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प्रश्न

परमेश्‍वर के सारे हथियार क्या हैं?

उत्तर


यह वाक्यांश "परमेश्‍वर के सारे हथियार" इफिसियों 6:13-17 से आया है: "इसलिये परमेश्‍वर के सारे हथियार बाँध लो कि तुम बुरे दिन में सामना कर सको, और सब कुछ पूरा करके स्थिर रह सको। इसलिये सत्य से अपनी कमर कसकर, और धार्मिकता की झिलम पहिन कर। और पाँवों में मेल के सुसमाचार की तैयारी के जूते पहिन कर। और इन सब के साथ विश्‍वास की ढाल लेकर स्थिर रहो जिससे तुम उस दुष्ट के सब जलते हुए तीरों को बुझा सको। और उद्धार का टोप, और आत्मा की तलवार जो परमेश्‍वर का वचन है, ले लो।"

इफिसियों 6:12 स्पष्ट रीति से संकेत देता है कि शैतान के साथ संघर्ष आत्मिक है, और इसलिये कोई दृश्य हथियार उसके और उसके प्रतिनिधियों के विरूद्ध प्रभावशाली तरीके से लागू हो सकता है। हमें उन विशेष युक्तियों की सूची नहीं दी गई है जिन्हें शैतान हमारे विरूद्ध उपयोग करेगा। तथापि, यह संदर्भ बिल्कुल ही स्पष्ट है कि जब हम निर्देशों का पालन विश्‍वासयोग्यता से करते हैं, तब शैतान की रणनीति चाहे कुछ भी क्यों न रहे हम उसके विरूद्ध खड़े रहेंगे और हमारे पास विजय होगी।

हमारे हथियार में पहला शस्त्र सत्य है (वचन 14)। इसे समझना बहुत ही आसान है, क्योंकि शैतान को "झूठ का पिता" कह कर पुकारा गया है (यूहन्ना 8:44)। परमेश्‍वर के द्वारा घृणित मानी जाने वाली बातों की सूची के ऊपर धोखा के स्तर बहुत ही उच्च हैं। एक "झूठी जीभ" का होना उन बातों में से एक है, जिन्हें वह "उसके प्रति घृणित" होने के रूप में वर्णित करता है (नीतिवचन 6:16-17)। हमें इसलिये हमारे अपने पवित्रीकरण और छुटकारे के लिए सत्य से कमर कसने के लिए, साथ ही उन लोगों के लाभ के लिए जिन्हें हम गवाही देते हैं, उत्साहित किया गया है।

साथ ही वचन 14 में, हमें धार्मिकता की झिलम को पहिनने के लिए कहा गया है। झिलम एक योद्धा के छाती जैसे महत्वपूर्ण अंगों को किसी भी तरह के प्रहार से बचाने के लिए उपयोग की जाती है, अन्यथा यह उसके लिए घातक होगा। धार्मिकता धर्म के वे कार्य नहीं हैं जिन्हें एक व्यक्ति के द्वारा किया जाता है। इसकी अपेक्षा, यह मसीह की धार्मिकता है, जो परमेश्‍वर के द्वारा हम में रोपित की गई है और विश्‍वास के द्वारा प्राप्त की गई है, जो हमारे मनों को शैतान के द्वारा लगाए जाने वाले किसी भी दोष और आरोप के विरूद्ध सुरक्षा प्रदान करती है और यह उसके आक्रमणों से हमारे आन्तरिक मन को सुरक्षा प्रदान करता है।

वचन 15 आत्मिक युद्ध के लिए मेल की तैयार के जूत्ते पहिनने के लिए बोलता है। युद्ध में, कई बार आगे बढ़ते हुए सिपाही के मार्ग में शत्रु कई खतरनाक बाधाओं को खड़ा कर देता है। मेल के सुममाचार की तैयारी के जुते का विचार यह सुझाव देता है कि हमें शैतान के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए इसी की आवश्यकता है, अर्थात् इस बात की जानकारी की कि हमारे सामने फँदे पड़े हुए होंगे, इसलिए अनुग्रह के सन्देश के साथ मसीह के लिए आत्माओं को जितना अनिवार्य है। सुसमाचार के विस्तार के मार्ग में शैतान के द्वारा रूकावट उत्पन्न करने के लिए कई स्थान पर बाधाओं को डाल दिया जाता है।

वचन 16 में विश्‍वास की ढाल परमेश्‍वर के द्वारा विश्‍वासयोग्यता और उसके वचन के अप्रभावी होने के बारे में शैतान के द्वारा बीजे जाने वाले सन्देह के विरूद्ध उपयोग करने की बात करता है। मसीह में हमारा विश्‍वास — जो हमारे विश्‍वास का सिद्ध करने वाला और कर्ता है (इब्रानियों 12:2)— एक सुनहरी, बहुमूल्य, ठोस और वास्तविक ढाल के जैसे है।

उद्धार का टोप वचन 17 में सिर की सुरक्षा, शरीर के महत्वपूर्ण अंग को बचाने के लिए उपयोग करने के लिए है। हम कह सकते हैं कि हमारे सोच के तरीके की संभाल की जानी चाहिए। सिर मन का सिंहासन है, जब इसके ऊपर शाश्‍वतकालीन जीवन का निश्चित सुसमाचार पड़ा हुआ है, तब यह किसी भी तरह से गलत धर्मसिद्धान्तों को स्वीकार नहीं करेगा, या शैतान की परीक्षाओं के लिए स्वयं को अधीन नहीं करेगा। उद्धार न पाए हुए व्यक्ति को झूठे धर्मसिद्धान्तों के प्रहार को सहन करने के लिए कोई आशा नहीं है क्योंकि वह उद्धार के टोप के बिना है और उसका मन आत्मिक सच्चाई और आत्मिक धोखे के मध्य में समझ के अन्तर को समझने के लिए सक्षम नहीं है।

वचन 17 स्वयं ही आत्मा की तलवार के अर्थ की व्याख्या करता है — कि यह परमेश्‍वर का वचन है। जबकि बाकी के अन्य सभी आत्मिक हथियार अपने स्वभाव में बचाव के हथियार हैं, आत्मा की तलवार ही केवल एक ऐसा हथियार है, जो प्रहार करने के लिए दिया गया है। यह परमेश्‍वर के वचन की सामर्थ्य और पवित्रता के बारे में बात करता है। यह सबसे बड़ा आत्मिक हथियार काल्पनिक नहीं है। यीशु की जंगल में हुई परीक्षा में, परमेश्‍वर का वचन ही था, जो सदैव शैतान को प्रतिक्रिया देते हुए उसके ऊपर जय दिला रहा था। यह आशीष कितनी बड़ी है कि वही वचन हमारे लिए भी उपलब्ध है!

वचन 18 में, परमेश्‍वर के सभी हथियार के पहिन लेने के साथ ही हमें आत्मा में प्रार्थना करने के लिए कहा गया है (अर्थात्, मसीह के मन और उसकी प्राथमिकताओं के साथ)। हम प्रार्थना को अनदेखा नहीं कर सकते हैं, क्योंकि यही वह तरीका है, जिसके द्वारा हम परमेश्‍वर से आत्मिक सामर्थ्य को प्राप्त करते हैं। प्रार्थना के बिना, परमेश्‍वर के ऊपर निर्भर हुए बिना, आत्मिक युद्ध में हमारे प्रयास खाली और व्यर्थ हो जाएँगे। परमेश्‍वर के सारे हथियार — सत्य, धार्मिकता, सुसमाचार, विश्‍वास, उद्धार, परमेश्‍वर का वचन, और प्रार्थना — ऐसे हथियार हैं जिन्हें परमेश्‍वर ने हमें दिया है, जिनके द्वारा हम आत्मिक जय को, शैतान के आक्रमणों और परीक्षाओं के ऊपर जय पाते हुए प्राप्त कर सकते हैं।

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