प्रश्न
क्या परमेश्वर हमारे जीवन में घटित होने वाली छोटी-छोटी बातों की परवाह करता है?
उत्तर
नि:सन्देह, परमेश्वर हमारे जीवन में घटित होने वाली छोटी-छोटी बातों की परवाह या देख-रेख करता है, क्योंकि सब कुछ परमेश्वर की तुलना में “थोड़ा” ही है! लूका 12:7 कहता है, “वास्तव में, तुम्हारे सिर के सब बाल भी गिने हुए हैं, इसलिये डरो नहीं, तुम बहुत गौरैयों से बढ़कर हो।” परमेश्वर इस बात की जानकारी के लिए समय निकालता है कि हमारे पास कितने बाल हैं — इस तरह से वह विवरण रखने वाला परमेश्वर है!
पूरे पवित्रशास्त्र में, हम देखते हैं कि परमेश्वर उसकी सन्तान के रूप में हमारे जीवन के मुख्य आकर्षणों से कहीं अधिक रुचि रखता है। वह प्रत्येक पहलू की परवाह करता है कि हम कौन हैं, क्योंकि हम उसके स्वरूप में बनी हुई रचना हैं (उत्पत्ति 1:27 को देखें)। वह पौधों, जानवरों और पर्यावरण सहित उसकी सारी सृष्टि की परवाह करता है। मत्ती 6:26 कहता है कि, “आकाश के पक्षियों को देखो! वे न बोते हैं, न काटते हैं, और न खत्तों में बटोरते हैं; फिर भी तुम्हारा स्वर्गीय पिता उनको खिलाता है। क्या तुम उनसे अधिक मूल्य नहीं रखते?” यदि परमेश्वर उन पक्षियों की जरूरतों को पूरा करता है जो उसके स्वरूप में नहीं रचे हुए हैं, जिनके पास उसे चुनने या उसे अस्वीकार करने की कोई इच्छा शक्ति भी नहीं है, तो वह हमारी आवश्यकताओं की अधिक विस्तार से देखभाल कितनी अधिक करेगा? परमेश्वर की देखभाल के कारण, हम उस पर भरोसा कर सकते हैं: “तुम्हारा पिता तुम्हारे माँगने से पहले ही जानता है कि तुम्हारी क्या-क्या आवश्यकताएँ हैं” (मत्ती 6:8)।
यीशु की पूरी सांसारिक सेवकाई के समय, हम देखते हैं कि वह लोगों के जीवन की छोटी-छोटी बातों में रूचि रखता था। यीशु सदैव मात्रा से अधिक गुणवत्ता में रुचि रखता है। यीशु को खोए हुओं को बचाने और पाप में पतित हुए मनुष्य और परमेश्वर के बीच उत्पन्न हुई खाई को पाटने के लिए भेजा गया था, परन्तु उसने तौभी लोगों की तत्काल जरूरतों को पूरा करने के लिए समय निकाला। मत्ती 14:18-21 में हम भूखी भीड़ के ऊपर यीशु की करुणा के स्पष्ट चित्र देखते हैं। इतने सारे लोगों के जीवन में एक समय के भोजन को दिया जाना और कुछ नहीं अपितु इसी बात का विवरण है, तौभी हमारे पास 5,000 से अधिक पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के लिए स्वर्ग-से-भेजे गए भोजन को प्रदान करने में उसकी गम्भीरता का एक अद्भुत विवरण मिलता है।
बच्चे “छोटे” होते हैं और अधिक “महत्वपूर्ण” चीजों की तरह प्रतीत नहीं हो सकते हैं। वास्तव में, एक बार जब लोग अपने बच्चों को यीशु के पास लाए, तो शिष्यों ने उन्हें दूर भेजने के विचार से फटकार लगाई। “यीशु ने यह देख क्रुद्ध होकर उन से कहा, ‘बालकों को मेरे पास आने दो और उन्हें मना न करो, क्योंकि परमेश्वर का राज्य ऐसों ही का है’’’ (मरकुस 10:14)। यीशु बहुत “बड़ा” नहीं है या बच्चों को आशीष देने के लिए बहुत अधिक व्यस्त नहीं है।
परमेश्वर वास्तव में हमारे जीवन की “छोटी बातों” की परवाह करता है, क्योंकि वह हमारे बारे में परवाह करता है। उससे और उसकी महिमा की तुलना में, हमारा पूरा जीवन “छोटी बातों” से मिलकर बना हुआ है। भजन संहिता 139:17–18 कहता है कि, “मेरे लिये तो हे परमेश्वर, तेरे विचार क्या ही बहुमूल्य हैं! उनकी संख्या का जोड़ कैसा बड़ा है! यदि मैं उनको गिनता तो वे बालू के किनकों से भी अधिक ठहरते। जब मैं जाग उठता हूँ, तब भी तेरे संग रहता हूँ।”
English
क्या परमेश्वर हमारे जीवन में घटित होने वाली छोटी-छोटी बातों की परवाह करता है?