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प्रश्न

बाइबल की पुस्तकें कौन सी हैं? इसका क्या अर्थ है कि बाइबल विभिन्न पुस्तकों से मिलकर बनी है?

उत्तर


पवित्र बाइबल लेखनकार्यों की एक गद्यावली है जिसमें 66 पुस्तकें सम्मिलित हैं। बाइबल में दो भाग, पुराने नियम और नए नियम पाए जाते हैं। पुराने नियम में 39 पुस्तकें सम्मिलित हैं, और नए नियम में 27 पुस्तकें सम्मिलित हैं।

पुराने नियम में, पुस्तकों के मुख्य रूप से चार भाग हैं। पहला खण्ड पंचग्रन्थ है, जिसमें उत्पत्ति, निर्गमन, लैव्यव्यवस्था, गिनती, और व्यवस्थाविवरण की पुस्तकें हैं।

दूसरे खण्ड को ऐतिहासिक पुस्तकें कहा जाता है और इसमें बारह लेखनकार्य सम्मिलित हैं: इसमें यहोशू, न्यायियों, रूत, 1 और 2 शमूएल, 1 और 2 राजा, 1 और 2 इतिहास, एज्रा, नहेम्याह और एस्तेर की पुस्तकें हैं।

तीसरे खण्ड को काव्य पुस्तकें (या बुद्धि या प्रज्ञा पुस्तकें) कहा जाता है और इसमें अय्यूब, भजन, नीतिवचन, उपदेशक, और सुलैमान के गीत (श्रेष्ठगीत) सम्मिलित है।

चौथा खण्ड को भविष्यद्वाणियों की पुस्तकें कहा जाता है और इसमें पाँच मुख्य भविष्यद्वक्ताओं (यशायाह, यिर्मयाह, विलापगीत, यहेजकेल और दानिय्येल) और बारह छोटे भविष्यद्वक्ताओं (होशे, योएल, आमोस, ओबद्याह, योना, मीका, नहूम, हबक्कूक, सपन्याह, हाग्गै, जकर्याह, और मलाकी) सम्मिलित हैं।

नए नियम में मुख्य रूप से चार भाग सम्मिलित हैं। पहला खण्ड सुसमाचार है, जिसमें मत्ती, मरकुस, लूका और यूहन्ना सम्मिलित हैं।

दूसरे खण्ड में ऐतिहासिक पुस्तक, प्रेरितों के काम की पुस्तक सम्मिलित है।

तीसरा खण्ड पत्रियाँ है। इसमें पौलुस लिखित तेरह पत्र (रोमियों, 1 और 2 कुरिन्थियों, गलातियों, इफिसियों, फिलिप्पियों, कुलुस्सियों, 1 और 2 थिस्सलुनीकियों, 1 और 2 तीमुथियुस, तीतुस और फिलेमोन) सम्मिलित हैं और आठ सामान्य पत्र (इब्रानियों, याकूब, 1 और 2 पीटर, 1, 2, और 3 यूहन्ना, और यहूदा)।

चौथे खण्ड में भविष्यद्वाणी की पुस्तक, प्रकाशितवाक्य की पुस्तक सम्मिलित है।

ये 66 पुस्तकें इब्रानी, अरामी और यूनानी भाषा में 40 विभिन्न लेखकों के द्वारा लगभग 1,400 वर्षों में लिखी गई थीं। आरम्भिक कलीसियाई धर्माचार्यों (पुराने नियम के लेखनकार्य के विषय में यहूदी अगुवे) के द्वारा इनके लेखों की पुष्टि की गई थी। बाइबल की 66 पुस्तकें परमेश्‍वर के प्रेरित वचन हैं, जिनका प्रयोग शिष्य बनाने के लिए किया जाता है (मत्ती 28:18-20) और ये आज विश्‍वासियों को विकसित करते हैं (2 तीमुथियुस 3:16-17)। बाइबल मात्र मानवीय ज्ञान से नहीं रची गई थी, अपितु परमेश्‍वर के द्वारा प्रेरित है (2 पतरस 1: 20-21) और सदैव तक बनी रहेगी (मत्ती 24:35)।

जबकि बाइबल कई विषयों को सम्बोधित करती है, इसका केन्द्रीय सन्देश यह है कि यहूदी मसीहा, अर्थात् यीशु मसीह, सभी लोगों के लिए उद्धार का मार्ग प्रदान करने के लिए संसार में आया (यूहन्ना 3:16)। यह केवल बाइबल के यीशु मसीह के माध्यम से ही है कि एक व्यक्ति को बचाया जा सकता है (यूहन्ना 14:16; प्रेरितों के काम 4:12)। "अत: विश्‍वास सुनने से और सुनना मसीह के वचन से होता है" (रोमियों 10:17)।

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