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प्रश्न

लिब्यातान क्या था?

उत्तर


लिब्यातान एक प्रकार का एक बड़ा जलीय प्राणी है। बाइबल इसे एक भयानक जानवर के रूप में उद्धृत करती है, जो राक्षसी क्रूरता और महान शक्ति के साथ में पाया जाता है। "लिब्यातान" के इब्रानी शब्द का मूल "कुण्डली" मारने या "मुड़ने" के ऊपर आधारित है। यशायाह 27:1 में "लिब्यातान नामक वेग और टेढ़े चलनेवाले सर्प...जो अजगर समुद्र में रहता है" के रूप में बोला गया है (बी. एस. आई. हिन्दी बाइबल)। समुद्र का यह अजगर कैसा भी क्यों न हो (या था), इसकी सामर्थ्य और जंगली स्वभाव जाने पहचाने थे।

पुराने नियम में लिब्यातान के सन्दर्भ में सहायता प्रदान करने वाले सन्दर्भ पाए जाते हैं। अधिकांश सन्दर्भ लिब्यातान को एक वास्तविक प्राणी के रूप में वर्णित करते हैं, जिसे लोगों द्वारा यदि दृष्टि से नहीं तो अपनी प्रतिष्ठा के द्वारा ही पहचाना जा सकता है (जिसे, निश्चित रूप से, उनकी पहुँच से दूर रखा गया है)। भजन संहिता 104:25–26 में परमेश्‍वर की स्तुति इसलिए की गई है, क्योंकि यह वही है, जिसने लिब्यातान के रहने के लिए निवास स्थान की सृष्टि की है: "समुद्र बहुत ही बड़ा और बहुत ही चौड़ा है, और उस में अनिगिनत जलचर, जीव-जन्तु — क्या छोटे क्या बड़े भरे पड़े हैं। उसमें जहाज भी आते जाते हैं, और लिब्यातान भी जिसे तू ने वहाँ खेलने के लिये बनाया है।" केवल महान परमेश्‍वर ही लिब्यातान की सृष्टि कर सकता है और फिर तत्पश्चात् उसे सुरक्षित रूप से रहने के लिए "उल्लास" से भरा हुआ एक बहुत ही बड़ा स्थान दे सकता है।

यशायाह 27:1 में लिब्यातान को पृथ्वी के दुष्ट राजाओं के प्रतीक के रूप में प्रयोग किया गया है, जो परमेश्‍वर के लोगों के विपरीत कार्य करते हैं। महान् शक्ति जिसका सहारा दुष्ट जातियाँ लेती हैं, डरावनी हो सकती हैं, परन्तु परमेश्‍वर अपनी सन्तान को भरोसा दिलाता है कि बुराई चाहे कितना भी दुष्ट ही क्यों न हो, "उस समय यहोवा अपनी कड़ी, बड़ी और दृढ़ तलवार से — लिब्यातान नामक वेग और टेढ़े चलने वाले सर्प को दण्ड देगा, और जो अजगर समुद्र में रहता है, उसको भी घात करेगा।" भजन संहिता 74:14 में भी लिब्यातान के ऊपर परमेश्‍वर की विजय का इसी तरह का एक सन्दर्भ पाया जाता है; इस भजन में, लिब्यातान का अर्थ मिस्र के फिरौन के लिए किए जाने की सम्भावना अधिक पाई जाती है।

अय्यूब 41 एक वास्तविक समुद्र के प्राणी के रूप में लिब्यातान के बारे में अधिक विवरण देता है। इस अध्याय में, परमेश्‍वर, लिब्यातान का वर्णन करता है, जिसमें जानवरों के आकार, शक्ति और विवेक के ऊपर महत्व दिया गया था। लिब्यातान को समुद्र के नीचे बाँधा नहीं जा सकता है या उसे अपने नियन्त्रण में नहीं लाया जा सकता है (अय्यूब 41:1, 5); उसको देखने भी अत्यधिक डरावना है (वचन 9); उसे अकेले ही छोड़ देना सही होगा (वचन 8, 10)। लिब्यातान के पास एक सुशोभित स्वरूप है (वचन 12), परन्तु उसे तराजू के दोनों पलड़ों की तरह अविश्‍वसनीय रीति से मुहरबन्द किया गया है (वचन 13, 15-17)। इसकी छाती अभेद्य है, वैसे ही उसकी पीठ भी (वचन 15, 24)। उसके पास भयानक दांत (वचन 14) है, और उसके मुँह तक पहुँचने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए मृत्यु प्रतीक्षा करती है (वचन 18-21)। यहाँ तक कि शक्तिशाली पुरुष भी लिब्यातान (वचन 25) से डरते हैं। कोई तलवार, भाला, गोफन का पत्थर, लाठियाँ, तीर, पत्थर, गद्दा या बर्छी उसे हरा नहीं सकती है (वचन 26, 28-29)। उसे पिंजरे में नहीं बाँधा जा सकता है, क्योंकि लोहा को वह पुआल (वचन 27) की तरह तोड़ देता है। भूमि पर, लिब्यातान के पत्तों जैसे चिन्हों को छोड़ता है; पानी में, वह एक गहरे, मंथन को उत्पन्न कर देता है (वचन 30-32)। लिब्यातान के प्रति परमेश्‍वर के वर्णन से यह निष्कर्ष निकालता है कि वह जानवरों का सच्चा राजा है: "धरती पर उसके तुल्य कोई नहीं है, जो ऐसा निर्भय बनाया गया है" (वचन 33)।

इस तरह, किस जानवर का वर्णन अय्यूब 41 कर रहा है? कुछ टिप्पणीकारों का मानना है कि लिब्यातान एक मगरमच्छ है। दूसरों का मानना है कि यह एक बड़ा मच्छ या शार्क है। बाइबल के विवरणों के आधार पर, यह सम्भावना अधिक पाई जाती है कि लिब्यातान एक बड़ा समुद्री साँप है, सम्भवतः डायनासोर की एक प्रजाति जैसे कि प्लेनेसॉरस। अय्यूब के परिचितों को डायनासोर से दूर नहीं किया जा सकता है, यह देखते हुए कि अय्यूब की पुस्तक के इतिहास के बहुत ही प्रारम्भिक समय में निर्धारित किया गया है।

जिस बात को परमेश्‍वर अय्यूब 41 में कह रहा है वह यह है कि लिब्यातान परमेश्‍वर के सार्वभौमिक नियन्त्रण के अधीन है। अय्यूब परमेश्‍वर (अय्यूब 26-31) से पूछताछ कर रहा था, परन्तु परमेश्‍वर सारी बात को ही परिवर्तित कर देता है और वह लिब्यातान की शक्ति का उपयोग करता है, ताकि अय्यूब की कमजोरी और दुर्बलता पर जोर दिया जा सके। यदि परमेश्‍वर ने लिब्यातान को रचा है (एक ऐसा जानवर जिसके सामने अय्यूब खड़ा ही नहीं हो सकता है), तो फिर परमेश्‍वर कितना अधिक महान् है? अय्यूब क्यों सर्वशक्तिमान के साथ लड़ने के प्रयास में लगा हुआ है?

लिब्यातान एक खतरनाक प्राणी था, जो अनुभवी योद्धाओं के दौड़ने और भाग जाने का कारण था। लिब्यातान कोई मिथक नहीं है, अपितु समुद्र का एक वास्तविक प्राणी है, परन्तु वह अपने सृष्टिकर्ता के अधीन है। जैसा कि परमेश्‍वर लिब्यातान के वर्णन में कहता है, "फिर ऐसा कौन है जो मेरे सामने ठहर सके। किसने मुझे पहले दिया है, जिसका बदला मुझे देना पड़े। देख, जो कुछ सारी धरती पर है सो मेरा ही है" (अय्यूब 41:10–11)।

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