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प्रश्न

जोसफ़ स्मिथ कौन थे?

उत्तर


जोसफ़ स्मिथ को व्यापक रूप से मॉरमन चर्च के संस्थापक के रूप में जाना जाता है, जिसे चर्च ऑफ क्राइस्ट ऑफ़ लैटर-डे सेंट्स भी कहा जाता है। कम आयु के जोसफ़ स्मिथ के पास कुछ गुप्त शक्तियों के होने को माना गया है। वह छोटी आयु में ही एक दर्शी के रूप में जाने जाते थे और कथित रूप से एक दर्शी पत्थर का उपयोग यह बताने के लिए करते थे कि चांदी की जैसी कीमती धातुएँ कहाँ मिल सकती थीं। दोनों वह और उनके पिता "खजाने की चाह रखने वालों" के रूप से जाने जाते थे और खज़ाने की खोज में भ्रमण करते हुए भविष्यद्वाणी और जादू का उपयोग किया करते थे। स्पष्ट है कि इससे उनको नाम और प्रतिष्ठा दोनों ही प्राप्त हुई थी। आज के दिन तक, उन्हें कुछ लोगों के द्वारा एक सन्त और अन्यों के द्वारा एक पूर्ण ढोंगी माना जाता है।

जोसफ़ स्मिथ अमेरिका में आध्यात्मिक पुनरुत्थान के समय में बड़े हुए थे, जिसे पुनर्स्थापनावाद के रूप में जाना जाता था। यह समय 1820 का था, जब जोसफ़ स्मिथ ने एक अद्भुत दर्शन को प्राप्त किए जाने का दावा किया, जिसमें परमेश्‍वर पिता और परमेश्‍वर पुत्र ने उसे भौतिक रूप से दर्शन दिया और उससे बातें की, जब वह जंगल में प्रार्थना कर रहा थे। उन्होंने कथित रूप से कहा कि दो "श्रेष्ठ पुरुष" ने मसीही कलीसिया ने एक धुँधले दृश्य को ग्रहण कर लिया है और घोषणा की कि मसीही विश्‍वास को पुनर्स्थापित होने अर्थात् बहाल होने की आवश्यकता थी और स्मिथ को इस नए युग को सूत्रपात करने के लिए चुना गया था। अपने आरम्भ के पश्चात् से लेकर वर्तमान दिन तक मॉरमन चर्च ने इसी दृष्टिकोण को थामा है कि केवल वे ही वास्तविक मसीहियत का प्रतिनिधित्व करते हैं।

मॉरमन के अगुवों ने निरन्तर यह शिक्षा दी है कि प्रेरितों की मृत्यु के पश्चात् सच्चा मसीही विश्‍वास पूरी तरह से धर्मत्याग में पड़ चुका था, जिस के कारण यह "पुनर्स्थापना" के कार्य को किया जाना आवश्यक हो गया था। परन्तु कथित स्वर्गीय दर्शन के पश्चात् भी, जोसफ़ स्मिथ और उनके मित्र जादू से भरे हुए तरीकों का उपयोग करते हुए गड़े हुए खजाने की खोज में लगे रहे। उन दिनों में ये तरीके अवैध थे, और स्मिथ को 1826 में "ग्लासलूकिंग" अर्थात् दर्पण से देखने वाले मुकद्दमें में दोषी ठहराया गया था। परन्तु, दोषी ठहराए जाने से पहले न्यूयॉर्क के चेनांगो जिला में निरन्तर, "प्रभु के इस नए नबी" ने एक और विवाद स्वर्ग के साथ एक और आश्चर्यजनक मुठभेड़ को जन्म दिया। 1823 में, स्मिथ ने मोरोनी नामक एक स्वर्गदूत से सम्पर्क करने का दावा किया, जिसने यह प्रकाशित किया कि न्यूयॉर्क के पाल्मीरा के पास एक निश्चित स्थान पर सोने की सुनहरी शिलालेख थी। सुनहरी शिलालेखों के ऊपर एक प्राचीन मनुष्य, जिसका नाम मॉरमन था और उसकी काल्पनिक प्राचीन इब्रानी गोत्र का इतिहास था, जिन्हें मसीही सुसमाचार की सच्चाई के लिए "एक और साक्षी" कहा जाता था। यह मॉरमन के ऐतिहासिक दस्तावेजों में लिपिबद्ध किया गया था कि स्वर्गदूत ने सुनहरी शिलालेखों के लेखन का अनुवाद करने में सहायता प्रदान करने के लिए स्मिथ को विशेष चश्मा दिया था। यह भी बताया गया था कि अनुवाद के समय जो व्यक्ति स्मिथ की सहायता कर रहा था, उसके पास बपतिस्मा देने वाला यूहन्ना, पतरस, याकूब और यूहन्ना को 15 मई 1829 को पेंसिल्वेनिया आकर "हारूनी पुरोहितपद" पुरुषों को प्रदान करने का विशेषाधिकार प्राप्त था। ये और अन्य अद्भुत कहानियाँ स्मिथ की पुस्तक अनमोल मोती में लिपिबद्ध की गई हैं।

जोसफ़ स्मिथ ने दावा किया कि उसके पास स्वर्ग का विशेष दर्शन और अविश्‍वसनीय प्रकाशन है। परन्तु न्यूयॉर्क के पाल्मीरा में बासठ निवासियों के द्वारा एक कथन पर हस्ताक्षर किए गए, जो चाहते थे कि दूसरे लोग यह जानें कि वे : उसके परिवार, उसकी मान्यताओं के बारे में क्या जानते थे और उनकी यह जानकारी उसके जादू आधारित हो खजाने को खोज की भ्रमण यात्राएँ उसके पूरी तरह से भ्रष्ट हो चुके "नैतिक चरित्र और बुरी आदतों के आदी" होने को बताती थी। फिर भी स्मिथ ने परमेश्‍वर के प्रवक्ता होने का दावा किया, और जब उसने उपदेश दिया तब उसने दावा किया कि परमेश्‍वर स्वयं बोल रहा था। इस शक्तिशाली दृष्टिकोण को उसके कई अनुयायियों के द्वारा गम्भीरता से लिया गया और जब स्मिथ को दर्शन प्राप्त हुआ था, तो इसे गम्भीरता से ही लिया जाना चाहिए था, चाहे वह "मसीही" नैतिक मापदण्डों का खण्डन ही क्यों न करता हो। बहुविवाह के ऊपर स्मिथ का नया "प्रकाशन" इसका मात्र एक उदाहरण है।

यह चाहे प्रचलित हैं या नहीं, स्मिथ की ओर से आने वाली "परमेश्‍वर" की घोषणाओं ने उसे कुछ ही वर्षों में ही प्रसिद्ध कर दिया। उसकी अत्यधिक कल्पनाशील कहानियाँ सदैव विज्ञान की कथाओं की तरह पढ़ जाती हैं, जिसे बाइबल के सत्यों के साथ मिश्रित करते हुए और इसके सत्यों के साथ छेड़छाड़ करते हुए, सदैव ही बाइबल के सत्यों का अनुकरण करने के लिए सावधानी का उपयोग करती हैं, और कई बार तो यह बाइबल को ही पुन: लिख डालती हैं। कई लोगों के लिए, उसका धर्मविज्ञान वास्तविक धर्मविज्ञान के दर्पण का दूषित स्वरूप है। यह उस अल्प ज्ञान के उपयोग करने का प्रयास है, जिसे लोग बाइबल आधारित सत्य के रूप में जानते हैं।

जोसफ़ स्मिथ की मृत्यु एक गुस्से से भरी हुई भीड़ के हाथों हुई। इलिनोइस के नौवोओ में चर्च को स्थापित करने के पश्चात् बहुविवाह के विषय को शान्त करने के प्रयास के पश्चात् स्मिथ और उनके अनुयायियों ने एक मॉरमन-विरोधी समाचार पत्र के भवन को नष्ट कर दिया और इसके परिणामस्वरूप उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें प्रतीक्षित जाँच के कारण बन्दीगृह में डाल दिया गया था। जेल के ऊपर दो सौ लोगों की एक गुस्से से भरी हुई भीड़ ने आक्रमण कर दिया, और जोसफ़ स्मिथ और उनके भाई की हत्या हो गई। अपनी असामयिक मृत्यु के पश्चात्, "चर्च" में एक विभाजन हुआ। जिस चर्च की स्थापना स्मिथ ने की थी वह आज भी मिसौरी (द कम्युनीटी ऑफ क्राइस्ट — आरएलडीएस) और उटाह में केन्द्रित है, जहाँ पर उनके बहुत से अनुयायियों ने अपने नए मॉरमन अगुवे ब्रिघाम यंग का अनुसरण किया।

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