की ओर से जो आदेश निकाल दिया गया था, वह अपरिवर्तनीय था। एस्तेर ने एक बार फिर से हस्तक्षेप करने के लिए राजा से विनती की। क्षयर्ष ने आदेश दिया कि पहले का सामना करने के लिए एक और राजकीय आदेश को लिखा जाए: जिसने यहूदियों को यह अधिकार दिया कि वे किसी भी व्यक्ति से अपना बचाव कर सकें जो उनके ऊपर आक्रमण करेगा। अब पूरे प्रान्तों में आनन्द आ गया था। कई लोग डर से यहूदी भी बन गए। कुछ शत्रुओं ने पहले से निर्धारित दिन में आक्रमण किया था, परन्तु यहूदी उन पर विजयी रहे (एस्तेर 8)।

एस्तेर की बहादुरी और परमेश्‍वर के प्रति विश्‍वास इस भरोसे का प्रमाण है कि इस जवान स्त्री का जीवित परमेश्‍वर में विश्‍वास था। उसका जीवन परमेश्‍वर की प्रभुता का उसकी सृष्टि के ऊपर होने की शिक्षा देता है। परमेश्‍वर जीवन के प्रत्येक पहलू में लोगों को, सरकारों को, और उसकी योजना और उद्देश्य को पूरे करने के लिए परिस्थितियों को आपस में जोड़ देता है। हम यह न जानते हों कि परमेश्‍वर किसी विशेष क्षण में क्या कर रहा है, परन्तु एक समय ऐसा आ सकता है, जब हम साकार करें कि हम क्यों कुछ निश्‍चित अनुभवों में से होकर गए हैं या कुछ निश्‍चित लोगों से मिले हैं या कुछ निश्‍चित क्षेत्रों में रहे हैं या कुछ निश्‍चित दुकानों में गए हैं या कुछ निश्‍चित यात्राओं को किया है। ऐसा समय आ सकता है, जब सब कुछ एक साथ आता है, और जब हम पीछे मुड़कर देखते हैं, तो पाते हैं कि हम सही समय पर सही स्थान पर थे, ठीक वैसे ही थे, जैसे एस्तेर थी। वह रनवास में "ऐसे ही समय के लिए" थी। वह रानी "ऐसे ही समय के लिए" बनी। उसने सामर्थ्य पाई और अपने लोगों के लिए हस्तक्षेप करने के लिए "ऐसे ही समय के लिए" तैयार हुई (एस्तेर 4:14)। और वह आज्ञा मानने में विश्‍वासयोग्य थी। एस्तेर ने परमेश्‍वर के ऊपर भरोसा किया और विनम्रतापूर्वक सेवा की, यह बात कोई अर्थ नहीं रखती है कि इसका क्या मूल्य हो सकता है। एस्तेर वास्तव में परमेश्‍वर की प्रतिज्ञा को स्मरण दिलाती है, जैसा कि रोमियों 8:28 में लिखा हुया है: "हम जानते हैं कि जो लोग परमेश्‍वर से प्रेम रखते हैं, उनके लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती हैं; अर्थात् उन्हीं के लिये जो उसकी इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं।"

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