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प्रश्न

परमेश्वर लोगों को विकलांग/अंगहीन होने की अनुमति क्यों देता है?

उत्तर


प्रभु यहोवा शारीरिक रूप से स्वस्थ और मानसिक रूप से मजबूत लोगों का परमेश्वर हैं, परन्तु वह शारीरिक रूप से अक्षम और मानसिक रूप से विकलांग लोगों का भी परमेश्वर है। वह दुर्बल और कमजोर के साथ-साथ चतुर और सामर्थी लोगों के ऊपर भी सर्वोच्च प्रभु है। बाइबल सिखाती है कि इस संसार में जन्म लिया हुआ प्रत्येक व्यक्ति परमेश्वर की एक विशेष सृष्टि है (भजन संहिता 139:16 को देखें), और इसमें विकलांग और अंगहीन या अपाहिज भी सम्मिलित हैं।

एक स्वाभाविक प्रश्न यह है कि परमेश्वर कुछ लोगों को विकलांग या अंगहीन जन्म लेने की अनुमति क्यों देता है या क्यों वह दुर्घटनाओं के हो जाने की अनुमति देता है जो जीवन में बाद में विकलांगता या अंगहीनता को ले आती हैं। यह विषय “बुराई की समस्या” या “पीड़ा की समस्या” के रूप में एक धर्मवैज्ञानिक/दार्शनिक वाद-विवाद की छतरी के नीचे आता है, यदि परमेश्वर भला और सर्वशक्तिमान दोनों है, तो वह बुरी चीजों को क्यों होने देता है? किसी के लिए अपनी दृष्टि खोने या एक कृत्रिम अंग के साथ चलने के लिए मजबूर होने का क्या अर्थ होता है? हम इस सच्चाई के लेकर परमेश्वर की भलाई और सिद्धता के साथ कैसे सामंजस्य स्थापित कर सकते हैं कि उसकी रचना का बहुत बड़ा भाग टूटा और घायल है?

आगे बढ़ने से पहले, हमें स्वीकार करना चाहिए कि हम सभी विकलांग हैं या किसी न किसी तरह से अंगहीन हैं। चश्मे की आवश्यकता कमजोर या “विकलांग” दृष्टि की ओर इंगित करता है। डेंटल ब्रेसिज़ अर्थात् दन्त-धनुर्बन्धनी का टेढ़े-मेड़े दांतों के होने की ओर संकेत है। मधुमेह, गठिया, चमड़ी का रोसैसिया रोग, एक ऐसा जोड़ जो बिल्कुल सही तरीके से काम नहीं करता है — इन सभी को कुछ सीमा तक विकलांगता माना जा सकता है। पूरी मानव जाति अपूर्णता की वास्तविकता के साथ रहती है। प्रत्येक व्यक्ति आदर्श-से-कम-परिस्थितियों का अनुभव करता है। हम सब किसी न किसी तरह से टूट चुके हैं। हम जिन विकलांगों के साथ रहते हैं, वे केवल एक स्तर का विषय है।

जब कोई व्यक्ति विकलांग या अपाहिज होता है, चाहे यह किसी भी स्तर पर क्यों न हो, यह मूल पाप का एक लक्षण है, जब संसार में बुराई आई। पाप ने इस संसार में परमेश्वर के प्रति मनुष्य की अवज्ञा के परिणामस्वरूप प्रवेश किया, और पाप बीमारी, अपूर्णता और रोग को साथ ले आया (रोमियों 5:12 को देखें)। संसार विकृत हो गया। एक कारण यह है कि क्यों परमेश्वर लोगों को विकलांग या अंगहीन होने की अनुमति देता है, ऐसी स्थितियाँ मानव जाति के द्वारा परमेश्वर के प्रति विद्रोह का स्वाभाविक परिणाम है। हम कारण और प्रभाव के संसार में रहते हैं, और यह एक पतित संसार है। यीशु ने कहा है कि “इस संसार में तुम्हें क्लेश होता है” (यूहन्ना 16:33)। हमारे कहने का अर्थ यह नहीं है कि प्रत्येक तरह की विकलांगता व्यक्तिगत् पाप का प्रत्यक्ष परिणाम है (यीशु ने इस विचार को यूहन्ना 9:1-3 में बताया है), परन्तु, सामान्य रूप से कहना, विकलांगता और अंगहीनता के अस्तित्व को पाप के अस्तित्व के होने से पता लगाया जा सकता है।

एक और मूल कारण यह है कि परमेश्वर कुछ लोगों को विकलांग या अंगहीन होने की अनुमति देता है, ऐसा इसलिए ताकि परमेश्वर स्वयं इसके माध्यम से महिमा प्राप्त करे। जब चेलों ने जन्म से अन्धे व्यक्ति के बारे में आश्चर्य व्यक्त किया, तो यीशु ने उनसे कहा कि, “न तो इसने पाप किया था, न इसके माता-पिता ने; परन्तु यह इसलिये हुआ कि परमेश्‍वर के काम उसमें प्रगट हों” (यूहन्ना 9:3)। जब बाद में इन्हीं चेलों ने लाजर की बीमारी के बारे में आश्चर्य व्यक्त किया, तो यीशु ने उनसे कहा, “यह बीमारी मृत्यु की नहीं; परन्तु परमेश्‍वर की महिमा के लिये है, कि उसके द्वारा परमेश्‍वर के पुत्र की महिमा हो” (यूहन्ना 11:4)। दोनों ही उदाहरणों में, परमेश्वर को विकलांगता के माध्यम से महिमा दी गई थी — जन्म से अन्धे व्यक्ति के विषय में, मन्दिर के शासकों के पास यीशु की चंगा करने वाली सामर्थ्य के प्रति मुँहतोड़ प्रमाण थे; लाजर के विषय में, “तब जो यहूदी मरियम के पास आए थे और उसका यह काम देखा था, उनमें से बहुतों ने उस पर विश्‍वास किया” (यूहन्ना 11:45)।

एक और कारण यह है कि परमेश्वर विकलांगता या अंगहीनता के होने की क्यों अनुमति देता है ताकि हम स्वयं के स्थान पर उसके ऊपर भरोसा करना सीख सकें। जब यहोवा परमेश्वर ने जंगल में मूसा को बुलाया, तो मूसा पहली बार उसकी बुलाहट को सुनने के लिए हिचक रहा था। सच्चाई तो यह है कि, उसने अपनी विकलांगता का उपयोग स्वयं को उसकी सेवा न करने के लिए उपयोग करने का प्रयास किया: “मूसा ने यहोवा से कहा, ‘हे मेरे प्रभु, मैं बोलने में निपुण नहीं... मैं तो मुँह और जीभ का भद्दा हूँ’“ (निर्गमन 4:10) परन्तु परमेश्वर को मूसा की समस्या के बारे में सब कुछ पता था: “यहोवा ने उससे कहा, ‘मनुष्य का मुँह किसने बनाया है? और मनुष्य को गूँगा, या बहिरा, या देखनेवाला, या अंधा, मुझ यहोवा को छोड़ कौन बनाता है? अब जा, मैं तेरे मुख के संग होकर जो तुझे कहना होगा वह तुझे सिखलाता जाऊँगा’“ (निर्गमन 4:11-12)। इस अद्भुत सन्दर्भ में, हम देखते हैं कि मनुष्य की सारी क्षमता — और विकलांगता-परमेश्वर की योजना का भाग है और यह कि परमेश्वर उसके आज्ञाकारी सेवकों को सहायता प्रदान करेगा। वह सुसज्जित लोगों को इतना अधिक नहीं बुलाता है जितना वह बुलाए हुए लोगों को सुसज्जित करता है।

एक किशोरी के रूप में जोनी एरिकसन टाडा को एक गोताखोरी दुर्घटना का सामना करना पड़ा, और पिछले पाँच दशकों से वह गर्दन से नीचे पूरे शरीर के पूर्ण पक्षाघात के साथ जीवन व्यतीत कर रह रही है। जोनी स्वर्ग में यीशु से मिलने और उसके व्हीलचेयर के बारे में उससे बात करने की कल्पना करती है: “मैं उस चीज़ [मेरी व्हीलचेयर] में जितनी अधिक कमज़ोर थी, उतनी ही अधिक दृढ़ता से मैं तेरी ऊपर निर्भर हो गई। और जितनी अधिक दृढ़ता से में तेरे ऊपर निर्भर हुई, उतना ही मजबूत से मैंने तुझे खोजा। ऐसा कभी नहीं हो सकता था यदि तू मुझे उस व्हीलचेयर के आशीष के दु:ख को नहीं देता। वह कैसे उस “दु;ख” को “आशीष” के रूप में बोल सकती है? केवल परमेश्वर के अनुग्रह से। इस भावना के साथ, जोनी प्रेरित पौलुस के शब्दों के साथ बोल उठती है जिसने मसीह के पर्याप्त अनुग्रह में अपने शरीर में चुभाए गए कांटे के साथ यह स्वीकार किया था: “इसलिये मैं बड़े आनन्द से अपनी निर्बलताओं पर घमण्ड करूँगा कि मसीह की सामर्थ्य मुझ पर छाया करती रहे... क्योंकि जब मैं निर्बल होता हूँ, तभी बलवन्त होता हूँ” (2 कुरिन्थियों 12:9 -10)।

एक और कारण यह है कि क्यों परमेश्वर कुछ को विकलांग या अंगहीन होने की अनुमति देता है, उसने अपनी अति महत्वपूर्ण योजना में, इस संसार की कमजोर चीजों को एक विशेष उद्देश्य के लिए चुना है: “परन्तु परमेश्‍वर ने जगत के मूर्खों को चुन लिया है कि ज्ञानवानों को लज्जित करे, और परमेश्‍वर ने जगत के निर्बलों को चुन लिया है कि बलवानों को लज्जित करे; और परमेश्‍वर ने जगत के नीचों और तुच्छों को, वरन् जो हैं भी नहीं उनको भी चुन लिया कि उन्हें जो हैं — व्यर्थ ठहराए — ताकि कोई प्राणी परमेश्‍वर के सामने घमण्ड न करने पाए” (1 कुरिन्थियों 1:27–29)।

परमेश्वर को अपने कार्य को पूरा करने के लिए मानवीय सामर्थ्य या कौशल या योग्यता की आवश्यकता नहीं है। वह विकलांगता और अंगहीनता का भी उपयोग कर सकता है। वह बच्चों का उपयोग कर सकता है: “तू ने अपने बैरियों के कारण बच्चों और दूध पिउवों के द्वारा सामर्थ्य की नींव डाली है, ताकि तू शत्रु और पलटा लेनेवालों को रोक रखे” (भजन संहिता 8:2)। वह किसी का भी उपयोग कर सकता है। इस सच्चाई को स्मरण रखने से विकलांग विश्वासियों को यह ध्यान रखने में सहायता मिल सकती है कि परमेश्वर कौन है। जब जीवन का कोई अर्थ नहीं रहता है, तो आशा छोड़ देना आसान होता है, परन्तु मसीह की सामर्थ्य कमजोरी में ही सिद्ध होती है (2 कुरिन्थियों 12:9)।

एक अर्थ में, जब यीशु इस संसार में आया, तो वह स्वेच्छा से विकलांग बन गया। उसने स्वयं को अंगहीन बना लिया क्योंकि उसने पृथ्वी पर पापियों के बीच रहने के लिए स्वर्ग की पूर्णता को छोड़ दिया था। उसने स्वयं को महिमा रहित मानवता में लपेटने के लिए अपनी महिमा को एक ओर रख दिया। देहधारण में, यीशु ने अपने मानवीय शरीर के ऊपर सारी तरह की निर्बलता और अतिसंवेदनशीलता को धारण किया। “वरन् अपने आप को दास का स्वरूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया” (फिलिप्पियों 2:7)। परमेश्वर के पुत्र ने हमारी मानवीय परिस्थिति में भाग लिया और हमारी ओर से पीड़ित हुआ। और यही कारण है कि “हमारा ऐसा महायाजक नहीं जो हमारी निर्बलताओं में हमारे साथ दु:खी न हो सके” (इब्रानियों 4:15); अपितु, हमारे पास एक मध्यस्थ है जो हमारी कमजोरी को समझता है, हमारी विकलांगता से सम्बन्धित होता है, और हमारी पीड़ा की पहचान करता है।

परमेश्वर प्रतिज्ञा करता है कि विकलांगता और अंगहीनता अस्थायी हैं। ये परिस्थितियाँ इस पतित संसार का भाग हैं, न कि आने वाले संसार का। परमेश्वर की सन्तान — जो मसीह में विश्वास करती है, उन्हें परमेश्वर की सन्तान बनाया जाता है (यूहन्ना 1:12) — उनके पास एक उज्ज्वल और महिमामयी भविष्य है। जब यीशु पहली बार आया था, तो उसने हमें अभी तक आने वाली भली वस्तुओं का स्वाद प्रदान किया: “लोग सब बीमारों को, जो नाना प्रकार की बीमारियों और दु:खों में जकड़े हुए थे, और जिन में दुष्‍टात्माएँ थीं, और मिर्गीवालों और लकवे के रोगियों को, उसके पास लाए और उस ने उन्हें चंगा किया” (मत्ती 4:24)। जब यीशु दूसरी बार आएगा, “तब अंधों की आँखें खोली जाएँगी और बहिरों के कान भी खोले जाएँगे; तब लंगड़ा हरिण की सी चौकड़ियाँ भरेगा और गूँगे अपनी जीभ से जयजयकार करेंगे” (यशायाह 35:5–6)।

जोनी का व्हीलचेयर-पर पड़े रहने का दृष्टिकोण ज्ञानवर्धक है: “वास्तव में विकलांग लोग वह लोग होते हैं जिन्हें और लोगों की तरह परमेश्वर की अधिक आवश्यकता नहीं होती है।” कमजोरी, विकलांगता और अंगहीनता की स्थिति — इस संसार में परमेश्वर पर भरोसा करने की स्थिति है — यह वास्तव में सम्मान और आशीष की स्थिति है।

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