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प्रश्न

इसका अर्थ क्या है कि परमेश्‍वर ज्योति है?

उत्तर


1 यूहन्ना 1:5 कहता है कि, "परमेश्‍वर ज्योति है।" ज्योति बाइबल में एक सामान्य रूपक की तरह पाया जाता है। नीतिवचन 4:18 धर्मियों को "चमकते हुए सूर्य" के रूप में दर्शाता है। फिलिप्पियों 2:15 परमेश्‍वर की सन्तान की तुलना आकाश में चमकते हुए तारों के साथ करता है जो "निर्दोष और भोले" हैं। यीशु ने अच्छे कामों को चित्र के लिए ज्योति या प्रकाश का उपयोग किया: "उसी प्रकार तुम्हारा उजियाला मनुष्यों के सामने ऐसा चमके कि वे तुम्हारे भले कामों को देखकर तुम्हारे पिता की, जो स्वर्ग में है, बड़ाई करें। अपने प्रकाश को चमकने दो, ताकि वे आपके अच्छे कर्म देख सकें और स्वर्ग में अपने पिता की महिमा कर सकें" (मत्ती 5:16)। भजन 76:4 परमेश्‍वर के बारे में कहता है कि, "तू तो ज्योतिर्मय है।"

सच्चाई तो यह है कि परमेश्‍वर ज्योति है जो अन्धेरे के साथ एक स्वाभाविक विपरीतता को स्थापित करता है। यदि प्रकाश धार्मिकता और भलाई के लिए एक रूपक है, तो अन्धेरा बुराई और पाप का प्रतीक है। पहला यूहन्ना 1:6 कहता है कि, "यदि हम कहें कि उसके साथ हमारी सहभागिता है और फिर अन्धकार में चलें, तो हम झूठे हैं और सत्य पर नहीं चलते।" वचन 5 कहता है कि, "परमेश्‍वर ज्योति है और उसमें कुछ भी अन्धकार नहीं।" ध्यान दें कि हमें यह नहीं बताया गया है कि परमेश्‍वर एक ज्योति है परन्तु यह कि वह ज्योति है । ज्योति उसके सार का अंग है, ठीक वैसे ही जैसा प्रेम है (1 यूहन्ना 4:8)। सन्देश यह है कि परमेश्‍वर पूरी तरह से, निष्कपट, पूर्ण रीति से पवित्र है, उसमें पाप का कोई मिश्रण नहीं, वह अपराधों से दूषित नहीं, और उसमें अन्याय का कोई संकेत नहीं पाया जाता है।

यदि हमारे पास ज्योति नहीं है, तो हम परमेश्‍वर को नहीं जानते हैं। जो लोग परमेश्‍वर को जानते हैं, जो उसके साथ चलते हैं, वे ज्योति के हैं और ज्योति में चलते हैं। उन्हें परमेश्‍वर के ईश्‍वरीय स्वभाव में समभागी बनाया गया है, जो कि, "उस सड़ाहट से छूटकर, जो संसार में बुरी अभिलाषाओं से होती है, बच गए हैं (2 पतरस 1:4)।

परमेश्‍वर ज्योति है, और वैसे ही उसका पुत्र भी। यीशु ने कहा, "जगत की ज्योति मैं हूँ; जो मेरे पीछे हो लेगा वह अन्धकार में न चलेगा, परन्तु जीवन की ज्योति पाएगा" (यूहन्ना 8:12)। "चलने" का अर्थ आगे बढ़ना होता है। इसलिए, हम इस वचन से यह अनुमान लगा सकते हैं कि मसीही विश्‍वासियों को पवित्रता में आगे बढ़ने और विश्‍वास में परिपक्व होना हैं क्योंकि वे यीशु का अनुसरण करते हैं (2 पतरस 3:18 देखें)।

परमेश्‍वर ज्योति है, और यह उसकी योजना है कि विश्‍वासियों को उसकी ज्योति को चमकाते हुए, प्रति दिन मसीह के जैसे बनते चले जाना है। "क्योंकि तुम सब ज्योति की सन्तान और दिन की सन्तान हो; हम न रात के हैं, न अन्धकार के हैं" (1 थिस्सलुनीकियों 5:5)। परमेश्‍वर भौतिक प्रकाश के निर्माता होने के साथ-साथ आत्मिक प्रकाश का भी दाता है, जिसके द्वारा हम सच्चाई को देख सकते हैं। प्रकाश अन्धेरे में छिपे हुए को प्रकाशित करता है; यह बातों को बैसे ही दिखाता है जैसी वे होती हैं। ज्योति में चलने का अर्थ है कि परमेश्‍वर को जानना, सत्य को समझना, और धार्मिकता में बने रहना।

मसीह में विश्‍वासियों को अपने भीतर बने हुए किसी भी अन्धेरे अर्थात् — अपने पापों और अपराधों — को अंगीकार कर लेना चाहिए और परमेश्‍वर के द्वारा उसके प्रकाश को चमकने के लिए परमेश्‍वर को कार्य करने देना चाहिए।

मसीही विश्‍वासी खाली बैठकर दूसरों को पाप के अन्धेरे में यह जानते हुए कि अन्धेरे में लोग परमेश्‍वर से शाश्‍वतकालीन अलगाव के लिए ठहरा दिए गए हैं, जीवन व्यतीत करते हुए नहीं देख सकते हैं। जगत की ज्योति की इच्छा अन्धेरे को समाप्त करने की और प्रत्येक स्थान में अपने ज्ञान को देने की है (यशायाह 9:2; हबक्कूक 2:14; यूहन्ना 1:9)। सुसमाचार की ज्योति को संसार में ले जाने में, हमें लोगों के बारे में आवश्यक बातों को प्रकाशित करना है, जिन्हें वे अन्यथा छिपाए रहेंगे। अन्धेरे के आदी लोगों के लिए ज्योति असहज है (यूहन्ना 3:20)।

परमेश्‍वर का निर्दोष पुत्र यीशु "सच्ची ज्योति" है (यूहन्ना 1:9)। परमेश्‍वर की गोद ली हुई सन्तान के रूप में, हम पाप से अन्धेरे के संसार में उसके प्रकाश को प्रतिबिम्बित करना चाहिए। न बचाए हुए लोगों को गवाही देना हमारा लक्ष्य है, ताकि, "तू उनकी आँखें खोले कि वे अंधकार से ज्योति की ओर, और शैतान के अधिकार से परमेश्‍वर की ओर फिरें; कि पापों की क्षमा और उन लोगों के साथ जो मुझ [यीशु] पर विश्‍वास कर ने से पवित्र किए गए हैं, मीरास पाएँ" (प्रेरितों के काम 26:18)।

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