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प्रश्न

जब यीशु को छेदा गया था, तब उस की पसली में से लहू और पानी क्यों निकला था?

उत्तर


रोमियों के चाबुक जिसके द्वारा यीशु को मार-पीटा और कोड़े लगाए थे जिसे उसने क्रूस के ऊपर चढ़ाए जाने से पहले सहन किया था, में सामान्य रूप से चमड़े के 39 धागे होते थे, परन्तु यह और भी अधिक हो सकते थे (मरकुस 15:15; यूहन्ना 19:1)। जिस कोड़े का उपयोग किया गया था, उसे चाबुक कहा जाता था, जिसके चमड़े के धागों में धातु और तीखी हड्डियों के टुकड़े गुथे हुए होते थे या ये धागों के साथ आपस में बुने हुए तरीके से जुड़े हुए होते थे। कोड़े में जुड़ी हुई गेंदें इसमें वजन को जोड़ देती थी, जिससे कि शरीर के भीतर तक चोट पहुँच सके ताकि मार खाने वाला अधिक प्रभावित हो सके। हड्डियों के टुकड़ों को मांस को काटने के लिए लगाया गया था। मारे जाने रहने के कारण, शरीर से अलग होते हुए मांस के कारण शरीर इतना अधिक लहूलुहान हो जाता था कि कंकाल की मांसपेशियाँ, भीतर की नसें, स्नायु तंतु, और मार खाने वाले की अंतड़ियाँ तक उजागर हो जाती थीं। यह मार इतनी अधिक गम्भीर होती थी कि कई बार मार खाने वाला क्रूस पर चढ़ाए जाने से पहले ही जीवित नहीं बचता था।

जिन लोगों को चाबुक से मारा जाता था, वे अक्सर हाइपोवॉलेमिक शॉक अर्थात् गहरे सदमे में चले जाते हैं, यह एक ऐसा चिकित्सीय शब्द जिसे लहू की कमी की मात्रा के लिए सन्दर्भित किया जाता है। दूसरे शब्दों में, एक व्यक्ति अपने खून को इतना अधिक खो देता था कि वह गहरे सदमे में चला जाता था। इसके परिणाम कुछ इस प्रकार के होते हैं:

1) जिस लहू को ह्दय बहाव देते हुए गति प्रदान करता है वह अब वहाँ नहीं होगा।

2) निम्न रक्तचाप के कारण मार खाने वाला बेहोश हो जाएगा या गिर जाएगा।

3) शरीर के तरल पदार्थों को बनाए रखने के लिए गुर्दे काम करना बन्द कर देंगे।

4) शरीर में पर्याप्त मात्रा में पानी न होने के कारण एक व्यक्ति खोए हुए तरल पदार्थों को फिर से पाने के लिए अत्यधिक प्यास का अनुभव करेगा।

पवित्रशास्त्र से इस बात के प्रमाण मिलते हैं कि यीशु को कोड़े मारे जाने के परिणामस्वरूप हाइपोवॉलेमिक शॉक अर्थात् खून और पानी की कमी का अनुभव हुआ था। जब यीशु गुलगुता तक अपने क्रूस को स्वयं उठा कर ले जा रहा था (यूहन्ना 19:17), तो वह वह मार्ग में वहाँ गिर पड़ा था और शिमौन नामक एक व्यक्ति को उसके क्रूस को ले जाने के लिए मजबूर किया गया या उसने यीशु के क्रूस को शेष बची रह गई पहाड़ी तक ले जाने में उसकी सहायता की (मत्ती 27:32-33; मरकुस 15:21–22; लूका 23:26)। उसका इस तरह नीचे गिरना यह बताता है कि यीशु का रक्तचाप कम था। एक अन्य संकेत कि यीशु को हाइपोवॉलेमिक शॉक अर्थात् गहरे सदमे से पीड़ित था, यह है कि उसने घोषणा की थी कि वह प्यासा था जब वह क्रूस के ऊपर लटका हुआ था (यूहन्ना 19:28), जो उसके शरीर के तरल पदार्थों को फिर से भरे जाने की इच्छा को दर्शाता है।

मृत्यु से पहले, हाइपोवॉलेमिक शॉक के कारण निरन्तर तीव्र गति से चलने वाली धड़कन भी हृदय और फेफड़ों के आसपास की नाड़ियों में तरल पदार्थ के इकट्ठा होने का कारण बनती है। हृदय के चारों ओर की झिल्ली में तरल का एकत्रित होना पेरिकार्डियल इफ्यूजन कहलाता है, और फेफड़ों के चारों ओर तरल का इकट्ठा होना प्लूरल इफ्यूजन कहलाता है। यह इस बात का वर्णन करता है कि क्यों, यीशु के मरने के बाद और एक रोमी सैनिक के द्वारा यीशु की पसली में भाले को मारे जाना, जिसने दोनों ही फेफड़े और हृदय को छेदा जाना, लहू और पानी को उसकी पसली में से निकलने का कारण बना जैसा कि यूहन्ना ने अपने सुसमाचार में लिपिबद्ध किया है (यूहन्ना 19:34)।

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जब यीशु को छेदा गया था, तब उस की पसली में से लहू और पानी क्यों निकला था?
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