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प्रश्न

उपकार करने का आत्मिक वरदान क्या है?

उत्तर


बाइबल में दी हुई आत्मिक वरदानों की सूचियों में से एक वरदान उपकार या सहायता करने का मिलता है। 1 कुरिन्थियों 12:28 में अनुवादित यूनानी शब्द "उपकार करने वाले" केवल नए नियम में ही पाया जाता है; इसलिए, उपकार करने वाले वरदान का सही अर्थ कुछ सीमा तक अस्पष्ट है। शब्द "उपकार" के अनुवाद का शाब्दिक अर्थ है "राहत, सहायता, किसी बात में भाग लेना, और/या समर्थन देने" से है। उपकार या सहायता के वरदान को प्राप्त लोग वे हैं, जो दया और अनुग्रह के साथ कलीसिया में दूसरों को सहायता या सहारा प्रदान करते हैं। इस वरदान के उपयोग की विस्तृत श्रृंखला में कलीसिया के प्रशासन के विषयों में सहायता देने से लेकर दैनिक कार्यों में लगे हुए व्यक्तियों को सहायता देना पाया जाता है।

मसीह की देह में सहायता देना विभिन्न रूप ले सकता है। कुछ लोग सहायता के वरदान को उन लोगों को दिए हुए होने के रूप में देखते हैं, जो दूसरों के लिए "सहायता के हाथ" को आगे बढ़ाने के लिए इच्छुक होते हैं और नम्रता और अनुग्रह की भावना के साथ सबसे अधिक सांसारिक और अप्रिय कार्यों को भी करने के लिए तैयार रहते हैं। सहायक अक्सर वे लोग होते हैं जो नियमित रूप से कलीसिया के भवनों और मैदानों के आसपास काम करने के लिए स्वयं सेवक के रूप में होते हैं, वे अक्सर गुप्त रूप से श्रम करते हैं। अन्य लोग सहायता देने के कार्य को विधवाओं और बुजुर्गों या परिवारों को दैनिक कार्यों को पूरा करने में सहायता देने में देखते हैं, वे विभिन्न क्षेत्रों में आवश्यकता में पड़े हुए लोगों की सहायता करने के लिए आ जाते हैं। ये सहायक मसीह की देह की सहायता और समर्थन व्यापक अर्थ में सेवा करने के एक वरदान के रूप में प्रस्तुत करते हैं।

परन्तु उपकार के आत्मिक वरदान के कदाचित् गहरे अर्थ हैं। क्योंकि यह पवित्र आत्मा के द्वारा दिए जाने वाले आत्मिक वरदानों में से एक है, जिनमें से सभों को मसीह की देह के निर्माण के लिए दिया जाता है, उपकार के वरदान का आत्मिक पहलू व्यावहारिक पहलू से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। उपकार के आत्मिक वरदान को प्राप्त करने वाले लोगों को ऐसे लोगों की पहचान करने की अनूठी क्षमता दी गई है, जो सन्देह, भय और अन्य तरह की आत्मिक लड़ाइयों से जूझ रहे हैं। वे आत्मिक आवश्यकता में पड़े हुओं की ओर दयालुता से भरे हुए शब्द, समझ और करुणामय आचरण के साथ आगे बढ़ते हैं, और उनके पास पवित्र शास्त्र के आत्मिक सत्य को दृढ़ता और प्रेम में होकर बोलने की अनूठी क्षमता होती है। उनके शब्द आत्मिक रूप से कमजोर और थके हुओं के लिए "चांदी की टोकरियों में सोने के सेब" जैसे होते हैं (नीतिवचन 25:11)। ये सहायता प्रदान करने वाले मसीही विश्वासी सच्चे और हर्ष और आत्मविश्वास से बोले गए शब्दों के साथ निराश मन की चिन्ता को समाप्त कर सकते हैं।

परमेश्वर की स्तुति करो कि वह हमें इतना अच्छी तरह से जानता है। वह हमारी सभी आवश्यकताओं और चुनौतियों को जानता है और उसने विशेष व्यक्तियों को उपकार अर्थात् सहायता करने के वरदान को दिया है, जो दूसरों के पास दया, कृपा और प्रेम में होकर आते हैं। ये मूल्यवान सन्त जन विभिन्न प्रकार के बोझों को मन से उठा कर ले जा सकते हैं, जिनका भार हम नहीं उठा सकते हैं, और जिन्हें अकेले उठाना भी नहीं चाहिए।

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