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प्रश्न

हमें एलीशा के जीवन से क्या सीखना चाहिए?

उत्तर


एलीशा, जिसके नाम का "परमेश्‍वर उद्धार है," इस्राएल में भविष्यद्वक्ता की पदवी को प्राप्त करने में एलिय्याह का उत्तराधिकारी था (1 राजा 19:16, 19-21; 2 राजा 5:8)। उसे 1 राजा 19:19 में एलिय्याह का अनुसरण करने के लिए बुलाया गया था, और जब तक एलिय्याह को स्वर्ग में ऊपर उठा नहीं लिया गया, तब तक उसने आने वाले कई वर्षों को भविष्यद्वक्ता की अधीनता में व्यतीत किया। तत्पश्‍चात्, एलीशा ने अपनी सेवकाई को आरम्भ किया, जो कि लगभग 60 वर्षों तक बनी रही, और यह यहोराम, येहू, यहीआहाज और यहोआश राजाओं के शासनकाल तक विस्तारित रही।

एलीशा की आरम्भिक बुलाहट निर्देशात्मक है। बाल के भविष्यद्वक्ताओं के विरूद्ध परमेश्‍वर की सामर्थ्य का सामर्थी प्रदर्शन और एक लम्बे अकाल के पश्‍चात् वर्षा के आगमन के पश्‍चात्, रानी इज़ेबेल ने एलिय्याह के प्राणों को ले लेना चाहा। डर कर, यह भविष्यद्वक्ता भाग गया। उसे एक स्वर्गदूत के द्वारा ताजा किया गया और होरेब पर्वत के लिए चालीस-दिवसीय यात्रा के लिए तैयार किया गया। वहाँ, एलिय्याह ने अंगीकार किया कि वह स्वयं को ही एकमात्र विश्‍वासयोग्य बचा हुआ भविष्यद्वक्ता मानता था। परमेश्‍वर ने एलिय्याह को घर वापस जाने के लिए कहा, और अराम के लिए राजा हजाएल, इस्राएल के लिए राजा येहू, और एलीशा को उसके उत्तराधिकारी भविष्यद्वक्ता के रूप में अभिषेक करने के लिए कहा। परमेश्‍वर ने कहा, "और हजाएल की तलवार से जो कोई बच जाए उसको येहू मार डालेगा; और जो कोई येहू की तलवार से बच जाए उसको एलीशा मार डालेगा" (1 राजा 19:17)। उसने एलिय्याह को आश्‍वस्त किया कि 7,000 शेष बचे हुए लोग थे, जिन्होंने बाल के आगे सिर को नहीं झुकाया था।

एलिय्याह ने परमेश्‍वर की आज्ञा का पालन किया और एलीशा से मुलाकात की, जो उस समय बैलों की एक जोड़ी के साथ जुताई कर रहा था। एलिय्याह ने एलीशा के चारों ओर अपनी चादर को डाल दिया – जो कि एक ऐसा चिन्ह था कि एलिल्याह के दायित्व एलीशा के ऊपर आ गए हैं, और एलीशा ने अपने बैलों को छोड़ दिया और भविष्यद्वक्ता के पीछे हो लिया। एलीशा ने एलिय्याह से मात्र अपने परिवार से विदाई लेने के लिए कहा और वह उसके पीछे से लौट गया। उसने अपने बैलों को बलि किया और बैलों का समान जला दिया, और उनके पके हुए मांस को लोगों को खाने के लिए दिया, तत्पश्‍चात् वह एक नौकर के रूप में एलिय्याह के पीछे हो लिया। एलीशा ने अपनी बुलाहट का प्रतिउत्तर तुरन्त दिया। उसने अपने पहले के जीवन से स्वयं को पूरी तरह से हटा दिया- अनिवार्य रीति से ऐसा उसने एक उत्सव करने के द्वारा और अपने बैलों के पास न लौटने के लिए कोई विकल्प न छोड़ने के द्वारा किया। न केवल एलीशा ने अपने पहले के जीवन को छोड़ दिया, अपितु वह अपने नए जीवन में एक नौकर बन गया (1 राजा 19:21)।

ऐसा प्रतीत होता है कि एलीशा एलिय्याह से प्रेम करता था, ठीक वैसे ही जैसे कि मानो वह उसका पिता है। उसने एलिय्याह को स्वर्ग में उठा लिए जाने से पहले छोड़ने से मना कर दिया, इतने पर कि एलिय्याह ने उसे वहीं पर रूकने के लिए भी कहा था। एलिय्याह ने एलीशा को उसके साथ रहने की अनुमति दी, और उसने पूछा कि वह उसके जाने से पहले उसकी अधीनता में उसके लिए क्या कर सकता है। एलीशा ने एलिय्याह की आत्मा के दोहरे भाग को पाने का अनुरोध किया। यह एक लालची अनुरोध नहीं था, अपितु यह दर्शाता था कि एलीशा एलिय्याह के पुत्र के रूप में पहचाना जाना चाहता था। एलिय्याह ने एलीशा को कहा कि, जब उसे उठाया जाएगा तब यदि वह एलिय्याह को देख लेता है, तो उसे दोहरा भाग मिल जाएगा। एलीशा ने वास्तव में, अग्निमय रथ और अग्निमय घोड़ों को देखा था, जिसने उन दोनों को एक दूसरे से पृथक कर दिया, और उसने देखा कि एलिय्याह को स्वर्ग पर एक बवण्डर में उठा लिया गया था। एलीशा ने एलिय्याह की चादर को उठाया और यरदन नदी तक चला गया। एलीशा ने एलिय्याह की चादर को पानी पर मारा, और यह विभाजित हो गया, जैसा कि यह एलिय्याह के लिए हुआ था। इस बारे में गवाही देने वाले दूसरे भविष्यद्वक्ताओं ने पहचान लिया कि एलिय्याह की आत्मा अब एलीशा के ऊपर आ उतरी थी। जैसा कि परमेश्‍वर ने आदेश दिया था, एलीशा अब लोगों के लिए उनका भविष्यद्वक्ता होगा (2 राजा 2:1-18)।

जैसा कि परमेश्‍वर ने एलिय्याह को पहाड़ पर बताया था, यह एलीशा की सेवकाई के समय हुआ जब बाल देवता की संगठित पूजा को पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया (2 राजा 10:28)। अपनी सेवकाई में एलीशा ने व्यापक रूप से यात्रा की और राजाओं के परामर्शदाता, सामान्य लोगों के साथी और इस्राएलियों और विदेशियों दोनों के लिए मित्र के रूप में कार्य किया।

भविष्यद्वक्ता के रूप में एलीशा की सेवा के कई प्रसिद्ध वृतान्त पाए जाते हैं। उसने यरीहो के पानी को चँगा किया (2 राजा 2:19-21) और लड़कों के द्वारा ठट्ठा किए जाने पर, यहोवा के नाम से उन्हें शाप दिया, जिसके परिणामस्वरूप उनकी मृत्यु हो गई (2 राजा 2:23-25)। उसने एक विधवा के तेल को कई गुणा बढ़ा दिया (2 राजा 4:1-7)। उसने एक धनी शूनेम के परिवार में एक पुत्र होने की भविष्यद्वाणी की, जिसने उसको शरण दी थी और बाद में उसी के पुत्र को फिर से जीवित भी किया (2 राजा 4:8–37)। एलीशा ने एक हण्डे से जहर को हटा दिया (2 राजा 4:38–41) और एक सौ पुरुषों को खिलाने के लिए जौ की बीस रोटियों को बढ़ा दिया (2 राजा 4:42–44)। उसने नामान के कोढ़ को चँगा किया (2 राजा 5) और एक उधार मांगी हुई कुल्हाड़ी उसके द्वारा आज्ञा देने पर तैरने लगी (2 राजा 6:1-7)। एलीशा ने जिन आश्‍चर्यकर्मों को किया, वे अपने अधिकांश भाग में, सहायता और आशीष के कार्य हैं। अन्य लोग दृढ़ता से उनकी समानता मसीह के द्वारा किए गए कुछ आश्‍चर्यकर्मों से करते हैं, जैसे कि भोजन की वृद्धि करना (मत्ती 16:9-10) और कोढ़ को चँगा करना इत्यादि (लूका 17:11-19)।

एलीशा ने इस्राएल के राजा को परामर्शदान दिया। एक घटना बताती है कि एलीशा ने अराम के राजा की गतिविधियों के बारे में राजा को चेतावनी दी थी। जब अराम के राजा को पता चला कि यह एलीशा है, जो उसकी योजनाओं को असफल कर रहा है, तो उसने भविष्यद्वक्ता को पकड़ने का प्रयास किया। जब एलीशा के सेवक गेहजी ने अरामियों को देखा, जो उनके विरूद्ध आए थे, तो वह डर गया। परन्तु एलीशा ने उससे कहा कि डरने की कोई बात नहीं है, क्योंकि "जो हमारी ओर हैं, वह उन से अधिक हैं, जो उनकी ओर हैं।' तब एलीशा ने यह प्रार्थना की, 'हे यहोवा, इसकी आँखें खोल दे कि यह देख सके।' तब यहोवा ने सेवक की आँखें खोल दीं, और जब वह देख सका, तब क्या देखा कि एलीशा के चारों ओर का पहाड़ अग्निमय घोड़ों और रथों से भरा हुआ है” (2 राजा 6:16–17)। कोई स्वयं की सहायता नहीं कर सकता, परन्तु यह स्मरण कर सकता है कि जब एलिय्याह को स्वर्ग पर उठाया गया था, तो एलीशा ने जिन अग्निमय रथों को देखा था, ठीक वैसे ही रथों को अब देखा गया था। तब एलीशा ने अरामियों के अंधे हो जाने के लिए प्रार्थना की। एलीशा उन्हें इस्राएल की राजधानी सामरिया में ले गया, इससे पहले कि वह प्रभु यहोवा से उनकी आँखों को खोलने के लिए प्रार्थना करता। इस्राएल का राजा आश्‍चर्य में पड़ गया कि क्या उसे बंदियों को मार देना चाहिए, परन्तु एलीशा ने इसके बदले उसे उनके लिए भोजन तैयार करने का परामर्श दिया। जब उन्होंने भोज को समाप्त किया, तो अरामी अपने स्वामी के पास लौट आए, और अराम ने इस्राएल के विरूद्ध युद्ध को रोक लिया। एलीशा ने इस्राएल और सीरिया के सम्बन्ध में राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय महत्व की अन्य घटनाओं का भी उल्लेख किया।

एलीशा की मृत्यु के समय राजा यहोआश या योआश शासन कर रहा था। राजा ने एलीशा से मुलाकात की, जब भविष्यद्वक्ता बीमार था और तो वह उसके स्वास्थ्य को लेकर रोया। एलीशा ने यहोआश को निर्देश दिया कि वह उसके पास एक धनुष और तीर ले आए और उसे खिड़की से बाहर मारे। जब यहोआश ने ऐसा किया, तो एलीशा ने उससे कहा कि यह अराम के ऊपर विजय के लिए परमेश्‍वर का तीर है। तब एलीशा ने राजा को तीर को भूमि के ऊपर मारने के लिए कहा, परन्तु यहोआश केवल तीन बार मारने के पश्‍चात् रुक गया। तब एलीशा क्रोधित हो गया। यदि यहोआश ने इसे भूमि के ऊपर पाँच या छः बार मारा होता, तो उसने अराम को पूरी तरह से नष्ट कर दिया होता, परन्तु अब वह उसे केवल तीन बार पराजित करेगा (2 राजा 13:14-19)।

एलीशा की मृत्यु के विषय में, 2 राजा 13:20 केवल इतना ही कहता है कि, "एलीशा मर गया और उसे मिट्टी दी गई।" परन्तु यह सन्दर्भ आगे मोआबी आक्रमणकारियों के बारे में बात करता है, जो प्रत्येक वसन्त ऋतु में इस्राएल में आते थे: "लोग किसी मनुष्य को मिट्टी दे रहे थे कि एक दल उन्हें दिखाई पड़ा, तब उन्होंने उस शव को एलीशा की कबर में डाल दिया, और एलीशा की हड्डियों से छूते ही वह जी उठा, और अपने पावों के बल खड़ा हो गया" (2 राजा 13:21)। ऐसा प्रतीत होता है कि परमेश्‍वर ने उसकी मृत्यु के पश्‍चात् भी भविष्यद्वक्ता के माध्यम से अपनी सामर्थ्य का प्रदर्शन करना चुना।

यीशु ने एलीशा के विषय में लूका 4:27 में बात की है। लोगों ने यीशु को नासरत में स्वीकार करने से इन्कार कर दिया था और उसने उन्हें कहा कि "कोई भविष्यद्वक्‍ता अपने देश में मान-सम्मान नहीं पाता" (लूका 4:24)। यीशु ने कहा कि एलीशा के समय में इस्राएल में कई कोढ़ी थे, तौभी केवल एक सीरियाई नामान को चँगा किया गया था।

एलीशा के जीवन का अध्ययन भविष्यद्वक्ता की विनम्रता (2 राजा 2:9; 3:11), इस्राएल के लोगों के प्रति उसका स्पष्ट प्रेम (2 राजा 8:11-12), और एक जीवन पर्यन्त चलने वाली उसकी विश्‍वासयोग्यता से भरी हुई सेवकाई को प्रकट करता है। एलिय्याह का अनुसरण उत्साह और विश्‍वासपूर्वक करते हुए, एलीशा परमेश्‍वर की बुलाहट के प्रति आज्ञाकारी रहा था। एलीशा ने स्पष्ट रूप से परमेश्‍वर के ऊपर विश्‍वास और भरोसा किया। एलीशा ने परमेश्‍वर की खोज की और उसके माध्यम से परमेश्‍वर ने सामर्थ्यपूर्ण रीति से कार्य किया।

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