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प्रश्न

मसीह के पास आने के लिए एक बच्चे की अगुवाई करने के लिए बाइबल का क्या तरीका है?

उत्तर


एक बच्चे को मसीह के पास बचाने वाले सम्बन्ध में लाने के लिए अगुवाई देने में तीन मूल तत्व सम्मिलित हैं: प्रार्थना, उदाहरण, और आयु-के-अनुसार उपयुक्त निर्देशों को दिया जाना। हम बच्चों को मसीह के पास लाने के लिए दिए जाने वाली अगुवाई में एक बच्चे के जन्म होने से पहले ही इन तीन तत्वों को बड़े परिश्रम के द्वारा लागू करते हैं।

बच्चों में सुसमाचार प्रचार करने की प्रक्रिया में प्रार्थना का महत्व बहुत अधिक पाया जाता है। गर्भधारण के समय से ही माता-पिता को अपने अज्ञात् बच्चे के प्रति स्वयं के लिए परमेश्‍वर से बुद्धि और अनुग्रह की प्राप्त के लिए प्रार्थना में माँग करनी चाहिए। परमेश्‍वर ने उन सभी को उदारतापूर्वक बुद्धि देने का वादा किया है, जो उससे इसकी माँग करते हैं (याकूब 1:5), और और पालन-पोषण के सभी पहलुओं में परमेश्‍वर की बुद्धि का होना आवश्यक है, परन्तु यह किसी भी तरह से आत्मिक विषय से कहीं अधिक महत्वपूर्ण नहीं है। इफिसियों 2:8-9 हमें कहता है कि उद्धार विश्‍वास के द्वारा अनुग्रह से प्राप्त होता है, इसलिए, अपने बच्चों की मुक्ति के लिए हमारी प्रार्थनाओं को उनके लिए विश्‍वास के उपहार की प्राप्ति के ऊपर केन्द्रित होनी चाहिए। हमें पवित्र आत्मा के लिए प्रार्थना करनी चाहिए कि वह हमारे बच्चों को उनके आरम्भिक दिनों से ही परमेश्‍वर की ओर आकर्षित करें और उन्हें विश्‍वास और सेवा के जीवन के द्वारा तब तक संभाले रखें जब तक कि वे स्वर्ग में अनन्त काल के लिए सुरक्षित नहीं हो जाते हैं (इफिसियों 1:13-14)। हमें प्रार्थना करनी चाहिए कि परमेश्‍वर हमें उस की ओर आकर्षित करे और वह हमारे जीवनों में वास्तविकता बन जाना चाहिए ताकि हम हमारी सन्तानों के लिए अच्छे जीवन को यापन करने वाले आदर्श बन जाएँ।

परमेश्‍वर की सन्तान के रूप में हमारा उदाहरण मसीह के साथ सम्बन्धों के सर्वोत्तम दृश्य रूप में आदर्श को प्रदान करता है, जिसे हम चाहते हैं कि हमारे बच्चों के पास हो। जब हमारे बच्चे हमें प्रतिदिन घुटनों के ऊपर प्रार्थना करते हुए देखते हैं, तो वे यह मानते हैं कि प्रार्थना जीवन का एक नियमित हिस्सा है। जब वे हमें पवित्रशास्त्र को नियमित रूप से अध्ययन करते हुए, इससे आत्मिक भोजन प्राप्त करते हुए और परमेश्‍वर के वचन के ऊपर ध्यान करते हुए देखते हैं, तो वे हमारे द्वारा बिना किसी शब्द को न बोले जाने पर भी बाइबल के महत्व को महसूस करते हैं। जब वे समझते हैं कि हम न केवल परमेश्‍वर के वचन को जानते हैं, अपितु प्रतिदिन इसे व्यावहारिक तरीके से लागू करने का प्रयास करते हैं, तब वे एक जीवन को वचन के प्रकाश में जीवित रहते हुए देखने की सामर्थ्य को समझ जाते हैं। इसके विपरीत, यदि कोई बच्चा यह देखता है कि उसकी माता या पिता केवल रविवारी "व्यक्ति" है, जो बड़ी तीव्रता से उस व्यक्ति के व्यक्तित्व से भिन्न है, जिसे वे प्रतिदिन देखते हैं, तो वे शीघ्रता के साथ उन्हें पाखण्डी के रूप में पता लगा लेंगे। बहुत से बच्चों ने कलीसिया और मसीह को इसलिए इन्कार कर दिया है, क्योंकि उनके पास पाखण्ड से भरे हुए आदर्श थे। ऐसा कहने से यह अर्थ नहीं है कि परमेश्‍वर हमारी गलतियों और असफलताओं को नकार नहीं सकते, परन्तु इसके लिए हमें उन्हें परमेश्‍वर के सामने इन्हें अंगीकार करने के लिए अवश्य तैयार रहना चाहिए, अपनी असफलताओं को अपने बच्चों के सामने स्वीकार करना चाहिए, और अपने जो कुछ हम विश्‍वास करते हैं, उसके अनुसार जीवन यापन करने के लिए तैयार रहना चाहिए।

इसके अतिरिक्त, एक बच्चे को मसीह के पास लाने के लिए अगुवाई देने में उसे आत्मिक विषयों में उसकी आयु के अनुसार उपयुक्त निर्देश प्रदान करना अति महत्वपूर्ण है। बच्चों से सम्बन्धित पुस्तकों और संसाधनों का विशाल ढेर मिलता है, जैसे कि बच्चों की बाइबल, बच्चों की बाइबल की कहानियों की पुस्तकें, सभी आयु के बच्चों के संगीत का अध्ययन, गायन और स्मरण करने के लिए अन्य संसाधन इत्यादि। आत्मिक सच्चाई के लिए एक बच्चे के जीवन के प्रत्येक पहलू से सम्बन्धित आत्मिक प्रशिक्षण का एक महत्वपूर्ण अंग है। प्रत्येक समय जब कोई बच्चा फूल या सूर्यास्त या पक्षी को देखता है, तब अभिभावकों के पास सौन्दर्य और परमेश्‍वर की रचनात्मक शक्ति के आश्चर्य की व्याख्या करने के लिए पर्याप्त अवसर होता है (भजन संहिता 19:1-6)। जब भी हमारे बच्चों को हमारे प्रेम में सुरक्षा और सुनिश्चितता महसूस होती है, हमारे पास उनसे इस बात को सम्बन्धित करने के अवसर होते हैं कि हमारे स्वर्गीय पिता का प्रेम कितना बड़ा है। जब उन्हें दूसरों से ठेस पहुँचती, तब हम उन्हें पाप की वास्तविकता और इसके लिए एकमात्र उपचार — प्रभु यीशु मसीह और हमारे लिए क्रूस पर दिए हुए उसके बलिदान को उन्हें समझा सकते हैं।

अन्त में, कभी-कभी एक बच्चे के ऊपर मसीह को उद्धारकर्ता के रूप में भरोसा करने के अपने निर्णय के प्रमाण के रूप में "प्रार्थना" करने या "वेदी तक जाने के लिए" अत्यधिक बोझ दे दिया जाता है। यद्यपि ये क्षण बच्चे के मन में कब और कैसे उसे मसीह के पास आना है, को दृढ़ बनाने की शिक्षा देने के लिए मूल्यवान हो सकते हैं, तथापि उद्धार मन में होने वाला आत्मा का काम है। सच्चे उद्धार का परिणाम प्रगतिशील शिष्यत्व के जीवन में होता है, और इसे भी साथ में सम्प्रेषित किया जाना चाहिए।

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