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प्रश्न

मैं कैसे जान सकता हूँ कि परमेश्‍वर का समय क्या है?

उत्तर


परमेश्‍वर के समय के बारे में समझने के लिए पहली बात यह समझना है कि यह सिद्ध है, ठीक वैसे ही सभी परमेश्‍वर के सभी मार्ग सिद्ध हैं (भजन संहिता 18:30; गलातियों 4:4)। परमेश्‍वर का समय कभी समय से पहले घटित नहीं होता है, और यह कभी समय के पश्‍चात् भी घटित नहीं होता है। वास्तव में, हमारे जन्म से लेकर तब तक जब हम अपने अन्तिम सांसारिक श्‍वास को लेते हैं, प्रभुता सम्पन्न हमारा परमेश्‍वर हमारे पूरे जीवन में अपने अलौकिक उद्देश्यों को पूरा कर रहा है। उसके नियन्त्रण सब कुछ के ऊपर है और आदिकाल से अनन्तकाल तक प्रत्येक के ऊपर उसका पूर्ण नियन्त्रण है। इतिहास की किसी भी घटना ने परमेश्‍वर की शाश्‍वत योजना में एक भी झुर्री को नहीं डाला है, जिसे उसने इस संसार की नींव रखने से पहले निर्मित न किया हो।

एक व्यक्ति तब ऐसे सोचेगा कि, हमारे सृष्टिकर्ता की संप्रभुता को समझ कर, धैर्य और प्रतीक्षा करना थोड़ा और आसान हो जाएगा। दुर्भाग्य से, यद्यपि, ऐसा सदैव नहीं होता है। हमारी मानव स्वभाव किसी बात को परमेश्‍वर के सही समय के ऊपर घटित होने के लिए कठिनाई से प्रतीक्षा करती है। सच्चाई तो यह है कि, हमें अपने उन्मादी जीवन की उथल — पुथल में, हमें अक्सर किसी भी वस्तु या किसी भी व्यक्ति के लिए प्रतीक्षा करनी कठिन प्रतीत होती है। हम जिसे चाहते हैं, उसे अभी चाहते हैं। और हमारी आधुनिक तकनीकी प्रगति के साथ, हम अक्सर जो चाहते हैं, उसे प्राप्त करने में सक्षम होते हैं। परिणामस्वरूप, हम न केवल हमारे धैर्य को खो रहे हैं, अपितु साथ ही परमेश्‍वर के समय को समझना भी हमारे लिए कठिन होता चला जा रहा है।

धैर्य एक आत्मिक फल है (गलातियों 5:22), और पवित्रशास्त्र यह स्पष्ट करता है कि जब हम इस गुण को प्रदर्शित करते हैं, तो परमेश्‍वर हम से प्रसन्न होता है: "यहोवा के सामने चुपचाप रह, और धीरज से उसकी प्रतीक्षा कर" (भजन संहिता 37:7), क्योंकि परमेश्‍वर उन लोगों के लिए अच्छा है, जो उसकी प्रतीक्षा करते हैं (विलापगीत 3:25)। और हमारा धैर्य अक्सर परमेश्‍वर के समय में हमारे भरोसे की स्तर को प्रगट करता है। हमें स्मरण रखना चाहिए कि परमेश्‍वर हमारी नहीं अपितु अपनी सिद्ध और पूर्वनिर्धारित शाश्‍वतकालीन समय सारणी के अनुसार काम करता है। हमें इस जानकारी में बहुत अधिक सांत्वना होनी चाहिए कि जब हम यहोवा परमेश्‍वर की प्रतीक्षा करते, तो हमें अलौकिक ऊर्जा और सामर्थ्य प्राप्त होती है: "परन्तु जो यहोवा की बाट जोहते हैं, वे नया बल प्राप्‍त करते जाएँगे, वे उकाबों के समान उड़ेंगे, वे दौड़ेंगे और श्रमित न होंगे, चलेंगे और थकित न होंगे" (यशायाह 40:31)। भजनकार इसी बात की पुष्टि करता है कि, "यहोवा की बाट जोहता रह; हियाव बाँध और तेरा हृदय दृढ़ रहे; हाँ, यहोवा ही की बाट जोहता रह!" (भजन संहिता 27:14)।

परमेश्‍वर के समय को समझने की एक और कुँजी भरोसा है। वास्तव में, परमेश्‍वर यहोवा की बाट जोहना या उसके समय की प्रतीक्षा करने की हमारी क्षमता व्यापक रूप में उस सीमा में उससे ही सम्बन्धित है कि हम उसके ऊपर कितना अधिक भरोसा करते हैं। जब हम अपने पूरे मन से परमेश्‍वर के ऊपर भरोसा करते हैं, स्वयं के ऊपर भरोसे को छोड़ते हुए, अक्सर परिस्थितियों के प्रति गलत समझ को छोड़ते हुए, तो वह वास्तव में हमें दिशा प्रदान करेगा (नीतिवचन 3:5-6)। "... दुष्‍ट को तो बहुत पीड़ा होगी; परन्तु जो यहोवा पर भरोसा रखता है वह करुणा से घिरा रहेगा" (भजन संहिता 32:10)। परमेश्‍वर के ऊपर पूरी तरह से भरोसा करने के लिए, हमें परमेश्‍वर को जानने की आवश्यकता है। और उसे जानने का सबसे अच्छा तरीका उसके वचन के माध्यम से है। परमेश्‍वर की अलौकिक ऊर्जा हमारे जीवन में उसके प्रेरित वचन के माध्यम से छोड़ दी जाती है (1 थिस्सलुनीकियों 2:13)। परमेश्‍वर के वचन में बचाए जाना (रोमियों 10:17; 1 पतरस 1:23), शिक्षण और प्रशिक्षण (2 तीमुथियुस 3:16-17), मार्गदर्शन देना (भजन संहिता 119:105), रक्षा करना (भजन संहिता 119:114, 117), सामर्थी बनाना (भजन संहिता 119:28), और हमें बुद्धिमान बनाना (भजन संहिता 119:97-100) जैसी बातें सम्मिलित हैं। यदि हम प्रतिदिन उसके वचन का अध्ययन और उसके ऊपर ध्यान मनन करते हैं, तो उसका समय भी हमारे लिए स्पष्ट हो जाएगा।

जब हम परमेश्‍वर के समय के ऊपर प्रश्‍न करते हैं, तो अक्सर ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि हम कठिन परिस्थिति में मार्गदर्शन या उद्धार की खोज कर रहे होते हैं। यद्यपि, हम आश्‍वस्त रह सकते हैं, कि हमारा स्वर्गीय पिता जानता है कि हम हर क्षण में अपने जीवन में कहाँ हैं। वह या तो हमें वहाँ रखता है या हमें वहाँ रहने की अनुमति देता है, ऐसा वह सब कुछ अपने स्वयं के सिद्ध उद्देश्य की प्राप्ति के लिए करता है। वास्तव में, परमेश्‍वर अक्सर हमारे धैर्य को दृढ़ता प्रदान करने के लिए परीक्षाओं का उपयोग करता है, जिससे कि हम हमारे मसीही विश्‍वास में परिपक्व और सिद्ध हो जाते हैं (याकूब 1:3-4)। और हम जानते हैं कि इन सभी कठिनाइयों सहित — सभी बातें — उन लोगों की भलाई के लिए काम करती हैं, जो परमेश्‍वर से प्रेम करते हैं (रोमियों 8:28)। परमेश्‍वर वास्तव में अपने बच्चों के विलाप को सुनता है और अपनी सिद्ध इच्छा और अपने समय के अनुसार उनके विलाप का उत्तर देगा। "धर्मी पर बहुत सी विपत्तियाँ पड़ती तो हैं,

परन्तु यहोवा उसको उन सबसे मुक्‍त करता है" (भजन संहिता 34:19)। परमेश्‍वर की सन्तान के लिए उसकी योजनाएँ अच्छी हैं – यह हमें ठेस पहुँचाने के लिए नहीं, अपितु हमारी सहायता के लिए हैं (यिर्मयाह 29:11)।

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