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प्रश्न

यदि परमेश्वर सर्वव्यापी है, तो क्या इसका अर्थ यह है कि परमेश्वर नरक में भी है?

उत्तर


परमेश्वर की सर्वव्यापकता उसके आवश्यक गुणों या विशेषताओं में से एक है। उसका न्याय भी आवश्यक है, और इसलिए, उसके लिए पापियों को दण्डित करना आवश्यक है जो उद्धार के लिए यीशु पर विश्वास नहीं करते हैं। इस प्रकार, हमारे पास एक ऐसा परमेश्वर है जिसे प्रत्येक स्थान पर उपस्थित होना कहा जाता है, तथापि वह एक ऐसे स्थान को बनाए रखता है जिसे नरक कहा जाता है, जिसे एक ऐसे स्थान के रूप में वर्णित किया गया है, जहाँ पर लोगों को उसकी उपस्थिति से हटा कर रखा जाता है (मत्ती 25:41 को देखें)।

इस चर्चा के लिए तीन वचन विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं। पहला भजन संहिता 139:7–12, जिसमें दाऊद कहता है कि, "मैं तेरे आत्मा से भागकर किधर जाऊँ? या तेरे सामने से किधर भागूँ? यदि मैं आकाश पर चढ़ूँ, तो तू वहाँ है! यदि मैं अपना बिछौना अधोलोक में बिछाऊँ तो वहाँ भी तू है!" शब्द शीओल अर्थात् अधोलोक इब्रानी भाषा की संज्ञा का लिप्यंतरण है जिसका अर्थ "कब्र" से या "मृत व्यक्ति के स्थान" से है। अधोलोक एक व्यापक शब्द है और नरक का पर्यायवाची नहीं है, यह ऐसा शब्द है जिसे सामान्य रूप से दण्ड के शाश्वत कालीन स्थान के रूप में सन्दर्भित किया जाता है।

दूसरे थिस्सलुनीकियों 1:7–9 में कहा गया है कि जो लोग परमेश्वर को नहीं जानते हैं, वे "प्रभु के सामने से और उसकी शक्‍ति के तेज से दूर होकर अनन्त विनाश का दण्ड पाएँगे।" तौभी प्रकाशितवाक्य 14:10 कहता है कि जो कोई मसीह विरोधी को दण्डवत् करता है, वह "पवित्र स्वर्गदूतों के सामने और मेम्ने के सामने आग और गन्धक की पीड़ा में पड़ेगा।" ये दो वचन अपने स्पष्ट विरोधाभास के कारण अब तक इस विषय पर सबसे अधिक भ्रमित करने वाले रहे हैं। तौभी, मूल यूनानी भाषा में इसकी अपेक्षा एक सरल विवरण पाया जाता है।

प्रकाशितवाक्य 14:10 में, शब्द "सामने" यूनानी शब्द एनोपियन का शाब्दिक अनुवाद है, जिसका अर्थ "पहले, उसके सामने उपस्थिति में" से है। यह एक स्थान सम्बन्धी शब्द है, जो निकटता और शाब्दिक, मापने योग्य दूरी का सुझाव देता है। इसके विपरीत, 2 थिस्सलुनीकियों में आए शब्द "सामने" का अनुवाद प्रोसोपोन है, जो सामान्य रूप से किसी व्यक्ति के चेहरे या बाहरी रूप को सन्दर्भित करता है। ऐसा प्रतीत होता है कि पौलुस ने इस सत्य को सीधे यशायाह 2:10 से लिया है जैसा कि सेप्तुआजिन्त अर्थात् सप्तति अनुवाद में पाया गया है। परमेश्वर और उसके लोगों के यहाँ तक कि पृथ्वी पर भी "अलग होने" के अन्य वचन पाए जाते हैं। क्रूस पर पीड़ा के बारे में यीशु का विलाप करना एक उदाहरण है (मत्ती 27:46; मरकुस 15:34)। धर्मविज्ञानी डॉ. लुईस बेरखोफ़ शिक्षा देते हैं कि पौलुस "परमेश्वर की कृपा में पूर्ण अनुपस्थिति" को सन्दर्भित करता है। नरक का यह वर्णन स्वर्ग के बिलकुल विपरीत होगा। स्वर्ग आशीष प्रदान करता है और पूर्णता परमेश्वर के निकट होने के माध्यम से नहीं, अपितु उसके साथ पूर्ण संगति में होने के द्वारा प्रदान की जाती है। नरक परमेश्वर के साथ किसी भी संगति के विच्छेद होने से आशीष के पूर्ण अभाव के साथ जुड़ा हुआ है।

अन्ततः, ऐसा प्रतीत होता है कि परमेश्वर वास्तव में नरक में "विद्यमान" है, या नरक उसकी उपस्थिति में है, यह इस पर निर्भर करता है कि कोई इसे कैसे देखता है। परमेश्वर है और सदैव सर्वव्यापी रहेगा। वह सदैव जानेगा कि नरक में क्या हो रहा है। यद्यपि, इस तथ्य का अर्थ यह नहीं है कि वहाँ कैद की गई आत्माओं का परमेश्वर या उसके साथ किसी भी तरह के संचार से सम्बन्ध होगा।

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यदि परमेश्वर सर्वव्यापी है, तो क्या इसका अर्थ यह है कि परमेश्वर नरक में भी है?
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