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प्रश्न

इसका क्या अर्थ है कि परमेश्वर को ठठ्ठों में नहीं उड़ाया जाता है?

उत्तर


परमेश्वर को ठठ्ठों में उड़ाना, उसका अनादर करना या उसकी अवहेलना करना है। यह उन लोगों के द्वारा किया गया गम्भीर अपराध है जिन्हें परमेश्वर का कोई भय नहीं है या जो उसके अस्तित्व को नकारते हैं। ठठ्ठों का सबसे आसानी से पहचाना जाने वाला रूप मौखिक रूप से अपमान करना या तिरस्कार के अन्य कार्यों के द्वारा इसे प्रगट करना है। ठठ्ठा, उपहास और अवहेलना से जुड़ा हुआ है। उपहास करना एक अपमानजनक व्यवहार होता है जो आदर को कम दिए जाने, अवमानना या यहाँ तक कि खुली शत्रुता को दिखाता है।

बाइबल में मजाक को मूर्खता (भजन संहिता 74:22), दुष्टता (भजन संहिता 1:1), शत्रुता (भजन संहिता 74:10), ज्ञान से घृणा करने वाले (नीतिवचन 1:22; 13:1), घमण्डी (भजन संहिता 119:51; यशायाह 37:17), और शिक्षा न पाने वाले (नीतिवचन 15:12) के द्वारा दिखाए जाने वाले व्यवहार और दृष्टिकोण के द्वारा दर्शाया गया है।। एक ठठ्ठा करने वाला व्यक्ति बुराई के प्रति एक सचेत निर्णय को लेने के लिए विवेक की कमी से कहीं अधिक दूर चला जाता है। ठठ्ठा करने वाला व्यक्ति बिना आज्ञाकारिता, शिक्षाबोध, विवेक, ज्ञान, उपासना, या विश्वास की भावना की कमी के साथ पाया जाता है।

जो लोग परमेश्वर का मजाक उड़ाते हैं वे परमेश्वर के लोगों का भी मजाक उड़ाएंगे। भविष्यद्वक्ता यिर्मयाह यह कहता है कि "सब लोग मुझ पर हँसते हैं" और "दिन भर मुझ पर ढालकर गीत गाते हुए" मज़ाक उड़ाते हैं (विलापगीत 3:14)। परमेश्वर के भविष्यद्वक्ताओं का मजाक उड़ाया जाना सामान्य बात थी (2 इतिहास 36:16)। नहेम्याह का उसके शत्रुओं ने मज़ाक उड़ाया था (नहेम्याह 2:19)। बेतेल के जवानों के द्वारा एलीशा का मजाक उड़ाया गया था (2 राजा 2:23)। और निश्चित रूप से हमारे प्रभु यीशु का भी मजाक — हेरोदेस और उनके सैनिकों के द्वारा (लूका 23:11), रोमन सैनिकों के द्वारा (मरकुस 15:20; लूका 23:36), क्रूस पर लटके हुए एक चोर के द्वारा (लूका 23:39), और उन यहूदी अगुवों के द्वारा उड़ाया गया था क्रूस के मार्ग से होकर जा रहे थे (मत्ती 27:41)।

विश्वासियों के रूप में हमारे लिए कलीसिया के बाहर उन लोगों पर ऊँगली उठाना आसान होता है जो परमेश्वर का मजाक उड़ाते हैं। परन्तु परमेश्‍वर का सबसे छोटा, और सबसे खतरनाक उपहास, कलीसिया में बैठे हुए हमारी ओर से ही आता है। हम तब ठठ्ठों के दोषी होते हैं जब हम आत्मिकता या ईश्वरीय भक्ति में आन्तरिक रूप से सम्मिलित हुए बिना या मन के परिवर्तन के बिना दिखावे से भरा हुआ व्यवहार करते हैं।

1800 के दशक में एक प्रचारक, चार्ल्स जी. फिन्नी ने परमेश्वर को ठठ्ठों में उड़ाने के प्रभावों के बारे में ऐसे लिखा है: "परमेश्वर का मजाक उड़ाना ऐसा दिखावा है, जब हम उससे न तो प्रेम करते और न ही उसकी सेवा करते हैं; झूठे तरीके से कार्य करने के लिए, अपने व्यावसायिक कार्यों में बेईमान और पाखण्डी होना, उसकी आज्ञा का पालन करने, प्रेम करने, सेवा करने और उसकी आराधना करने का नाटक करना, तब जब हम इन्हें नहीं करते हैं... परमेश्‍वर का मज़ाक उड़ाना पवित्र आत्मा को दुखित करता है, और यह विवेक को दाग देता है; और इस तरह पाप के बन्धन और अधिक दृढ़ होते जाते हैं। ऐसी प्रक्रिया में होकर जाने से हृदय धीरे-धीरे कठोर हो जाता है।"

परमेश्‍वर चेतावनी देता है कि जो कुछ पवित्र है उसके प्रति मज़ाक उड़ाया जाना दण्ड के अधीन है। सपन्याह ने मोआब और अम्मोन के पतन की भविष्यद्वाणी करते हुए कहा कि, "यह उनके गर्व का बदला होगा, क्योंकि उन्होंने सेनाओं के यहोवा की प्रजा की नामधराई की, और उस पर बड़ाई मारी है" (सपन्याह 2:10)। यशायाह 28:22 चेतावनी देता है कि ठठ्ठा करने से यहूदा के पाप की जंजीरें और अधिक कठोर हो जाएंगी और इसके पीछे विनाश आएगा। नीतिवचन 3:34 कहता है कि परमेश्वर ठठ्ठा करने वाले का ठठ्ठा करेगा, परन्तु विनम्र और दीन-दुखियों पर अनुग्रह करेगा। दूसरे राजा 2:24 ने उस दण्ड को लिपिबद्ध किया गया है, जिसे एलीशा को चिढ़ाने के लिए उन जवानों को दिया गया था जिन्होंने उसका ठठ्ठा किया था।

इसका अर्थ यह है कि परमेश्वर का मजाक नहीं उड़ाया जा सकता है। परमेश्वर के निर्देशों की अनदेखी करना जानबूझकर पाप चुनने का परिणाम होता है। आदम और हव्वा ने प्रयास किया और वे इस संसार में दुःख और मौत को ले आए (उत्पत्ति 2:15-17; 3:6, 24)। हनन्याह और सफीरा का धोखा एक शीघ्रता से भरे हुए और सार्वजनिक दण्ड को ले आया (प्रेरितों के काम 5:1-11)। गलातियों 6:7 एक सार्वभौमिक सिद्धान्त को बताता है: "धोखा न खाओ; परमेश्‍वर ठट्ठों में नहीं उड़ाया जाता, क्योंकि मनुष्य जो कुछ बोता है वही काटेगा।"

परमेश्वर को धोखा नहीं दिया जा सकता (इब्रानियों 4:12-13)। आकान का पाप (यहोशू 7) और योना का भागना (योना 1) परमेश्वर से अनजान नहीं थे। प्रकाशितवाक्य 2-3 में प्रत्येक कलीसिया के लिए यीशु के बार-बार कहे गए वचन ये थे, "मैं तेरे कामों को जानता हूँ।" हम स्वयं को केवल तब धोखा देते हैं जब हमें लगता है कि हमारे दृष्टिकोण और कार्यों को एक सामर्थी और सर्व-ज्ञानी परमेश्वर नहीं देखता है।

बाइबल हमें एक धन्य जीवन जीने का मार्ग दिखाती है, कभी-कभी धर्मी पुरुषों और स्त्रियों के अच्छे उदाहरणों के द्वारा और कभी-कभी उन लोगों के नकारात्मक उदाहरणों के द्वारा जो दूसरे मार्ग का अनुसरण करने के लिए चुनते हैं। भजन संहिता 1:1-3 कहता है, "क्या ही धन्य है वह पुरुष जो दुष्‍टों की युक्‍ति पर नहीं चलता, और न पापियों के मार्ग में खड़ा होता; और न ठट्ठा करनेवालों की मण्डली में बैठता है! परन्तु वह तो यहोवा की व्यवस्था से प्रसन्न रहता; और उसकी व्यवस्था पर रात दिन ध्यान करता रहता है। वह उस वृक्ष के समान है, जो बहती नालियों के किनारे लगाया गया है, और अपनी ऋतु में फलता है, और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं — इसलिये जो कुछ वह पुरुष करे वह सफल होता है।"

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