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प्रश्न

क्या स्वर्ग के विभिन्न स्तर हैं?

उत्तर


स्वर्ग के विभिन्न स्तरों के बारे में सबसे निकट बात जो पवित्रशास्त्र कहता है, वह 2 कुरिन्थियों 12:2 में पाई जाती है, "मैं मसीह में एक मनुष्य को जानता हूँ; चौदह वर्ष हुए कि न जाने देहसहित, न जाने देहरहित, परमेश्‍वर जानता है — ऐसा मनुष्य तीसरे स्वर्ग पर उठा लिया गया।" कुछ लोग इसकी व्याख्या इस संकेत के साथ करते हैं कि यह स्वर्ग के तीन स्तरों की चर्चा करता है, जिसका एक स्तर "सुपर-समर्पित विश्‍वासियों" के लिए है, या ऐसे मसीही विश्‍वासियों के लिए जिन्होंने आत्मिकता के उच्च स्तर को प्राप्त किया है, एक "सामान्य" विश्‍वासियों के लिए, और एक उन विश्‍वासियों के लिए जिन्होंने परमेश्‍वर की सेवा विश्‍वासयोग्यता के साथ नहीं की है। यह पवित्रशास्त्र आधारित विचारधारा नहीं है।

पौलुस ऐसा नहीं कह रहा है कि वहाँ पर तीन तरह के स्वर्ग हैं या यहाँ तक स्वर्ग के तीन स्तर हैं। बहुत सी प्राचीन संस्कृतियों में, लोग शब्द स्वर्ग का उपयोग तीन विभिन्न "लोकों" — आकाश, बाहरी अंतरिक्ष और तब आत्मिक स्वर्ग के वर्णन के लिए किया करते थे। पौलुस कह रहा था कि परमेश्‍वर ने उसे "आत्मिक" स्वर्ग — अर्थात् भौतिक ब्रह्माण्ड से परे जहाँ परमेश्‍वर वास करता है, वहाँ उठा लिया था। स्वर्ग के विभिन्न स्तर होने की धारणा दांते रचित द डिवाइन कॉमेडी से आया होगा, जिसमें कवि दोनों अर्थात् स्वर्ग और नरक के नौ हिस्सों में होने का वर्णन करता है। तथापि, द डिवाइन कॉमेडी एक काल्पनिक लेखनकार्य है। स्वर्ग के विभिन्न स्तरों के होने का विचार पवित्रशास्त्र के विपरीत है।

पवित्रशास्त्र स्वर्ग में मिलने वाले विभिन्न प्रतिफलों के लिए अवश्य बोलता है। यीशु ने प्रतिफल के सम्बन्ध में कहा था, "देख, मैं शीघ्र आने वाला हूँ; और हर के काम के अनुसार बदला देने के लिये प्रतिफल मेरे पास है" (प्रकाशितवाक्य 22:12)। क्योंकि यीशु जो कुछ हम ने किया उसके आधार पर ही प्रतिफलों को वितरित करेगा, हम निश्चय के साथ कह सकते हैं कि विश्‍वासियों के लिए प्रतिफल का समय होगा और ये प्रतिफल कुछ सीमा तक एक दूसरे से भिन्न होंगे।

परमेश्‍वर की भट्ठी में ताए हुए कार्य ही शाश्‍वतकालीन मूल्य से बचे रह जाएँगे और वे प्रतिफल पाए जाने के योग्य माने जाएँ। इन मूल्यवान् कार्यों को "सोने, चाँदी और बहुमूल्य पत्थरों" के रूप में उद्धृत किया गया है (1 कुरिन्थियों 3:12) और यही वे बातें हैं, जिनके ऊपर मसीह में विश्‍वास की नींव आधारित है। वे कार्य जिन्हें कोई प्रतिफल नहीं मिलेगा, उन्हें "काठ या घास या फूस" कह कर पुकारा गया है; ये बुरे कार्य नहीं हैं, परन्तु अर्थहीन गतिविधियाँ हैं, जिनका कोई शाश्‍वतकालीन मूल्य नहीं है। प्रतिफलों को "मसीह के न्याय सिंहासन" से वितरित किया जाएगा, जो एक ऐसा स्थान है, जहाँ से विश्‍वासियों के जीवनों का प्रतिफल दिए जाने के उद्देश्य से मूल्याकंन किया जाएगा। विश्‍वासियों के "न्याय" को कभी भी पाप के दण्ड के रूप में उद्धृत नहीं किया गया है। यीशु मसीह हमारे पापों के लिए दण्डित किया गया था जब वह क्रूस के ऊपर मर गया और परमेश्‍वर ने हमें इसके बारे में ऐसे कहा: "मैं उनके अधर्म के विषय में दयावन्त हूँगा, और उनके पापों को फिर स्मरण न करूँगा" (इब्रानियों 8:12)। यह विचार कितना अद्भुत है! मसीही विश्‍वासियों को कभी भी दण्ड के लिए भयभीत नहीं होना चाहिए, परन्तु वे सदैव प्रतिफल के मुकुटों की ओर देख सकते हैं, जिसे वह उद्धारकर्ता के चरणों में रख सकता है। निष्कर्ष में, स्वर्ग के विभिन्न स्तर नहीं है, परन्तु स्वर्ग में विभिन्न स्तर के प्रतिफल अवश्य हैं।

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