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प्रश्न

स्वर्ग किसके जैसा है?

उत्तर


बाइबल में स्वर्ग एक वास्तविक स्थान के रूप में वर्णित है। शब्द "स्वर्ग" नए नियम में ही 276 बार मिलता है। पवित्रशास्त्र तीन स्वर्गों को उद्धृत करता है। प्रेरित पौलुस "तीसरे स्वर्ग तक उठा लिया गया था," परन्तु उसे जो कुछ उसने वहाँ अनुभव किया था, उसके प्रगट करने की मनाही थी (2 कुरिन्थियों 12:1-9)।

यदि तीसरा स्वर्ग का अस्तित्व है, तब दो अन्य स्वर्गों को भी होना अवश्य है। ज्यादत्तर प्रथम स्वर्ग पुराने नियम में "आकाश" या "नभमण्डल" के रूप में उद्धृत किया गया है। यह वह स्वर्ग है, जिसमें बादल हैं, यह वह क्षेत्र है, जहाँ पक्षी विचरण करते हैं। दूसरा स्वर्ग तारामण्डल / बाह्य अंतरिक्ष है, जो तारे, ग्रहों और अन्य खगोलीय वस्तुओं का निवास है (उत्पत्ति 1:14-18)।

तीसरा स्वर्ग, यह प्रगट नहीं किया गया स्थान, परमेश्‍वर के रहने का स्थान है। यीशु ने सच्चे विश्‍वासियों के लिए एक स्थान तैयार करने के लिए प्रतिज्ञा की थी (यूहन्ना 14:2). स्वर्ग साथ ही पुराने नियम के सन्तों का गंतव्य स्थान भी है, जो परमेश्‍वर के प्रतिज्ञा किए हुए उद्धारक में विश्‍वास करते हुए मर गए हैं (इफिसियों 4:8)। जो कोई भी मसीह में विश्‍वास करता है, वह कभी नाश न होगा अपितु शाश्‍वतकालीन जीवन पाएगा (यूहन्ना 3:16)।

प्रेरित यूहन्ना को स्वर्गीय नगर देखने और वर्णित करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था (प्रकाशितवाक्य 21:10-27)। यूहन्ना ने गवाही दी है कि स्वर्ग (नई पृथ्वी) "परमेश्‍वर की महिमा" से भरा हुआ है (प्रकाशितवाक्य 21:11), परमेश्‍वर की उपस्थिति से भरा हुआ है। क्योंकि स्वर्ग में किसी तरह का कोई प्रकाश नहीं है और इसलिए स्वयं प्रभु ही आप इसकी ज्योति है, वहाँ पर सूर्य और चन्द्रमा की कोई आवश्यकता नहीं है (प्रकाशितवाक्य 22:5)।

यह नगर बहुत ही बहुमूल्य पत्थर, अर्थात् बिल्लौर के समान यशब की तरह स्वच्छ है। स्वर्ग के बारह फाटक (प्रकाशितवाक्य 21:12) और बारह नीवें हैं (प्रकाशितवाक्य 21:14)। अदन की वाटिका को स्वर्गलोक में बहाल कर दिया गया है : जीवन के जल की नदी का पानी यहाँ पर बह रहा है और एक बार फिर से जीवन का वृक्ष यहाँ पर उपलब्ध है, जिस पर बारह प्रकार के फल लगते हैं और वह हर महीने फलता है और उस वृक्ष के पत्तों से "जाति-जाति के लोग चंगे" हो जाते हैं (प्रकाशितवाक्य 22:1-2)। चाहे यूहन्ना स्वर्ग के अपने विवरण में कितना भी अधिक प्रशंसनीय क्यों न हो जाए, स्वर्ग की वास्तविकता सीमित मनुष्य के द्वारा वर्णित करने की क्षमता से परे की है (1 कुरिन्थियों 2:9)।

स्वर्ग "और अधिक पाने" का स्थान नहीं है। वहाँ पर और अधिक आँसू, और अधिक पीड़ा और और अधिक निराशा नहीं होगी (प्रकाशितवाक्य 21:4)। वहाँ पर कोई अलगाव नहीं होगा, क्योंकि मृत्यु पर जय पा ली गई है (प्रकाशितवाक्य 20:6)। स्वर्ग के बारे में सबसे उत्तम बात यह है कि वहाँ पर हमारे प्रभु और उद्धारकर्ता की उपस्थिति होगी (1 यूहन्ना 3:2)। हम परमेश्‍वर के मेम्ने को आमने-सामने देखेंगे जिसने हम से प्रेम किया और स्वयं को हमारे लिए बलिदान कर दिया ताकि हम शाश्‍वतकाल के लिए स्वर्ग में उसकी उपस्थिति का आनन्द ले सकें।

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