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प्रश्न

मसीह के देहधारण का क्या अर्थ है?

उत्तर


देहधारण धर्मशास्त्रियों के द्वारा उपयोग किया जाने वाला एक ऐसा शब्द है, जिससे यह संकेत मिलता है कि यीशु, परमेश्वर के पुत्र, ने मानवीय शरीर को धारण किया था। यह व्यक्तिपरक अभेदता में पाए जाने वाली एकता के जैसा है। भिन्नता यह है कि व्यक्तिपरक अभेदता यह बताती है कि कैसे यीशु के दो स्वभाव एक साथ जुड़े हुए थे, और देहधारण विशेष रूप से उसके मनुष्यत्व की पुष्टि करता है।

शब्द देहधारण का अर्थ "शरीर को धारण करने वाले कार्य" से है। यह लैटिन अर्थात् लातीनी भाषा के यूहन्ना 1:14 में दिए गए अनुवाद से आता है, जिसे बाइबल के हिन्दी अनुवाद में ऐसे पढ़ा जाता है, "और वचन देहधारी हुआ; और अनुग्रह और सच्‍चाई से परिपूर्ण होकर हमारे बीच में डेरा किया।" पूरे मध्य युग में कलीसिया में बाइबल का लातीनी अनुवाद प्रचलन में आ गया था, इसलिए लातीनी भाषा का यह शब्द एक नियत भाव को देना लगा।

यीशु के मनुष्यत्व के लिए बाइबल में बहुत से सन्दर्भ पाए जाते हैं। सुसमाचार नींद (लूका 8:23), भोजन (मत्ती 4:2; 21:18), और शारीरिक सुरक्षा (मत्ती 2:13-15; यूहन्ना 10:39) सहित यीशु की मानवीय आवश्यकताओं को लिपिबद्ध करते हैं। उसके मनुष्यत्व के अन्य संकेत यह हैं कि उसे पसीना आया (लूका 22:43-44) और उसका लहू बहा (यूहन्ना 19:34)। यीशु ने आनन्द (यूहन्ना 15:11), दुःख (मत्ती 26:37), और क्रोध (मरकुस 3:5) सहित अन्य भावनाओं को भी व्यक्त किया। अपने जीवनकाल में, यीशु ने स्वयं को एक व्यक्ति के रूप में सन्दर्भित किया (यूहन्ना 8:40), और अपने पुनरुत्थान के बाद उसके मनुष्यत्व को भी पहचाना गया था (प्रेरितों के काम 2:22)।

परन्तु देहधारण का उद्देश्य भोजन का स्वाद लेना या दुःख को महसूस करना नहीं था। मानव जाति का उद्धारकर्ता होने के लिए परमेश्वर का पुत्र शरीर में आया। सबसे पहले उसके द्वारा, "व्यवस्था के अधीन" जन्म लेना आवश्यक था (गलातियों 4:4)। हम सभी परमेश्वर की व्यवस्था को पूरा करने में विफल रहे हैं। मसीह हमारी ओर से व्यवस्था को पूरा करने के लिए, व्यवस्था के अधीन होते हुए शरीर में आया था (मत्ती 5:17; गलातियों 4:5)।

दूसरा, उद्धारकर्ता को पापों की क्षमा के लिए अपना लहू बहाना आवश्यक था (इब्रानियों 9:22)। लहू वाले एक बलिदान के लिए, स्पष्ट है कि, शरीर और लहू वाले शरीर की आवश्यकता होती है। और यही देहधारण के लिए परमेश्वर की योजना थी: "इसी कारण वह जगत में आते समय कहता है, "बलिदान और भेंट तू ने [पुरानी वाचा के अधीन] न चाही, पर मेरे लिये एक देह तैयार की'" (इब्रानियों 10:5)। देहधारण के बिना, मसीह वास्तव में मर ही नहीं सकता था, और क्रूस अर्थहीन होता है।

परमेश्‍वर ने इस संसार में अपने एकलौते पुत्र को भेजने और हमें उस उद्धार को प्रदान करने के द्वारा, जिसके हम योग्य नहीं थे, एक अविश्वसनीय काम को किया। उस क्षण के लिए प्रभु की स्तुति करो जिसमें "वचन देहधारी हुआ।" अब हमें "निर्दोष और निष्कलंक मेम्ने, अर्थात् मसीह के बहुमूल्य लहू के द्वारा" छुटकारा दिलाया जाता है (1 पतरस 1:19)।

यीशु मनुष्य और ईश्वर दोनों ही है।

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मसीह के देहधारण का क्या अर्थ है?
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