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प्रश्न

जीवन की पुस्तक क्या है?

उत्तर


प्रकाशितवाक्य 20:15 घोषित करता है कि, "और जिस किसी का नाम जीवन की पुस्तक में लिखा हुआ न मिला, वह आग की झील में डाला गया।" जीवन की पुस्तक, इस सन्दर्भ में, उन लोगों के नामों का सूची से भरी हुई है, जो स्वर्ग में सदैव के लिए परमेश्‍वर के साथ रहेंगे। यह उन लोगों की नामावली है, जो बचाए गए हैं। प्रकाशितवाक्य 3:5; 20:12; और फिलिप्पियों 4:3 में भी जीवन की इस पुस्तक का भी उल्लेख किया गया है। इसी पुस्तक को मेम्ने की पुस्तक भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें उन लोगों के नाम सम्मिलित हैं, जिन्हें प्रभु यीशु के अपने लहू से छुड़ाया है (प्रकाशितवाक्य 13:8; 21:27)।

आप कैसे सुनिश्‍चित कर सकते हैं कि आपका नाम जीवन की पुस्तक में लिखा गया है? सुनिश्‍चित करें कि आप बचाए गए हैं। पाप से पश्‍चाताप करें और अपने उद्धारकर्ता के रूप में प्रभु यीशु मसीह में विश्‍वास करें (फिलिप्पियों 4:3; प्रकाशितवाक्य 3:5)। एक बार जब आपका नाम जीवन की पुस्तक में लिखा जाता है, तो यह कभी नहीं मिटाया जाता है (प्रकाशितवाक्य 3:5; रोमियों 8:37-39)। किसी भी सच्चे मसीही विश्‍वासी को मसीह में अपनी अनन्त सुरक्षा के ऊपर सन्देह नहीं करना चाहिए (यूहन्ना 10:28-30)।

प्रकाशितवाक्य 20:11-15 में वर्णित महान श्वेत सिंहासन का न्याय विवरण देता है, जो अविश्‍वासियों के लिए होने वाले न्याय। वह सन्दर्भ यह स्पष्ट करता है कि उस न्याय को पाने वालों में से किसी का भी नाम जीवन पुस्तक में नहीं मिलता है (प्रकाशितवाक्य 20:12-14)। दुष्टों के भाग्य को मुहर बन्द कर दिया गया है; उनके नाम जीवन की पुस्तक में नहीं हैं; उनका दण्ड निश्‍चित है।

कुछ लोग प्रकाशितवाक्य 3:5 को इस "प्रमाण" के रूप में इंगित करते हैं कि एक व्यक्ति अपना उद्धार खो सकता है। यद्यपि, प्रकाशितवाक्य 3:5 की प्रतिज्ञा स्पष्ट रूप से यह है कि परमेश्‍वर किसी के नाम को नहीं मिटाएगा: "जो जय पाए... उसका नाम जीवन की पुस्तक में से किसी रीति से न काटूँगा।" एक जय पाया हुआ व्यक्ति वह है, जो इस संसार के प्रलोभनों, परीक्षाओं और बुराइयों के ऊपर विजयी होता है — दूसरे शब्दों में, जिसने छुटकारा पाया हुआ है। बचाए गए परमेश्‍वर की पंजिका में लिखे गए हैं और उन्हे अनन्तकालीन सुरक्षा की प्रतिज्ञा की गई है।

कभी-कभी भ्रम को उत्पन्न होने वाला एक और सन्दर्भ भजन संहिता 69:28 पाया जाता है: "उनका [दाऊद के शत्रुओं] नाम जीवन अर्थात् जीवितों की पुस्तक में से काटा जाए।" इस "जीवितों की पुस्तक" को मेम्ने की पुस्तक के साथ भ्रमित नहीं किया जाना चाहिए। दाऊद पृथ्वी पर, भौतिक जीवन का वर्णन कर रहा है, स्वर्ग में अनन्त जीवन का नहीं। निर्गमन 32:32-33 में वर्णित "पुस्तक" के बारे में भी यही सच है।

परमेश्‍वर एक अच्छे रिकॉर्ड को रखता है। वह स्वयं से ही जानता है, और उसने अपनी पुस्तक में स्थायी रूप से अपनी सन्तान के नामों को निर्धारित किया है।

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