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प्रश्न

क्या परमेश्वर के पास एक भौतिक शरीर है?

उत्तर


बाइबल और अच्छा दर्शन विज्ञान दोनों ही लिपिबद्ध करते हैं कि परमेश्वर भौतिक शरीर — रहित — आत्मा है। यूहन्ना 4:24 में कहा गया है कि परमेश्वर आत्मा है (लूका 24:39; रोमियों 1:20; कुलुस्सियों 1:15; 1 तीमुथियुस 1:17 को भी देखें)। एक अंश में, यही वह कारण है कि परमेश्वर का प्रतिनिधित्व करने के लिए किसी भी भौतिक वस्तु का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए था (निर्गमन 20:4)। परन्तु यह भी दर्शाया जा सकता है कि परमेश्वर क्या है। दार्शनिक रूप से तो यही सत्य सामने आता है। जो कुछ भी रचा गया है वह आवश्यक रूप से सीमाबद्ध और सीमित है। परन्तु पहला कारक (परमेश्वर) सृजा हुआ नहीं है, और इसलिए उसे सीमा-रहित, या अनन्त होना चाहिए। वह जो सीमा से परे है, अपनी परिभाषा के अनुसार, अनन्त होना चाहिए, और बाइबल बताती है कि परमेश्वर सृष्टि से परे है (1 राजा 8:27; अय्यूब 11:7-9; यशायाह 66:1-2; कुलुस्सियों 1:17)। जो भौतिक है वह अनन्त नहीं हो सकता है — क्योंकि आप अनन्त तक पहुँचने के लिए सीमित भागों को एक साथ नहीं जोड़ सकते हैं। इसलिए परमेश्वर आत्मा के रूप में शरीर/पदार्थ के विपरीत आत्मा है। इसका अर्थ यह नहीं है कि वह एक शारीरिक उपस्थिति में प्रगट नहीं हो सकता है। परमेश्वर न तो पदार्थ से बना है और न ही किसी अन्य कल्पनीय तत्व से। वह मापा भी नहीं जा सकता है, स्थान सम्बन्धित भी नहीं है, और उसका कोई वास्तविक स्थान नहीं है (उपस्थिति एक अलग अवधारणा है)।

इस सच्चाई को जानने से हमें यह समझने में सहायता मिल सकती है कि अक्सर परमेश्वर का वर्णन करने के लिए उपयोग किए गए रूपक भाषण का या, अधिक बार, पवित्रशास्त्र में दिए गए परमेश्वर के कार्यों का वर्णन करते हैं। परमेश्वर के विषय में, एक बार जब सारी सीमितता को एक कथन के द्वारा नकार दिया जाता है, तब जो कुछ बचा रहता है वही वास्तव में सच होता है। यदि कुछ भी नहीं बचा है, तो यह एक शुद्ध रूपक है। कुछ रूपक स्वयं सृष्टि से ही ली गई विशेषताओं का उपयोग करते हैं (2 शमूएल 22:3)। अन्य लोग मनुष्य के गुणों का उपयोग करते हैं (मानवतारोपी ईश्वरवाद — व्यवस्थाविवरण 33:27)। इस तरह हम उन बातों से परे जा सकते हैं जिसे हम अनुभव से जानते हैं कि हम रूपकों के माध्यम से क्या जानते हैं। उदाहरण के लिए, जब पवित्रशास्त्र परमेश्वर की सामर्थी भुजा का वर्णन करता है, तो हम जानते हैं कि हथियार अपनी परिभाषा के अनुसार सीमित हैं — परन्तु सामर्थ्य में ऐसा नहीं होता है। इस तरह परमेश्वर की सामर्थी भुजा वास्तव में कार्य करने की असीमित शक्ति है (जिसे हम सर्वशक्तिमान कहते हैं)। जब पवित्रशास्त्र परमेश्वर के मन का वर्णन करता है, तो हम जानते हैं कि मन सीमित है, परन्तु ज्ञान नहीं। परमेश्वर का मन वास्तव में उसका असीम ज्ञान है (जिसे हम सर्वज्ञता कहते हैं)।

बाइबल में ऐसे समय आए हैं जब परमेश्वर एक भौतिक शरीर में लोगों के द्वारा एक ऐसे रूप में देखा गया था जिसे वे स्वयं के लिए खतरे के बिना देख सकते थे। क्योंकि परमेश्वर ने कहा, "मनुष्य मेरे मुख का दर्शन करके जीवित नहीं रह सकता" (निर्गमन 33:20), उसने निश्चित समय पर स्वयं को मानवीय रूप में प्रकट करने के लिए चुना। इन प्रगटीकरणों को थियोफनी या ईशदर्शन कहा जाता है (उत्पत्ति 12:7-9; 18:1-33; 32:22-30)। प्रत्येक ईशदर्शन को जिसमें परमेश्वर मानवीय रूप धारण करता है, देहधारण करता है, जहाँ परमेश्वर मनुष्य के रूप में हमारे बीच रहने के लिए आया इम्मानुएल, "परमेश्वर हमारे साथ" कहा गया है (मत्ती 1:23)।

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