settings icon
share icon
प्रश्न

मुझे एक कलीसिया में क्या खोजना चाहिए?

उत्तर


यह जानने के लिए एक कलीसिया में किन बातों की खोज की जानी चाहिए, हमें सबसे पहले कलीसिया – सामान्य अर्थ में — मसीह की देह – के लिए परमेश्‍वर के उद्देश्य को समझना चाहिए। कलीसिया के बारे में दो उल्लेखनीय सच्चाई पाई जाती हैं। सबसे पहली, "परमेश्‍वर के घराने में जो जीवित परमेश्‍वर की कलीसिया [है] और जो सत्य का खंभा और नींव है" (1 तीमुथियुस 1:22; 4:15; कुलुस्सियों 1:18)।

सत्य के सम्बन्ध में, स्थानीय कलीसिया वह स्थान है, जहाँ बाइबल (परमेश्‍वर का एकमात्र सत्य) का पूर्ण अधिकार है। बाइबल ही विश्‍वास और जीवन को यापन करने के लिए एकमात्र त्रुटिहीन नियम है (2 तीमुथियुस 3:15-17)। इसलिए, जब हम एक कलीसिया में भाग लेने के लिए इसकी खोज कर रहे हैं, तो हमें उस कलीसिया की खोज करनी चाहिए जहाँ बाइबल के मापदण्डों के अनुसार, सुसमाचार का प्रचार किया जाता है, पाप को दोषी ठहराया जाता है, मन की गहराई से आराधना की जाती है, जिसकी शिक्षा बाइबल आधारित हैं और जहाँ दूसरों की सेवा करने के अवसर विद्यमान होते हैं। प्रेरितों के काम 2:42-47 में पाए जाने वाले आरम्भिक कलीसिया के नमूने पर ध्यान दें, "और वे प्रेरितों से शिक्षा पाने और संगति रखने और रोटी तोड़ने और प्रार्थना करने में लौलीन रहे।" वे प्रतिदिन एक मन होकर मन्दिर में इकट्ठे होते थे और घर-घर रोटी तोड़ते हुए आनन्द और मन की सीधाई से भोजन किया करते थे और परमेश्‍वर की स्तुति करते थे और सब लोग उनसे प्रसन्न थे। और जो उद्धार पाते थे, उनको प्रभु प्रतिदिन उनमें मिला देता था।"

कलीसिया के बारे में दूसरी सच्चाई के सम्बन्ध में, मसीही विश्‍वासियों को एक स्थानीय संगति में भाग लेना चाहिए जो धर्मसिद्धान्त और अभ्यास के सभी विषयों में मसीह को ही प्रधान होने की घोषणा करती है। कोई व्यक्ति, फिर वह चाहे पास्टर, पादरी, या पोप ही क्यों न हो, कलीसिया का प्रधान नहीं है। सभी लोग मर जाते हैं। जीवित परमेश्‍वर की जीवित कलीसिया का कैसे एक मृत प्रधान हो सकता है? ऐसा नहीं हो सकता है। मसीह का ही कलीसिया के ऊपर सर्वोच्च अधिकार है और जैसा कि पवित्रशास्त्र में पाया जाता है कि सारी प्रभुता के माध्यम से उसी ने ही कलीसिया के सारे अगुवों, वरदानों, व्यवस्था अनुशासन और आराधना की नियुक्ति की है।

एक बार इन दो मूलभूत सत्यों के निर्धारित होने के पश्‍चात्, शेष कारक (भवन, आराधना की विभिन्न शैलियाँ, गतिविधियाँ, कार्यक्रम, स्थान इत्यादि) केवल व्यक्तिगत् प्राथमिकता का ही विषय रह जाते हैं। एक कलीसिया में भाग लेने से पहले, कुछ शोध किया जाना आवश्यक है। धर्मसैद्धान्तिक कथनों, उद्देश्य कथनों, मिशन कथनों, या कुछ भी जो कलीसिया के विश्‍वास के प्रति अन्तर्दृष्टि प्रदान करेगा, उसकी सावधानीपूर्वक जाँच की जानी चाहिए। कई कलीसियाओं में ऐसी वेबसाइटें होती हैं, जहाँ से कोई भी यह निर्धारित कर सकता है कि वे बाइबल, परमेश्‍वर, त्रिएकत्व, यीशु मसीह, पाप और उद्धार के बारे में क्या विश्‍वास करते हैं।

इसके पश्‍चात् उन कलीसिया में भाग लेने के लिए जाना चाहिए, जहाँ पर मूलभूत धर्मसिद्धान्तों का पालन किया जाता है। प्रत्येक कलीसिया में दो या तीन आराधना सभाओं में उपस्थिति सहायक होगी। आगंतुकों के लिए उनके पास विद्यमान किसी भी साहित्य की जाँच की जानी चाहिए, विश्‍वास कथन पर ध्यान देना चाहिए। एक कलीसिया का मूल्यांकन ऊपर लिखित सिद्धान्तों पर आधारित होना चाहिए। क्या बाइबल को ही वह अपने अन्तिम अधिकार के रूप में मानती है? क्या मसीह कलीसिया में प्रधान के रूप में आदर पा रहा है? क्या शिष्यों के चेला बनाए जाने पर ध्यान केन्द्रित किया जाता है? क्या आप परमेश्‍वर की आराधना करने के लिए प्रेरित हुए थे? कलीसिया किस तरह की सेवकाइयों में कार्यरत् है? क्या सन्देश बाइबल आधारित और सुसमाचार से भरा हुआ था? संगति कैसी थी? आपको आरामदायक महसूस होने की भी आवश्यकता है। क्या आपका स्वागत किया गया था? क्या मण्डली सच्चे उपासकों से मिलकर बनी हुई है?

अन्त में, स्मरण रखें कि कोई भी कलीसिया सिद्ध नहीं है। अपनी सर्वोत्तम बात में, यह अभी भी पापों से बचाए हुए पापियों से भरी हुई है, जिनके शरीर और आत्माएँ निरन्तर युद्ध में संघर्षरत् हैं। इसके अतिरिक्त, प्रार्थना के महत्व को न भूलें। इस बात के बारे में प्रार्थना करें कि परमेश्‍वर क्या चाहता है कि आप किस कलीसिया में भाग लें निर्णय लेने की पूरी प्रक्रिया में अत्यन्त महत्वपूर्ण है।

English



हिन्दी के मुख्य पृष्ठ पर वापस जाइए

मुझे एक कलीसिया में क्या खोजना चाहिए?
इस पृष्ठ को साझा करें: Facebook icon Twitter icon YouTube icon Pinterest icon Email icon
© Copyright Got Questions Ministries