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प्रश्न

यीशु के बचपन में क्या कुछ घटित हुआ था?

उत्तर


लूका 2:41-52 के अतिरिक्त, बाइबल हमें यीशु के लड़कपन के बारे में कुछ नहीं बताती है। इस घटना से हम यीशु के बचपन के बारे में निश्चित कुछ ही बातों को जानते हैं। पहला, वह ऐसे अभिभावकों का पुत्र था, जो धार्मिक व्यवस्था का पालन करने में समर्पित थे। जैसा उनके विश्‍वास के द्वारा मांग की गई थी, यूसुफ और मरियम प्रतिवर्ष यरूशलेम में फसह के त्योहार को मनाने के लिए जाया करते थे। इसके अतिरिक्त, वे अपने 12 वर्ष की उम्र के पुत्र को इस त्योहार को मनाने के लिए लेकर आए थे, ताकि उसकी 13 वर्ष की उम्र होने पर उसे बार मित्ज़वाह के प्रथम त्योहार के लिए उसे तैयार कर सकें, यह वह समय था जब यहूदी लड़के लकड़पन की उम्र को समाप्त करने के लिए उत्सव को मनाते हैं। यहाँ फिर हम एक विशेष तरह के लड़के को उसके दिनों में एक विशेष तरह के परिवार में देख सकते हैं।

हम साथ ही इस कहानी में यह भी देखते हैं कि यीशु का मन्दिर में रूक जाना न तो शरारत और न ही आज्ञा की अवहेलना किया जाना है, अपितु यह उसके ज्ञान का एक स्वाभाविक परिणाम है कि उसे उसके पिता के व्यवसाय में लगे रहना चाहिए था। यह कि वह मन्दिर के शिक्षकों को अपने ज्ञान और बुद्धि से आश्चर्यचकित कर रहा था क्योंकि वह असामान्य योग्यता से उनके साथ बात कर रहा था, जबकि वे उसकी सुन रहे थे और उनके बुजुर्ग के द्वारा पूछे जाने वाले प्रश्‍न यह दिखाते हैं कि वह पूरी तरह से सम्मान करने वाला, उस उम्र में एक विद्यार्थी के द्वारा सटीकता के साथ पूरी की जाने वाली भूमिका को पूरा कर रहा था।

इस घटना से लेकर उसकी 30 की उम्र में होने वाले बपतिस्मे तक, जो कुछ हम जानते हैं वह केवल इतना ही है कि यीशु की किशोरावस्था यह थी कि उसने यरूशलेम को छोड़ दिया था और वह नासरत में अपने अभिभावकों के पास वापस लौट आया था और "उनके वश में रहा" (लूका 2:51)। उसने अपने पार्थिव अभिभावकों के प्रति अधीनता की 5वीं आज्ञा को पूरा किया था, जो कि मूसा की व्यवस्था की पूर्णता के साथ आज्ञा पालन करने का एक अनिवार्य भाग था, जो उसने हमारे स्थान पर पूरी की थी। इसके अतिरिक्त, जो कुछ हम जानते हैं वह केवल इतना ही है कि "यीशु बुद्धि और डील-डौल में और परमेश्‍वर और मनुष्यों के अनुग्रह में बढ़ता चला गया" (लूका 2:52)।

स्पष्ट है, कि यह सब कुछ ही है जिसे परमेश्‍वर ने हमारे निर्धारित किया है कि हमें जानने की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त कुछ अतिरिक्त-बाइबल आधारित लेख भी पाए जाते हैं जिनमें यीशु के लड़कपन की कहानियाँ मिलती हैं (उदाहरण के लिए, थोमा का सुसमाचार)। परन्तु हमारे पास ऐसा कोई भी तरीका नहीं है जिसके द्वारा हमें पता चल सके कि यह कहानियाँ सच्ची और विश्‍वनीय हैं या नहीं। परमेश्‍वर ने हमें यीशु के लड़कपन के बारे में बताना नहीं चुना है — इसलिए हमें केवल उन्ही ही बातों के ऊपर विश्‍वास करना होगा जो उसने हमें सूचित की हैं कि हम केवल इन्हें ही जानने की आवश्यकता है।

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यीशु के बचपन में क्या कुछ घटित हुआ था?
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