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प्रश्न

'हल्लिलूयाह' शब्द का क्या अर्थ है?

उत्तर


शब्द हल्लिलूयाह गीतकार हेंडेल के मसीहा नामक गीत संग्रह में से "हल्लिलूयाह कोरस" के सन्दर्भ के रूप में बहुत अधिक परिचित है। हल्लिलूयाह एक इब्रानी शब्द है, जिसका अर्थ "याह (याहवे) की प्रशंसा या स्तुति करो" से है। आधुनिक उच्चारण में, हल्लिलूयाह का अर्थ "प्रभु की प्रशंसा करने" से है।

प्रकाशितवाक्य अध्याय 19 में हल्लिलूयाह शब्द का उपयोग स्वर्ग में किया गया है, जहाँ परमेश्‍वर की तत्काल उपस्थिति में सिंहासन के सामने एक बड़ी भीड़ एकत्र हुई। यह मेम्ने के विवाह के भोज की रात है। परमेश्‍वर के शत्रुओं को उलट दिया गया है, और सुसमाचार को जय प्राप्त हुई है। एक विजयी उत्सव के रूप में, सारा स्वर्ग स्तुति करता है, सारे पवित्र प्राणियों के द्वारा एक होकर धन्यवाद का एक गीत गाया जाता है। भरपूरी के साथ परमेश्‍वर के लिए इस महिमामयी स्तुति का कारण उसके शत्रुओं के ऊपर परमेश्‍वर के द्वारा धार्मिकता से भरे हुए जय को पाना (प्रकाशितवाक्य 19:1–3), उसकी प्रभुता का होना (वचन 4–6), और उसके लोगों के साथ उसके द्वारा शाश्‍वतकालीन भोज (वचन 7) को किए जाने का परिणाम है। स्तुति और आराधना के आगे बढ़ने की आवाज इतनी अधिक है कि प्रेरित यूहन्ना इसे "बड़ी भीड़ का सा और बहुत जल का सा शब्द, और गर्जन के से बड़े शब्द" के रूप में वर्णन करता है (वचन 6)।

दुल्हा (मसीह) और दुल्हन (कलीसिया) के विवाह के भोज में परमेश्‍वर के लोगों द्वारा आनन्दित होना बहुत अच्छा है, जिसे व्यक्त करने के लिए एकमात्र हल्लिलूयाह शब्द ही पर्याप्त है। गीतकार हेंडेल का स्वर्ग में महान कोरस का संस्करण, अपने संगीत की तरह ही वैभवशाली है, तथापि यह तो केवल उस भव्यता का एक कमजोर सा पूर्वाभास है, जिसे हम स्वर्गीय गीत के द्वारा व्यक्त करने के लिए गाते हैं, जब हम यह गाते हैं, "हल्‍लिलूय्याह! क्योंकि प्रभु हमारा परमेश्‍वर सर्वशक्‍तिमान राज्य करता है।!"

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