प्रश्न
क्या ऐसा कुछ है जिसे परमेश्वर नहीं कर सकता है?
उत्तर
एक स्पष्ट रात में, आकाश में तारों को देखें। उत्पत्ति 1 लिपिबद्ध करता है कि परमेश्वर ने उन सभी को बनाया है! केवल एक तारे में पाई जाने वाली सामर्थ्य की कल्पना करो! यह केवल कमजोर सामर्थ्य के बारे में नहीं है। हमारे ब्रह्माण्ड में पाए जाने वाले सबसे छोटे डीएनए के अणु, सबसे छोटे सबमैटोमिक अर्थात् अवपरमाणुक कण को भी बहुत अधिक बुद्धिमानी और रूपरेखा के साथ रचा गया है। परमेश्वर की सामर्थ्य और ज्ञान हमारी समझ से परे हैं। इसलिए ही यहोवा परमेश्वर ने उत्पत्ति 18:14 में अब्राहम से कहा कि, “क्या यहोवा के लिए कोई काम कठिन है?” इसलिए ही यहोवा ने मूसा से कहा जब मूसा ने प्रश्न किया कि जंगल में परमेश्वर कई लाखों इस्राएलियों के लिए मांस की आपूर्ति कैसे कर सकता है, “क्या परमेश्वर का हाथ छोटा हो गया है?” (गिनती 11:23)। यही कारण है कि योनातन ने अपने शस्त्रों को ढोने वाले से कहा कि एक जय को पाने के लिए यहोवा को बहुत सारे सैनिकों की आवश्यकता नहीं है (1 शमूएल 14:6)।
यिर्मयाह 32:17 कहता है कि, “हे प्रभु यहोवा, तू ने बड़ी सामर्थ्य और बढ़ाई हुई भुजा से आकाश और पृथ्वी को बनाया है! तेरे लिये कोई काम कठिन नहीं है।” यहाँ तक कि आत्मिक क्षेत्र में भी, जैसा प्रतीत होता है कि लोग उद्धार से बहुत दूर हैं, उन तक पहुँचना उसके लिए असम्भव नहीं है (मरकुस 10:25-27)। और जितनी उसकी सामर्थ्य महान है, उतना ही उसका प्रेम और दया महान है... यहाँ तक कि एक पापी मानव जाति के लिए दण्ड को चुकाने के लिए कलवरी के क्रूस पर मरने के लिए अपने पुत्र को भेजने के लिए उसकी इच्छा। उसने ऐसा इसलिए किया ताकि वह पूर्ण न्याय में, उन लोगों को क्षमा कर सके जो आत्म-निर्भरता और पाप से दूर होते हुए मसीह और उसके द्वारा किए गए कार्य पर निर्भर होंगे। यूहन्ना 3:16, एक परिचित वचन है, जो परमेश्वर के महान प्रेम को ऐसे बताता है: “क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे वह नष्ट न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए।” यह प्रेम केवल “अच्छे” लोगों (जो कि कोई भी नहीं है) के लिए नहीं था, परन्तु हमारे लिए है... पाप में गिरे हुए, पापी, प्रेम न किए जाने वाले, विद्रोही लोगों के लिए है (रोमियों 3:10-23) ... और तौभी उसने हम पर अपने प्रेम को उण्डेलना चुना (रोमियों 5:6-10) तब जब हम इसके योग्य नहीं थे।
केवल एक ही कार्य है जिसे परमेश्वर नहीं कर सकता है वह उसके अपने चरित्र और स्वभाव के विपरीत कार्य करना है। उदाहरण के लिए, तीतुस 1:2 कहता है कि वह झूठ नहीं बोल सकता। क्योंकि वह पवित्र है (यशायाह 6:3; 1 पतरस 1:16), वह पाप नहीं कर सकता। क्योंकि वह धर्मी है, वह बस ऐसे ही पाप को अनेदखा नहीं कर सकता। क्योंकि मसीह ने पाप के लिए दण्ड को चुकाया है, वह अब उन लोगों को क्षमा करने में सक्षम है जो मसीह की ओर मुड़ते हैं (यशायाह 53:1-12; रोमियों 3:26)।
सचमुच हमारा परमेश्वर... अपरिवर्तनीय, शाश्वत, सामर्थ्य में असीमित, वैभव में, ज्ञान में, बुद्धि में, प्रेम में, दया में और पवित्रता में अद्भुत परमेश्वर है। परन्तु हम बहुत कुछ इस्राएलियों की तरह हैं, जिन्होंने परमेश्वर के द्वारा निरन्तर सामर्थ्य और प्रेम को प्रदर्शित करने पर भी, उसके प्रेम और सामर्थ्य दोनों पर तब-तब सन्देह किया जब-जब उन्होंने अपने जीवन में नई परीक्षा का सामना किया (उदाहरण के लिए देखें, गिनती 13-14)। परमेश्वर हमें आगे आने वाले “संकट” में उस पर निर्भर होने और विश्वास करने के साथ उसका सम्मान करने में सहायता करें, क्योंकि वह “संकट में अति सहज से मिलनेवाला सहायक है” (भजन संहिता 46:1)।
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