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प्रश्न

इसका क्या अर्थ है कि यीशु हमारे साथ रहने वाला परमेश्वर है?

उत्तर


यीशु के जन्म से पहले, एक स्वर्गदूत यूसुफ को दिखाई दिया और उसने प्रगट किया कि उसकी मंगेतर, मरियम ने पवित्र आत्मा की ओर से एक बच्चे के लिए गर्भधारण करेगी (मत्ती 1:20–21)। मरियम एक पुत्र को जन्म देगी, और उन्हें उसका नाम यीशु रखना है । तब मत्ती ने यशायाह 7:14 से उद्धृत करते हुए कहा है कि,यह सब कुछ प्रेरित प्रकाशन की ओर से है: "कि जो वचन प्रभु ने भविष्यद्वक्‍ता के द्वारा कहा था, वह पूरा हो : 'देखो, एक कुँवारी गर्भवती होगी और एक पुत्र जनेगी, और उसका नाम इम्मानुएल रखा जाएगा' (जिसका अर्थ है 'परमेश्‍वर हमारे साथ)' (मत्ती 1:22–23)।

सात सौ वर्षों पहले, भविष्यद्वक्ता यशायाह ने प्रतिज्ञा किए गए मसीह के कुंवारी से जन्म को देख लिया था। उसने भविष्यद्वाणी की थी कि उसका नाम इम्मानुएल होगा, जिसका अर्थ है "परमेश्वर हमारे साथ" है। यशायाह के शब्दों को सन्दर्भित करते हुए, मत्ती ने यीशु की पहचान इम्मानुएल के रूप में की। इम्मानुएल नाम देहधारण के आश्चर्यकर्म को व्यक्त करता है कि: यीशु हमारे साथ रहने वाला परमेश्वर है! परमेश्वर सदैव उसके लोगों के साथ रहा था — मिलाप वाले तम्बू के ऊपर बादल के खम्भे में, भविष्यद्वक्ताओं की आवाज में, वाचा के सन्दूक में — परन्तु परमेश्वर कभी भी इतनी अधिक स्पष्ट रूप से अपने लोगों के साथ विद्यमान नहीं हुआ था, जैसा कि उसने कुँवारी-से-जन्म लिए हुए पुत्र, यीशु, इस्राएल के मसीह के रूप में किया था।

पुराने नियम में, परमेश्‍वर की अपने लोगों के साथ उपस्थिति सबसे अधिक तब स्पष्ट हुई जब उसकी महिमा ने मिलाप वाले तम्बू (निर्गमन 25:8; 40:34–35) और मन्दिर (1 राजा 8:10–11) को भर दिया था । परन्तु वह महिमा परमेश्वर पुत्र की व्यक्तिगत् उपस्थिति से बहुत दूर थी, परमेश्वर ने शरीर को धारण किया, परमेश्वर एक व्यक्ति में हमारे साथ है।

कदाचित् यीशु के देहधारण से सम्बन्धित बाइबल का सबसे महत्वपूर्ण सन्दर्भ यूहन्ना 1:1-14 है। यूहन्ना कहता है कि "आदि में वचन था, और वचन परमेश्‍वर के साथ था, और वचन परमेश्‍वर था" (वचन 1-2)। यूहन्ना शब्द लॉगोस या "वचन," का उपयोग परमेश्वर के स्पष्ट सन्दर्भ के रूप में करता है। यूहन्ना वचन 14 में घोषणा करता है कि, "और वचन देहधारी हुआ; और अनुग्रह और सच्‍चाई से परिपूर्ण होकर हमारे बीच में डेरा किया, और हम ने उसकी ऐसी महिमा देखी, जैसी पिता के एकलौते की महिमा।"

स्वयं को गिरफ्तार किए जाने वाली रात, यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा था। फिलिप्पुस का अनुरोध था कि: "हे प्रभु, पिता को हमें दिखा दे, यही हमारे लिये बहुत है।" यीशु ने उससे कहा, "हे फिलिप्पुस, मैं इतने दिन से तुम्हारे साथ हूँ, और क्या तू मुझे नहीं जानता? जिसने मुझे देखा है उसने पिता को देखा है। तू क्यों कहता है कि पिता को हमें दिखा"(यूहन्ना 14:8-9)। यीशु उन्हें अभी तक पिता को ही दिखा रहा था। वह वास्तव में "हमारे साथ परमेश्वर" था। जब भी यीशु ने बात की, उसने पिता के शब्दों को बोला। यीशु ने जो कुछ भी किया, उसने ठीक वैसा ही किया जैसा कि पिता करता।

परमेश्वर ने स्वयं के ऊपर मानवीय शरीर और लहू को धारण किया (1 तीमुथियुस 3:16)। यही देहधारण का अर्थ होता है। परमेश्वर का पुत्र शाब्दिक रूप से हम में से एक के रूप में हमारे बीच में "वास" करता है; वह हमारे शिविर में "अपने डेरे को खड़ा करता" है (यूहन्ना 1:14)। परमेश्वर ने हमें अपनी महिमा दिखाई है और हमें देने के लिए उसने अपने अनुग्रह और सच्चाई को प्रस्तुत किया है। पुरानी वाचा के अधीन, मिलाप वाले तम्बू ने परमेश्वर की उपस्थिति का प्रतिनिधित्व किया था, परन्तु अब, नई वाचा के अधीन, यीशु मसीह हमारे साथ रहने वाला परमेश्वर है। वह परमेश्वर हमारे साथ का मात्र प्रतीक ही नहीं है; यीशु व्यक्तिगत् रूप से हमारे साथ रहने वाला परमेश्वर है। यीशु परमेश्वर का आंशिक प्रकाशन नहीं है; वह परमेश्वर की पूरी पूर्णता में हमारे साथ रहने वाला परमेश्वर है: "क्योंकि उसमें ईश्‍वरत्व की सारी परिपूर्णता सदेह वास करती है" (कुलुस्सियों 2:9)।

परमेश्वर यीशु मसीह के माध्यम से स्वयं की पहचान हमारे ऊपर पूरी तरह से प्रगट करता है। वह स्वयं को हमारे उद्धारक के रूप में प्रकट करता है (1 पतरस 1:18-19)। यीशु हमारे साथ मेल-मिलाप कराने वाला परमेश्वर है। एक बार हम पाप के कारण परमेश्वर से अलग हो गए थे (यशायाह 59:2), परन्तु जब यीशु मसीह आया, तो वह परमेश्वर को हमारे पास ले आया: "परमेश्‍वर ने मसीह में होकर अपने साथ संसार का मेलमिलाप कर लिया, और उनके अपराधों का दोष उन पर नहीं लगाया, और उस ने मेलमिलाप का वचन हमें सौंप दिया है" (2 कुरिन्थियों 5:19; और रोमियों 8:3 को भी देखें)।

यीशु हमारे साथ रहने वाला न केवल परमेश्वर है, अपितु हम में भी रहने वाला परमेश्वर है। जब हम नया जन्म लेते हैं, उस समय परमेश्वर यीशु मसीह के माध्यम से हमारे भीतर वास करने के लिए आता है: "मैं मसीह के साथ क्रूस पर चढ़ाया गया हूँ, अब मैं जीवित न रहा, पर मसीह मुझ में जीवित है; और मैं शरीर में अब जो जीवित हूँ तो केवल उस विश्‍वास से जीवित हूँ जो परमेश्‍वर के पुत्र पर है, जिस ने मुझ से प्रेम किया और मेरे लिये अपने आप को दे दिया" (गलातियों 2:20)। परमेश्वर का आत्मा हम में वास करता है, और हम उसका निवास स्थान बन जाते हैं: "क्योंकि हम तो जीवते परमेश्‍वर के मन्दिर हैं; जैसा परमेश्‍वर ने कहा है, 'मैं उनमें बसूँगा और उनमें चला फिरा करूँगा; और मैं उनका परमेश्‍वर हूँगा, और वे मेरे लोग होंगे''' (2 कुरिन्थियों 6:16)।

यीशु हमारे साथ अस्थायी रूप से रहने वाला परमेश्वर नहीं है, अपितु अनन्त काल से परमेश्वर है। परमेश्वर पुत्र, ने एक क्षण के लिए भी अपने ईश्वरत्व को न रोकते हुए, पूरी तरह से मानवीय स्वभाव को धारण किया और सदैव के लिए 'परमेश्वर हमारे साथ' बन गया: "मैं जगत के अन्त तक सदा तुम्हारे संग हूँ" (मत्ती 28:20; और साथ ही इब्रानियों 13:5 को भी देखें)।

जब यीशु का पिता के पास लौटने का समय आया, तब उसने अपने शिष्यों से कहा कि, "मैं पिता से विनती करूँगा, और वह तुम्हें एक और सहायक देगा कि वह सर्वदा तुम्हारे साथ रहे" (यूहन्ना 14:16)। यीशु पवित्र आत्मा, परमेश्वरत्व के तीसरे व्यक्ति के बारे में बात कर रहे थे, जो विश्वासियों के जीवन में वास करते हुए परमेश्वर की उपस्थिति को बनाए रखेगा। पवित्र आत्मा यीशु के शिक्षक, सत्य के प्रकाशक, उत्साह देने वाले, सांत्वना देने वाले, मध्यस्थता करने वाले और हमारे साथ परमेश्वर के होने की भूमिका को पूरा करता है।

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