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प्रश्न

परमेश्वर जन्म दोषों की अनुमति क्यों देता है?

उत्तर


इस कठिन प्रश्न का अन्तिम उत्तर यह है कि जब आदम और हव्वा ने पाप किया (उत्पत्ति अध्याय 3), तो वे संसार में बुराई, बीमारी, रोग और मृत्यु को ले आए। तब से पाप मानव जाति पर कहर बरपा रहा है। जन्म दोष पाप के कारण होते हैं... माता-पिता या बच्चे के पापों के कारण नहीं, अपितु स्वयं पाप के कारण होते हैं। प्रश्न का कठिन भाग यह है कि परमेश्वर लोगों को भयानक जन्म दोषों और/या विकृति के साथ जन्म लेने की अनुमति क्यों देता है। परमेश्वर जन्म दोषों को होने से क्यों नहीं रोकता है?

अय्यूब की पुस्तक इसी विषय को समझने से सम्बन्धित है कि क्यों परमेश्वर कुछ चीजों को होने देता है। केवल उसे मारने को छोड़कर परमेश्वर ने शैतान को अय्यूब के साथ वह सब कुछ करने की अनुमति दी थी जिसे वह करना चाहता था। अय्यूब की प्रतिक्रिया क्या थी? “वह मुझे घात करेगा, तौभी मैं उसी में आशा रखूँगा।” (अय्यूब 13:15)। “यहोवा ने दिया और यहोवा ही ने लिया; यहोवा का नाम धन्य है” (अय्यूब 1:21)। अय्यूब को यह समझ नहीं आया कि परमेश्वर ने उन बातों की अनुमति क्यों दी जिसे उसने किया था, परन्तु वह यह जानता था कि परमेश्वर अच्छा था और इसलिए वह उस पर भरोसा करता रहा। अन्त में, यही हमारी प्रतिक्रिया भी होनी चाहिए। परमेश्वर भला, न्यायी, प्रेममय और दयालु है। अक्सर हमारे साथ ऐसी बातें घटित हो जाती हैं जिन्हें हम आसानी से समझ नहीं पाते हैं। परमेश्वर की भलाई पर सन्देह करने की अपेक्षा, हमारी प्रतिक्रिया उस पर भरोसा करने की होनी चाहिए। “तू अपनी समझ का सहारा न लेना, वरन् सम्पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रखना। उसी को स्मरण करके सब काम करना, तब वह तेरे लिये सीधा मार्ग निकालेगा” (नीतिवचन 3:5-6)।

अन्त में, इस प्रश्न का उत्तर यह होना चाहिए कि, “मुझे नहीं पता।” हम कभी भी परमेश्वर और उसके तरीकों को पूरी तरह से समझ नहीं पाएंगे। हमारे लिए यह प्रश्न करना गलत है कि परमेश्वर कुछ होने की अनुमति क्यों देता है। हमें बस इस बात पर भरोसा करना है कि वह अय्यूब से प्रेम करता है, भला है, और दयालु है — ठीक वैसे ही जैसे अय्यूब ने भी उस से किया था- तब भी जब परिणाम इसके विपरीत का संकेत देते थे। बीमारी और रोग पाप का परिणाम है। परमेश्वर ने यीशु मसीह को भेजने के द्वारा हमारे पाप का “उपचार” करने के लिए प्रदान किया (रोमियों 5:8)। जब हम स्वर्ग में होंगे, तब हम बीमारी, रोग और मृत्यु से मुक्त हो जाएंगे। उस दिन तक, हमें पाप, उसके प्रभाव और उसके परिणामों से निपटना होगा। हम परमेश्वर की स्तुति कर सकते हैं, यद्यपि, वह हमारे भले और उसकी महिमा के लिए जन्म के साथ उत्पन्न होने वाले दोषों और अन्य शोकपूर्ण घटनाओं का उपयोग कर सकता है। यूहन्ना 9:2-3 घोषणा करता है कि, “उसके चेलों ने उससे पूछा, ‘हे रब्बी, किसने पाप किया था कि यह अंधा जन्मा?’ ‘इस मनुष्य ने या इसके माता-पिता ने?’ यीशु ने उत्तर दिया, ‘न तो इसने पाप किया था, न इसके माता-पिता ने; परन्तु यह इसलिये हुआ कि परमेश्‍वर के काम उसमें प्रगट हों।’’’

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