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प्रश्न

क्या पारिवारिक मनन महत्वपूर्ण है?

उत्तर


कलीसिया की दीवारों से परे और सक्रिय रूप से आगे बढ़ते हुए विश्‍वास में अपने आत्मिक जीवन को स्थानांतरित करने के लिए पारिवारिक मनन अति महत्वपूर्ण हैं। परन्तु पारिवारिक मनन का क्या अर्थ है?

पारिवारिक मनन एक निश्‍चित रूप से पृथक किया हुआ ऐसा समय है, जब पति और पत्नी, या माता-पिता और बच्चे इकट्ठे बैठकर बाइबल पढ़ते हैं और प्रार्थना करते हैं। यह एक ऐसा समय होता है, जो प्रत्येक व्यक्ति की आत्मिक उन्नति और परिवारों के भीतर एकता और दिशा की भावना को स्थापित करने के लिए बनाया गया है।

मनन के लिए एक निश्‍चित समय को जानबूझकर निर्मित करना और एक पारिवारिक संस्कृति को विकसित करना अति महत्वपूर्ण है। पारिवारिक मनन बच्चों के साथ गहरे सम्बन्धों को आरम्भ कर सकता है और उनके साथ प्रार्थना करने के अवसरों का विस्तार कर सकता है। जबकि परिवार के मनन के समय में परिवर्तन करने की आवश्यकता इस बात पर हो सकती है, कि परिवार अपने समय को कैसे व्यतीत करता है, तथापि परिवार के आत्मिक विकास और विरासत अर्थात् धरोहर या मीरास को पाने के लिए यह अनन्त लाभ को ला सकता है।

जब तक माता-पिता के रूप में हम सबसे पहले अपने स्वयं के व्यक्तिगत् जीवन में मनन के अनुशासन को स्थापित नहीं कर लेते हैं, तब तक परिवार के लिए मनन का समय अपरिचित या जबरदस्ती लादा हुआ महसूस हो सकता है। परन्तु व्यक्तिगत् मनन को आरम्भ करने की हमारी अपनी इच्छा हमारे बच्चों के लिए एक आदर्श बन सकती है, क्योंकि हम सक्रिय रूप से जीवित परमेश्‍वर के साथ अपने सम्बन्धों की खोज करते हैं। बाइबल पढ़ने और प्रार्थना के प्रति हमारी स्वयं की वचनबद्धता माता-पिता के रूप में हमारे आत्मिक विकास के ऊपर महत्वपूर्ण विशेषता के बारे में बताती है। यदि यह ऐसा कुछ है, जिसे हम अपने बच्चों में विकसित कर सकें, तो यह उनके भविष्य की ओर एक अद्भुत यात्रा होगी। पारदर्शिता और दृढ़ता इसके लिए कुँजी हैं!

लक्ष्य ऐसे बच्चों का पालन पोषण करके बड़ा करना है, जो वयस्कों के रूप में परमेश्‍वर के प्रति समर्पित हो जाए। हमारी इच्छा उन बच्चों का पालन पोषण करके बड़ा करना है, जो प्रार्थना, परमेश्‍वर के वचन, और परिवार, मित्रों और कलीसियाई समुदाय का मार्गदर्शन अपने ठोस निर्णयों, जीवन के अपने लक्ष्यों और अपने पारिवारिक सम्बन्धों में करने के द्वारा दे सकें।

परमेश्‍वर ने इस्राएली जाति को निर्देश दिया था कि, "ये आज्ञाएँ जो मैं आज तुझ को सुनाता हूँ वे तेरे मन में बनी रहें; और तू इन्हें अपने बाल-बच्‍चों को समझाकर सिखाया करना, और घर में बैठे, मार्ग पर चलते, लेटते, उठते, इनकी चर्चा किया करना" (व्यवस्थाविवरण 6:6-7)। इफिसियों 6:4 में, मसीहियों को कहा गया है कि, "हे बच्‍चेवालो, अपने बच्‍चों को रिस न दिलाओ, परन्तु प्रभु की शिक्षा और चेतावनी देते हुए उनका पालन-पोषण करो।" स्पष्ट है, कि माता-पिता को अपने बच्चों को परमेश्‍वर और उसके मार्गों के बारे में सिखाना है। प्रार्थना और बाइबल पढ़ने के माध्यम से, एक परिवार के रूप में एक साथ परमेश्‍वर के साथ जुड़ना, एक अद्भुत तरीका है। पारिवारिक मनन करने से, हम न केवल अपने बच्चों को निर्देश देते हैं, अपितु आत्मिक व्यवहार का समर्थन करने वाले आदर्श से भरे हुए व्यवहार को करते हैं। कई बार, बच्चों को शिक्षा देने से हम स्वयं को अपने विश्‍वास में चुनौती देते हैं। पारिवारिक मनन परिवार में सभी के आत्मिक विकास के लिए अच्छा है।

पारिवारिक मनन करने के समय चरित्र के विकास के ऊपर ध्यान केन्द्रित करें। पारिवारिक परिस्थितियों या आवश्यकताओं के लिए प्रासंगिक सन्दर्भों का प्रयोग करें। इससे बच्चों को यह समझने की अनुमति मिलती है कि बाइबल इक्कीसवीं-सदी में हमारे प्रतिदिन के जीवन के ऊपर लागू होती है। यह उन्हें यह भी जानने में सहायता करती है कि परमेश्‍वर एक ध्यान रखने वाला और प्रेम से भरा हुआ पिता है, जो उनके साथ व्यक्तिगत् सम्बन्ध बनाना चाहता है और वह यहाँ पर उनके जीवनों के लिए ज्ञान और मार्गदर्शन के साथ उपलब्ध है।

जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते जाते हैं, यह जीवन से उत्पन्न होने वाले परिणामों के साथ धर्मसिद्धान्त और धर्मविज्ञान को जोड़ने में सहायता करता है। यह अन्य विश्‍वास पद्धतियों के साथ तुलना करते हुए उन्हें विश्लेषणात्मक कौशल विकसित करने में सहायता प्रदान करता है, जैसे-जैसे उनका विश्‍वास परिपक्व होता चला जाता है।

पारिवारिक मनन की अपनी निर्धारित आदत के अतिरिक्त, परमेश्‍वर के द्वारा दिए जाने वाले सिखाने योग्य क्षणों के प्रति भी सावधान रहें। ऐसे क्षण दुर्लभ, बहुमूल्य होते हैं, और समय सारणी के अधीन नहीं होते हैं। वह समय जब आपकी सन्तान आपसे कोई प्रश्‍न पूछती है या अवलोकन करती है, तब आपके पास उनके लिए परमेश्‍वर के प्रेम और देखभाल को साझा करने के अवसर होते हैं। आपके पास किसी भी विशेष क्षण में देने के लिए सभी उत्तर नहीं हो सकते हैं, परन्तु आप बच्चे को यह बता सकते हैं कि उसने उनके प्रश्नों को सुन लिया है, उसके प्रश्‍न महत्वपूर्ण हैं, और आप इस विषय की एक साथ खोज करेंगे। यह वार्तालाप का द्वार खोलता है और हमारे लिए इफिसियों 6:4 में दी हुई बुलाहट के प्रति वास्तविक, जैविक प्रतिनिधित्व बन जाता है।

पारिवारिक मनन परमेश्‍वर के साथ एक अद्भुत यात्रा का अंश हो सकता है। यह एक ऐसा वातावरण उत्पन्न कर सकता है, जो हमारे बच्चों को आगे बढ़ने की अनुमति देता है, विशेष रूप से जब विश्‍वास के बड़े समुदाय अपनी सहायता और पोषण को इसमें जोड़ देते है।

पारिवारिक मनन के लिए याकूब 1:25 आशीष की कुँजी हैं: "जो व्यक्‍ति [परिवार सम्मिलित है!] स्वतन्त्रता की सिद्ध व्यवस्था पर ध्यान करता रहता है - वह अपने काम में इसलिये आशीष पाएगा कि सुनकर भूलता नहीं पर वैसा ही काम करता है।"

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