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प्रश्न

बाइबल दुष्टात्मा द्वारा पीड़ित किए जाने के बारे में क्या कहती है?

उत्तर


बाइबल में ठोस प्रमाण मिलते हैं कि एक मसीही विश्‍वासी दुष्टात्मा द्वारा ग्रसित नहीं हो सकता है। प्रश्‍न तब इस सम्बन्ध में उठता है कि क्या एक मसीही विश्‍वासी के ऊपर एक दुष्टात्मा का प्रभाव/सामर्थ्य हो सकती है। बाइबल के बहुत से शिक्षक एक मसीही विश्‍वासी के ऊपर दुष्टात्मा के प्रभाव को दुष्टात्मा के ग्रसित होने से पृथक करते हुए "दुष्टात्मा से पीड़ित" होने के रूप में करते हैं।

बाइबल कहती है कि दुष्ट विश्‍वासियों को फाड़ खाने की खोज में रहता है (1 पतरस 5:8), और शैतान और उसकी दुष्टात्माएँ मसीहियों के विरूद्ध "युक्तियों" को रचती रहती हैं (इफिसियों 6:11)। जैसे शैतान ने यीशु को परीक्षा में डालने का प्रयास किया था (लूका 4:2), वैसे ही शैतानिक शक्तियाँ हमें भी पाप करने और परमेश्‍वर की आज्ञा पालन करने के हमारे प्रयासों का विरोध करने की परीक्षा में डालती हैं। क्या एक मसीही विश्‍वासी को दुष्टात्माओं को उनके द्वारा किए हुए आक्रमणों में सफल होने देना चाहिए, जिसका परिणाम पीड़ित होने में निकलता है। एक विश्‍वासी दुष्टात्माओं के द्वारा तब पीड़ित होता है, जब एक दुष्टात्मा अस्थाई रूप से एक विश्‍वासी के ऊपर जय पा लेती है, वह ऐसा एक विश्‍वासी को सफलतापूर्वक पाप करने की परीक्षा और एक दृढ़ गवाही के साथ परमेश्‍वर की सेवा करने की उसकी योग्यता में बाधा पहुँचाते हुए करती है। यदि एक मसीही विश्‍वासी निरन्तर दुष्टात्मा द्वारा उसके जीवन को पीड़ित किए जाने की अनुमति प्रदान करता रहता है, तब यह सताव इस बिन्दु तक वृद्धि कर जाता है कि दुष्टात्मा का एक मसीही विश्‍वासी के विचारों, व्यवहार और आत्मिकता के ऊपर बहुत गहरा प्रभाव होता है। ऐसे मसीही विश्‍वासी जो निरन्तर स्वयं को पाप के लिए देते रहते हैं, स्वयं के बड़े और अधिक बड़े सताव का कारण बन जाते हैं। परमेश्‍वर के साथ संगति स्थापित करने के लिए पाप के प्रति पापांगीकार और पश्चाताप आवश्यक है, परमेश्‍वर ही तब शैतानिक प्रभाव की सामर्थ्य को तोड़ सकता है। प्रेरित यूहन्ना हमें इस क्षेत्र में बड़े प्रोत्साहन को देता है: "हम जानते हैं, कि जो कोई परमेश्‍वर से उत्पन्न हुआ है, वह पाप नहीं करता; पर जो परमेश्‍वर से उत्पन्न हुआ, उसे वह बचाए रखता है: और वह दुष्ट उसे छूने नहीं पाता" (1 यूहन्ना 5:18)।

क्योंकि मसीही विश्‍वासियों के लिए, शैतानिक सताव से स्वतन्त्र और इसकी सामर्थ्य के ऊपर विजय सदैव उपलब्ध की गई है। यूहन्ना घोषित करता है, "हे बालको, तुम परमेश्‍वर के हो, और तुम ने उन पर जय पाई है; क्योंकि जो तुम में है, वह उस से जो संसार में है, बड़ा है" (1 यूहन्ना 4:4)। पवित्र आत्मा की जीवन में वास करती हुई सामर्थ्य (रोमियों 8:9) शैतानिक सताव के ऊपर जय पाने के लिए सदैव उपलब्ध की गई है। कोई भी दुष्टात्मा, यहाँ तक स्वयं शैतान भी, एक मसीही विश्‍वासी को पवित्र आत्मा के प्रति समर्पित होने से नहीं रोक सकता है और इसके परिणामस्वरूप किसी भी तरह और सभी तरह के शैतानिक सताव के ऊपर जय प्राप्त कर सकता है। पतरस विश्‍वासियों को दुष्ट का सामना "अपने में विश्‍वास दृढ़ होकर" (1 पतरस 5:9) करने के लिए कहता है। विश्‍वास में दृढ़ और अटल बने रहने का अर्थ शैतानिक प्रभाव का सफलतापूर्वक सामना करने के लिए पवित्र आत्मा की सामर्थ्य के ऊपर निर्भर रहना है। एक विश्‍वासी का विश्‍वास परमेश्‍वर के वचन, नियमित प्रार्थना, भक्तों की संगति से भोजन प्राप्त करने के आत्मिक अनुशासन के माध्यम से निर्मित होता है। इन तरीकों के द्वारा अपने विश्‍वास को दृढ़ करना हमें विश्‍वास की ढाल को पहन लेने के योग्य बनाता है, जिसके द्वारा हम "उस दुष्ट के सब जलते हुए तीरों को बुझा" सकते हैं (इफिसियों 6:16)।

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