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प्रश्न

स्वर्गदूत जिब्राएल के बारे में बाइबल क्या कहती है?

उत्तर


स्वर्गदूत जिब्राएल एक सन्देशवाहक है जिसे परमेश्‍वर की ओर से कई महत्वपूर्ण सन्देश को लोगों तक पहुँचाने के लिए सौंपा गया था। बाइबल में कम से कम तीन लोगों के सामने स्वर्गदूत जिब्राएल प्रकट होता है: सबसे पहले भविष्यद्वक्ता दानिय्येल के सामने (दानिय्येल 8:16); याजक जकर्याह के सामने ताकि उसे यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के होने वाले आश्‍चर्यजनक जन्म की भविष्यद्वाणी करने और घोषणा करने के लिए (लूका 1:19); और अन्त में कुँवारी मरियम को यह बताने के लिए कि वह गर्भवती होगी और एक बेटे को जनेगी (लूका 1:26-38)। जिब्राएल नाम का अर्थ "महान परमेश्‍वर," और घोषणा करने वाले दूत के रूप में है, यह जिब्राएल ही है, जिसने यह प्रगट किया कि उद्धारकर्ता को "यीशु" कहा जाना था (लूका 1:31)।

पहली बार जब हम जिब्राएल को देखते हैं, तो वह भविष्यद्वक्ता दानिय्येल के सामने एक दर्शन में प्रगट होता है। जिब्राएल की भूमिका दानिय्येल को दर्शन की व्याख्या करने की थी (दानिय्येल 8:16)। जिब्राएल का प्रगटीकरण एक व्यक्ति के जैसा था (दानिय्येल 8:15; 9:21)। जब जिब्राएल ने दूसरी बार दानिय्येल से मुलाकात की, तब वह "वेग से उड़ते हुए साँझ के अन्नबलि के समय" आया था (दानिय्येल 9:21)। जिब्राएल की "उड़ान" पंखों का सुझाव दे सकती है, परन्तु पंखों का उल्लेख नहीं किया गया है। यह भी स्पष्ट है कि जिब्राएल की उपस्थिति अपेक्षाकृत डरावनी थी, क्योंकि दानिय्येल उसे देखने के पश्‍चात् अपने मुँह के बल गिर पड़ा था (दानिय्येल 8:17) और स्वर्गदूत और दर्शन के पश्‍चात् हुए अनुभव के कारण अगले कुछ दिनों तक बीमार रहा था (दानिय्येल 8:27)।

दानिय्येल 10 में हम भविष्यद्वक्ता और "मनुष्य की सन्तान के समान" के मध्य में एक और वार्तालाप को देखते हैं (वचन 16); यद्यपि, इस सन्देशवाहक को कोई नाम नहीं दिया गया है। स्वर्गदूत कहता है कि वह दानिय्येल को उसके दर्शन को समझाने में सहायता देने के लिए आया है, इसलिए यह सम्भावना अधिक है कि यह सन्दर्भ भी जिब्राएल स्वर्गदूत का ही वर्णन कर रहा हो। इस सन्दर्भ में दी हुई भाषा से, यह भी सम्भव है कि वास्तव में दानिय्येल के साथ दो स्वर्गदूत हैं — एक जो उस से बात करता है और दूसरा जो उसे सामर्थ्य देता है ताकि वह प्रतिउत्तर दे सके (दानिय्येल 10:16, 18)। स्वर्गदूत आत्मिक क्षेत्रों में होने वाली लड़ाई को भी सन्दर्भित करता है। यह स्वर्गदूत, जिसे हम तर्कसंगत रूप से जिब्राएल के रूप में स्वीकार कर सकते हैं और स्वर्गदूत मीकाईल स्पष्ट रूप से दुष्टात्माओं के राजाओं और राजकुमारों की एक श्रृंखला के साथ लड़ाई में लगे हुए थे, जिनमें फारस के राजा या राजकुमार के (वचन 13) और यूनान के राजकुमार (वचन 20) से पुकारे जाने वाले लोग भी सम्मिलित हैं।

जिब्राएल का कहना है कि उसे स्वर्ग से दानिय्येल की प्रार्थना के विशेष उत्तर को देने के लिए भेजा गया था। जैसे ही दानिय्येल ने प्रार्थना करना आरम्भ किया, दानिय्येल को उत्तर देने के लिए भेज दिया गया था (दानिय्येल 10:12)। परन्तु जिब्राएल को मार्ग में ही परेशानी खड़ी हो गई: "फारस के राज्य का प्रधान इक्‍कीस दिन तक मेरा सामना किए रहा" (दानिय्येल 10:13) और वास्तव में उसे दानिय्येल के पास आने से रोक दिया गया था अन्यथा वह उसके पास शीघ्रता से पहुँच जाता। यहाँ हमारे पास आत्मिक संसार और दृश्यों के पीछे होने वाली लड़ाई की एक झलक मिलती है। जिब्राएल जैसे पवित्र स्वर्गदूत परमेश्‍वर की इच्छा पूरी कर रहे हैं, परन्तु उनका विरोध अन्य आत्मिक प्राणियों के द्वारा किया जा रहा है, जो केवल संसार में दुष्टता को ही चाहते हैं।

यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के पिता जकर्याह को जिब्राएल का सन्देश मन्दिर में दिया गया था, क्योंकि जकर्याह यहोवा परमेश्‍वर के सामने सेवा कर रहा था। जिब्राएल धूप की वेदी (लूका 1:11) के दाहिने ओर दिखाई देता है, जो कि प्रार्थना का प्रतीक है और जकर्याह से कहता है कि उसकी प्रार्थनाएँ सुनी गई हैं (वचन 13)। जकर्याह की बांझ पत्नी अलीशिबा गर्भवती होने और बेटे को जन्म देने वाली है; इस आश्‍चर्जजनक बच्चे को यूहन्ना नाम दिया जाना था और वह एलिय्याह के आगमन की भविष्यद्वाणी को पूरा करेगा (वचन 17; की तुलना मलाकी 4:5 से करें)। जिब्राएल के सन्देश को अविश्‍वास से लिया जाता है, इसलिए जिब्राएल ने याजक को बच्चे के खतने के दिन तक गूंगा कर दिया (लूका 1:20, 59-64)।

मरियम के लिए जिब्राएल की उपस्थिति प्रभु यीशु मसीह के कुँवारी जन्म की घोषणा करना था। मसीह की माता को परमेश्‍वर की कृपा का आश्‍वासन दिया गया था (लूका 1:30) और कहा कि उसका पुत्र दाऊद की वाचा को पूरा करेगा: "वह महान् होगा और परमप्रधान का पुत्र कहलाएगा; और प्रभु परमेश्‍वर उसके पिता दाऊद का सिंहासन उसको देगा, और वह याकूब के घराने पर सदा राज्य करेगा; और उसके राज्य का अन्त न होगा" (वचन 32-33)। मरियम का प्रश्‍न कि यह कैसे होगा, क्योंकि वह एक कुंवारी थी, के उत्तर में स्वर्गदूत जिब्राएल ने कहा कि गर्भधारण पवित्र आत्मा के काम के परिणामस्वरूप होगा, और इसलिए "वह पवित्र जो उत्पन्न होनेवाला है, परमेश्‍वर का पुत्र कहलाएगा" (वचन 35)।

सभी तीनों प्रगटीकरणों में, जिब्राएल के साथ मुलाकात भय के साथ की गई है और उसने दानिय्येल, जकर्याह और मरियम के साथ अपने वार्तालाप को सांत्वना और हर्ष के शब्दों के साथ किया। यह सम्भव है कि जिब्राएल ही वह स्वर्गदूत था, जो मत्ती 1:20 में यूसुफ के सामने प्रकट हुआ था, परन्तु यह निश्‍चित नहीं है, क्योंकि उस स्वर्गदूत को पवित्र शास्त्र में नाम नहीं दिया गया है। हम जो जानते हैं, वह यह कि स्वर्गदूत परमेश्‍वर के अच्छे और पवित्र स्वर्गदूतों में से एक है। उसके पास एक स्वर्गदूत के रूप में एक कृपा प्राप्त पद है, जो "परमेश्‍वर के सामने खड़ा रहता है" (लूका 1:19) और वह परमेश्‍वर के विशेष प्रेम और परमेश्‍वर की योजना का अंश बनने के लिए चुने गए व्यक्तियों के पक्ष में महत्वपूर्ण सन्देश देने के लिए चुना गया था।

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