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प्रश्न

क्या परमेश्वर में हास्य का भाव है?

उत्तर


कदाचित्त सबसे अच्छा संकेत यह है कि परमेश्वर के पास हास्य का भाव है, जिसमें होकर उसने अपने स्वरूप में मनुष्य की सृष्टि की है (उत्पत्ति 1:27), और निश्चित रूप से लोग हास्य को देखने और व्यक्त करने में सक्षम हैं। "हास्य के भाव" को "जागरूकता की क्षमता, आनन्द लेने, या उसे व्यक्त करने की क्षमता के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो कि हास्यास्पद होता है।" इस परिभाषा के अनुसार, तब, परमेश्वर को देखने, आनन्द लेने या जो हास्यपूर्ण है उसे व्यक्त करने की क्षमता दिखानी चाहिए। कठिनाई यह है कि लोग यह समझते हैं कि जो कुछ भी हास्यजनक भिन्नता है, और जिसे पापी व्यक्ति मजाक समझता है वह एक पवित्र और पूर्ण परमेश्वर को मनोरंजन नहीं देगा। संसार जिसे हास्य कहता है, वह मजाक नहीं है, परन्तु यह मूढ़ता और असभ्यता है और एक मसीही विश्वासी के जीवन में इसका कोई स्थान नहीं है (कुलुस्सियों 3:8)। अन्य हास्य दूसरों की कीमत पर व्यक्त किया जाता है (उनकी उन्नति करने की अपेक्षा उन्हें नीचे गिराने की कीमत पर), एक बार फिर से यह कुछ ऐसी बात है जो परमेश्वर के वचन के विपरीत है (कुलुस्सियों 4:6; इफिसियों 4:29)।

परमेश्वर के हास्य का एक उदाहरण उस घटना में पाया जाता जिसमें इस्राएलियों के द्वारा युद्ध में वाचा के सन्दूक को ले जाना किस्मत-को-चमकाने वाले रूप में किया गया था, और पलिश्तियों ने इसको अपने अधीन कर लिया और अपने मन्दिर में दागोन की मूर्ति के सामने रख दिया। जब वे अगले दिन मन्दिर में आए और उन्होंने सन्दूक के सामने दागोन को औंधे मुँह भूमि पर गिरा पड़ा हुआ पाया। उन्होंने उसे वापस खड़ा किया। अगली सुबह, फिर से ऐसा ही हुआ, परन्तु इस बार वाचा के परमेश्वर ने दागोन के हाथों और सिर को अपनी सामर्थ्य के प्रतीक के रूप में काट दिया था (1 शमूएल 5:1-5)। परमेश्वर दागोन को अपने सन्दूक के सामने हास्य के चित्रण के साथ समर्पण की स्थिति में प्रस्तुत कर रहा था।

यह घटना उन लोगों की मूर्खता पर हँसते हुए परमेश्वर का एक उदाहरण है जो उसका विरोध करेंगे। "देख वे डकारते हैं, उनके मुँह के भीतर तलवारें हैं, क्योंकि वे कहते हैं, 'कौन सुनता है?' परन्तु हे यहोवा, तू उन पर हँसेगा; तू सब अन्यजातियों को ठट्ठों में उड़ाएगा" (भजन संहिता 59:7-8)। भजन संहिता 2 में भी परमेश्वर उन लोगों पर हँसता है, जो उसके राजा होने के विरुद्ध विद्रोह करते हैं (वचन 4)। यह छोटे-बच्चे के हास्यपूर्ण चित्र की तरह है जो अपने माता-पिता से परेशान है और घर से भागते हुए... अपने पड़ोसी के घर की ओर जा रहा है। परन्तु स्पष्ट रूप से इसका एक गम्भीर पक्ष भी है, और यद्यपि कमजोर और मूर्ख व्यक्ति का चित्र जो अपने विवेक के साथ एक सर्वशक्तिमान और सर्व-ज्ञानी परमेश्वर के अनुरूप होने के प्रयास को प्रस्तुत करता है, हास्यपूर्ण है, तथापि परमेश्वर उनकी स्वच्छंदता और उसके परिणामों में किसी तरह के कोई हर्ष को प्राप्त नहीं करता है, अपितु इच्छा करता है कि वे पश्चाताप करें (यहेजकेल 33:11; मत्ती 23:37-38)।

एक व्यक्ति उस व्यक्ति की उपस्थिति में चुटकुले नहीं सुनाता, जिसने अपने किसी प्रियजन को खो दिया हो; ऐसे अवसरों पर मूर्खतापूर्ण मजाक को करना सही नहीं होता। ठीक इसी तरह से, परमेश्वर खोए हुओं पर केन्द्रित है और उन लोगों की खोज कर रहा है जो अपने प्राणों की चिन्ता करेंगे जैसे वह करता है। यही कारण है कि हमारे जीवनों (जिसमें नए बनने और हास्य के समय होते हैं) में "गम्भीरता" (मसीह के लिए अपने जीवनों को दाव पर लगाने की गम्भीरता के बारे में) की विशेषता होनी चाहिए (1 थिस्सलुनीकियों 5:6, 8; तीतुस 2:2, 6)।

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