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प्रश्न

छुटकारे का धर्मविज्ञान क्या है?

उत्तर


सरल रूप में कहना, लिबरेशन थियोलॉजी अर्थात् छुटकारे का धर्मविज्ञान एक ऐसा आन्दोलन है, जो पवित्र शास्त्र की व्याख्या निर्धन की दुर्दशा के माध्यम से करने का प्रयास करता है। छुटकारे के धर्मविज्ञान के अनुसार, यीशु के सच्चे अनुयायियों को एक धर्मी समाज की ओर कार्य करते हुए, सामाजिक और राजनैतिक परिवर्तनों को लाते हुए, निर्धनों और दलितों के ऊपर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए, और कोई भी वैध कलीसिया उन्हें प्राथमिकता देगी, जो ऐतिहासिक रूप से हाशिए पर या अपने अधिकारों से वंचित हैं। कलीसिया के सभी धर्मसिद्धान्त निर्धनों के दृष्टिकोण से विकसित होने चाहिए। निर्धनों के अधिकारों के बचाव को सुसमाचार का केन्द्रीय पहलू देखा जाता है।

यहाँ पर एक उदाहरण दिया गया है कि कैसे छुटकारे का धर्मविज्ञान नि:सहाय और निर्धनों की दृष्टि से पवित्र शास्त्र को देखता है : लूका 1:52–53, मरियम परमेश्‍वर की स्तुति यह कहते हुए करती है, "उसने बलवानों को उसके सिंहासन से गिरा दिया/और दीनों को ऊँचा किया है/उसने भूखों को अच्छी वस्तुओं से तृप्त किया/और धनवानों को छूछे हाथ निकाल दिया।" छुटकारे के धर्मविज्ञान के अनुसार, मरियम उस अनन्त को व्यक्त कर रही है कि परमेश्‍वर ने भौतिक रूप से निर्धनों को छुटकारा और शारीरिक रूप से भूखों को भोजन प्रदान किया है, जबकि उसने भौतिक रूप से धनी लोगों को छूछे हाथ कर दिया है। वह परमेश्‍वर है, दूसरे शब्दों में, जो दीनों को उनसे ज्यादा कृपा प्रदान करता है, जिनके पास धन है।

मूल रूप से छुटकारे का धर्मविज्ञान लैटिन अमेरिका के रोमन कैथोलिकवाद में निहित है। इसकी वृद्धि व्यापक निर्धनता और लैटिन अमेरिकी समाज के बड़े वर्गों द्वारा किए जाने वाले दुर्व्यवहार के प्रति प्रतिक्रिया के रूप में देखी जाती है। छुटकारे के धर्मविज्ञान को बढ़ावा देने वाली एक प्रभावशाली पुस्तक फादर गुस्तावो गुटीरेज़ द्वारा लिखित छुटकारे का धर्मविज्ञान (1971) है।

छुटकारे के धर्मविज्ञान को बढ़ावा देने वाले अपने समर्थन के लिए पुराने नियम के भविष्यद्वक्ताओं को उपयोग करते हैं। उदहारण के लिए, मलाकी 3:5 परमेश्‍वर के न्याय को उनके ऊपर आने की चेतावनी देता है, जो कार्य करते हुए व्यक्ति पर अत्याचार लाते हैं : '"मैं न्याय करने को तुम्हारे निकट आऊँगा...जो मज़दूर की मज़दूरी को दबाते, और विधवा और अनाथों पर अन्धेर करते और परदेशी का न्याय बिगाड़ते और मेरा भय नहीं मानते, उन सभों के विरूद्ध मैं तुरन्त साक्षी दूँगा, सेनाओं के यहोवा का यही वचन है" (यशायाह 58:6–7; यिर्मयाह 7:6; जकर्याह 7:10 को भी देखें)। साथ ही लूका 4:18 में यीशु के शब्द पीड़ितों के ऊपर उसके तरस को दर्शाते हैं: "प्रभु का आत्मा मुझ पर है, इसलिये कि उसने कंगालों को सुसमाचार सुनाने के लिए मेरा अभिषेक किया है, और मुझे इसलिए भेजा है कि बन्दियों को छुटकारे का और अँधों को दृष्टि पाने के सुसमाचार का प्रचार करूँ" (इसकी तुलना यशायाह 61:1 के साथ करें)।

छुटकारे के धर्मविज्ञान सम्बन्धी धर्मविज्ञानी साथ ही मत्ती 10:34 में यीशु के शब्दों को इस विचार को बढ़ावा देने के लिए उपयोग करते हैं कि कलीसिया को सक्रियतावाद में कार्यरत् होना चाहिए: "यह न समझो कि मैं पृथ्वी पर मिलाप करने आया हूँ; मैं मिलाप कराने नहीं, पर तलवार चलवाने आया हूँ।" छुटकारे के धर्मविज्ञान के अनुसार, यीशु ने सामाजिक स्थिरता नहीं अपितु सामाजिक अशान्ति के लिए प्रेरित किया।

छुटकारे के धर्मविज्ञान के आलोचकों ने इसे मार्क्सवाद के साथ जोड़ दिया है और इसे विफल समाजवादी नीतियों के धार्मिक रूप में देखते हैं। वेटिकन के अधिकारियों सहित, कई पोपों ने भी छुटकारे के धर्मविज्ञान के विरूद्ध बातें की हैं। कैथोलिक विरोध के कारणों में छुटकारे के धर्मविज्ञान के सिद्धान्त का पालन करने और उनकी ओर से कलीसिया के पदानुक्रमित ढांचे की अस्वीकृति के ऊपर जोर दिया गया है — छुटकारे का धर्मविज्ञान "मूल समुदायों" का समर्थन करता है, जो कलीसिया की सीमाओं से बाहर मुलाकात करते हुए, प्रभावी रूप से कैथोलिक पुरोहित वर्ग को दरकिनार करते हैं।

छुटकारे का धर्मविज्ञान दक्षिण और मध्य अमेरिका के निर्धन किसानों से बहुत आगे की ओर बढ़ गई है। हैती और दक्षिण अफ्रीका में भी छुटकारे का धर्मविज्ञान के भिन्न रूप पाए जाते हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका में कुछ कलीसियाओं जैसे कि यिर्मयाह राइट की ट्रिनिटी यूनाइटेड चर्च ऑफ क्राइस्ट इत्यादि में काले लोगों के छुटकारे के धर्मविज्ञान का प्रचार किया जाता है। एक सम्बन्धित धर्मवैज्ञानिक आन्दोलन नारीवादी छुटकारे का धर्मविज्ञान है, जो महिलाओं को दमनकारी समूह के रूप में देखते हैं, जिनका छुटकारा होना चाहिए, भी पाया जाता है।

बाइबल निश्चित रूप से मसीह के अनुयायियों को निर्धनों की देखभाल करने (गलातियों 2:10; याकूब 2:15–16; 1 यूहन्ना 3:17), और हमें अन्याय के विरूद्ध बोलना चाहिए, की शिक्षा देती है। और हाँ, बाइबल निरन्तर धन के धोखे के विरूद्ध भी चेतावनी देती है (मरकुस 4:19)। तथापि, छुटकारे का धर्मविज्ञान कई स्थानों पर गलत दिशा में चला जाता है। क्योंकि प्रथम, यह सामाजिक कार्य को सुसमाचार की समानता में ले आता है। भूखों को भोजन खिलाना अत्यधिक महत्वपूर्ण है, तथापि, यह मसीह के सुसमाचार का स्थान नहीं ले सकता है (देखें प्रेरितों के काम 3:6)। मनुष्य की मूल आवश्यकता सामाजिक नहीं अपितु आत्मिक है। साथ ही, सुसमाचार सभी लोगों के लिए है, जिसमें धनी भी सम्मिलित हैं (लूका 2:10)। शिशु मसीह से मिलने आए हुए ज्योतिषी और चरवाहे दोनों ही; दोनों ही समूहों का स्वागत किया गया था। परमेश्‍वर के द्वारा पसन्द किए जाने वाले किसी एक समूह को विशेष स्थान देना पक्षपात करना है, जो एक ऐसी बात है, जिसे परमेश्‍वर कभी नहीं करता है (प्रेरितों के काम 10:34–35)। मसीह उसकी कलीसिया में सामाजिक-आर्थिक, नस्ल आधारित या लिंग आधारित विभाजन को नहीं अपितु एकता को लाता है (इफिसियों 4:15)।

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