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प्रश्न

इसका क्या अर्थ है कि परमेश्वर हमारे साथ है?

उत्तर


यह जानना अच्छा है कि परमेश्वर सर्वव्यापी है (एक ही समय में प्रत्येक स्थान पर उपस्थित) — यह उसकी विशेषताओं में से एक है। संयोग की बात यह है कि उसकी सर्वव्यापकता के साथ ही सर्वज्ञता (सारी तरह का ज्ञान) और सर्वशक्तिमानता (सारे तरह की सामर्थ्य) के गुण भी पाए जाते हैं। हम मनुष्यों के लिए इन अवधारणाओं को समझना थोड़ा कठिन है, परन्तु परमेश्वर इस बात को भी जानता है (यशायाह 55:8)। परमेश्वर उसकी सृष्टि को अपनी महिमा से भरता है और प्रत्येक समय, समझ और सामर्थ्य में मनुष्य में सार्वभौमिक रूप से विद्यमान रहता है। “वह हम में से किसी से दूर नहीं है” (प्रेरितों के काम 17:27)।

अधिक व्यक्तिगत् स्तर पर, परमेश्वर आज उन सभी विश्वासियों के साथ है जिसमें उसका पवित्र आत्मा वास करता है। यह वास करना केवल तभी हो सकता है जब हमने नया जन्म लिया हुआ है (यूहन्ना 3:3)। मत्ती 28:20 में यीशु ने अपने शिष्यों से प्रतिज्ञा की है कि, “देखो, मैं जगत के अन्त तक सदा तुम्हारे संग हूँ।” यीशु ने यह भी कहा कि पिता हमारे साथ रहने के लिए आता है: “यदि कोई मुझ से प्रेम रखेगा तो वह मेरे वचन को मानेगा, और मेरा पिता उससे प्रेम रखेगा, और हम उसके पास आएँगे और उसके साथ वास करेंगे” (यूहन्ना 14:23)।

गलातियों 2:20 में पौलुस कहता है कि, “मसीह मुझ में रहता है।” फिर गलातियों 3:5 में वह कहता है कि परमेश्वर ने हमें अपना आत्मा दिया है। गलातियों 3:26-27 में, वह कहता है कि विश्वासियों को “मसीह में बपतिस्मा” दिया जाता है और हमने मसीह को कपड़े के “समान पहन” लिया है। (परमेश्वर हमारे इतना निकट है जितने कि हमारे कपड़ें हैं!) गलातियों 5 में आत्मा के फल की चर्चा की गई है और वचन 25 में कहा गया है कि, “यदि हम आत्मा के द्वारा जीवित हैं, तो आत्मा के अनुसार चलें भी।” परमेश्वर, त्रिएकत्व के सभी तीनों व्यक्तियों में, प्रत्येक समय नया-जन्म पाए हुए विश्वासियों के साथ है।

यीशु की एक पदवी “इम्मानुएल” है, जिसका अर्थ है “परमेश्वर हमारे साथ” है (मत्ती 1:23)। जब यीशु इस संसार में आया, तो वह सचमुच में, “परमेश्वर हमारे साथ था।” क्योंकि परमेश्वर हमारे साथ है, हम जानते हैं कि हम उसके प्रेम से कभी भी अलग नहीं होंगे (रोमियों 8:38-39)। परमेश्वर की उपस्थिति हमें विश्वास दिलाती है कि हम अपने लिए उसकी इच्छा को पूरा कर सकते हैं (1 इतिहास 22:17-19)। परमेश्वर की उपस्थिति हमारी भय, चिन्ता और असन्तोष पर जय पाती है (इब्रानियों 13:5)।

हम में वास करने वाला पवित्र आत्मा सदैव हमारे लिए प्रार्थना कर रहा है (रोमियों 8:26)। हमसे कहा जाता है कि हम बिना रूके प्रार्थना करें (1 थिस्सलुनीकियों 5:1), जिसका अर्थ है कि हमें प्रार्थना और ग्रहणशीलता के दृष्टिकोण को बनाए रखना चाहिए ताकि हम प्रार्थना में उन शब्दों को बोल सकें जिनके लिए जब कभी भी परमेश्वर हमारा मार्गदर्शन कर रहा होता है। वह उसकी सन्तान के रूप में उसके निकट है, उसकी पुकार को सुनने के लिए चौकस है (भजन संहिता 34:15)।

हमें यह सत्यापित करना चाहिए कि हम वास्तव में प्रभु के साथ हमारे परमेश्वर के साथ चल रहे हैं या नहीं, ऐसा अक्सर उसके वचन के साथ परामर्श करते हुए, अन्य विश्वासियों के साथ संगति करते हुए, और पास्टर, और मसीही मित्रों से ईश्वरीय परामर्श की मांग करते हुए कर सकते हैं। हमें यह व्यवहार रखना चाहिए कि हम प्रत्येक समय प्रभु के साथ सेवकाई में रहें। पवित्र आत्मा हमारा मार्गदर्शन करेगा। हम परमेश्वर को काम करते हुए देखेंगे। परमेश्वर जीवित है, और वह निकट है। वह हमारे साथ संवाद और वार्तालाप करना चाहता है। यही मसीही जीवन का आनन्द है।

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